संपादकीय

सीएए भारतीय मुसलमानक लेल कोनो खतरा नहिं

सीएए भारतीय मुसलमानक लेल कोनो खतरा नहिं
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नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ओहि कानूनक एकटा हिस्सा अछि जे पाकिस्तान, अफगानिस्तान आ बांग्लादेश सन पड़ोसी देशमे धार्मिक उत्पीड़नक कारण भागि कऽ आयल गैर-मुस्लिम शरणार्थीसभकेँ नागरिकता प्रदान करबाक प्रयास करैत अछि। ई अधिनियम विवाद आ बहसक विषय रहल अछि, किछु लोकक तर्क अछि जे ई मुसलमानक सङ्ग भेदभाव करैत अछि आ भारतक धर्मनिरपेक्ष संविधानक उल्लंघन करैत अछि। जखनि कि अधिनियमक समर्थकसभक तर्क अछि जे अपन धार्मिक मान्यताक कारण उत्पीड़नक सामना कयनिहार लोकसभक लेल सुरक्षित आश्रय प्रदान करब आवश्यक अछि। भारत सरकार बेर-बेर दोहरओलक अछि जे सीएए एकटा मानवीय कदम अछि जकर उद्देश्य उपेक्षित आ उत्पीड़ित लोकसभकेँ राहत आ सहायता प्रदान करब अछि।

भारतीय संविधानक अन्तर्गत भारतीय मुसलमानसभकेँ उपलब्ध सुरक्षा सीएएक प्रभावकेँ बुझबामे महत्वपूर्ण अछि। संविधान धर्मक स्वतन्त्रताक गारंटी दैत अछि आ धर्मक आधारपर भेदभावकेँ प्रतिबंधित करैत अछि। एहि तथ्यसँ इनकार नहिं कयल जा सकैत अछि जे भारतमे मुसलमानसभकेँ रुकि-रुकि कऽ हिंसाक सामना करय पड़ल अछि। यद्यपि, देशक कानून सदैव हिनका सहारा देलक अछि (किछुकेँ छोड़िकय) आ मामिलाक निर्णय निष्पक्ष न्यायपालिका द्वारा कयल गेल अछि। एकर अतिरिक्त, ई मानब महत्वपूर्ण अछि जे भारतक सांस्कृतिक आ सामाजिक तानाबानाकेँ आकार देबामे धर्मक महत्वपूर्ण भूमिका अछि। यद्यपि व्यक्तिकेँ अपन धर्मक पालन करबाक अधिकारक रक्षा करब महत्वपूर्ण अछि, मुदा अन्तर-धार्मिक समझ आ सम्मानकेँ बढ़ावा देनाइ सेहो ओतबे महत्वपूर्ण अछि। सीएएक वास्तविक इरादाक विषयमे जनताकेँ शिक्षित कऽ हम गलतफहमीकेँ रोकि सकैत छी आ विभिन्न धार्मिक समुदायक बीच सद्भावकेँ बढ़ावा दऽ सकैत छी। मुसलमानक लेल ई महत्वपूर्ण अछि जे ओ अपन देशक भीतर विविधताकेँ मान्यता देथि आ जश्न मनावथि, जाहिमे भारतकेँ बनाबयवाला विभिन्न धर्म आ संस्कृति सेहो सम्मिलित अछि। हुनका लोकनिकेँ सीएएकेँ अपन विरुद्ध भेदभावपूर्ण आ पूर्वाग्रहपूर्ण नहिं देखबाक चाही, जे मात्र विभाजन उत्पन्न करब आ ओहि विभाजनकारी ताकतक हाथमे खेलय चाहैत अछि आ भारतक बहुलतावादी तानाबानामे सेंध लगाबय चाहैत अछि। भारतमे मुसलमान नहिं तऽ विदेशी छथि आ नहिं शरणार्थी। भारतीय मुसलमान, जे स्वाभाविक रूपसँ भारतीय नागरिक छथि, हुनका उच्च सम्मान भेटैत अछि आ हुनका देशसँ जबरन निर्वासित नहिं कयल जा सकैत अछि। भारत सरकार अलग-अलग अवसर पर एहि बात केर दोहरौलक अछि। नागरिकता अधिनियम भारतीय मुसलमान वा कोनो आन नागरिकक नागरिकताक स्थिति पर कोनो प्रश्न वा खतरा उत्पन्न नहिं करैत अछि। नागरिकता संशोधन अधिनियमक उद्देश्य व्यक्तिकेँ नागरिकताक दर्जा रद्द करबाक बदला ओकर नागरिकता प्रदान करनाइ छैक।

भारतमे अल्पसंख्यकसभकेँ विकासक प्रक्रियामे समान भागीदार मानल जाइत अछि, जकर तात्पर्य भारतक भीतर विविध संस्कृति आ धर्मक मान्यता आ सभ समुदायक बीच सहिष्णुता आ स्वीकृतिकेँ बढ़ावा देनाइ छैक। नागरिकता संशोधन अधिनियम केर बिना कोनो भेदभाव वा पूर्वाग्रह केर निष्पक्ष आ पारदर्शी तरीकासँ लागू कयल जयबाक चाही। लोकक लेल ई महत्वपूर्ण अछि जे ओ सीएएक वास्तविक इरादाकेँ बुझथि आ भारतीय मुसलमानसभ पर एकर प्रभावक विषयमे गलत सूचना वा भय नहिं फैलाबथि।

अल्ताफ मीर,
पीएचडी विद्वान,
जामिया मिल्लिया इस्लामिया

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