संरक्षक दयाराम प्रसादक स्वरचित कवितामे शिक्षकक दुर्दशा, बाढ़िक समस्या आ जनसंख्या नियंत्रण पर फोकस
*
मधुबनी समदिया
*
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियानक ग्यारहम स्थापना दिवस पाक्षिक समारोहक पांचम दिन यानि २९ सितंबरकेँ संध्या कार्यक्रममे कलाकार अभियानी लोकनि प्रेरक एवं स्वाभिमान जगाबयवाला प्रस्तुती देलनि। संरक्षक दयाराम प्रसाद शूरूआतमे अपन स्वरचित एक पर एक कविता पाठ करैत मिथिलाक वर्तमान परिस्थितिकेँ बहुत नीक ढंगसॅं अपना अंदाजमे सही चित्रण कयलैन। हुनक कवितामे शिक्षकक वर्तमान दुर्दशा, बाढिक समस्या, जनसंख्या नियंत्रण पर निक फोकस छल।
प्रेमलता झा मणिकांत झा रचित ‘अभिनंदन हम कोनाकेँ करी’ ,’कुचैरि कुचैरि कुचैरि बाजै कौआ’ आदि गीतक माध्यमसॅं अपन चिरपरिचित आवाजसॅं सब श्रोताकेँ मंत्रमुग्ध कयलैनि। सविता दास, ‘चलै चलू भोज खाय लs’ गीतक माध्यमसॅं प्रोग्राममे समा बांधि देलैन। इन्द्र देव चौधरी भला किनकोसॅं कम किए,ओहो अपना अंदाजमे भगवतीक गीत ‘भगवती अहां बसै छी गाम उच्चैठमे’, ‘हनुमान जीक गीत जाहिमे पूरा मिथिला भ्रमण हनुमानजी के करौलनि’।
सुधीर यादवक विद्यापतिक रचित ‘कुंजभवनसॅं निकसल रे’, प्रदिपजी केर रचित गीतक माध्यमसॅं सभकेँ मंत्रमुग्ध कयलैनि। कृष्ण कुमार जी भला पाछू किएक रहताह ओहो अपना अंदाजमे सभकेँ मंत्रमुग्ध कयलैनि। बीच-बीचमे प्रोग्रामक संचालक देवेन्द्र झा अपना अंदाजमे हंसीक फुलझरीक सुनाय सभकेँ खूब हंसौलैनि।
वरिष्ट संरिक्षाका रूनु मिश्रा, संरक्षक नवीन झा प्रोग्रामकेँ सफलता हेतु पूर्ण सहयोग प्रदान कयलैनि। टेक्निकल विभाग किनकोसॅं कम नहिं, दीपक आनंद मल्लिक, संजय मिश्रा पूर्ण तत्परतासँ लागल रहलथि।