संपादकीय

देशक आम नागरिक मात्र मतदानक अधिकारी रहि गेल अछि।

वर्तमान स्थिति एहेन भेल अछि कि, आम नागरिक देशक मतदाता वर्ग मात्र, मतदान करबाक अधिकारी रहि गेल अछि। देशक आम मतदाता मात्र अप्पन मतदान करैत नेताकेँ कुर्सी धरि पहुँचएबाक माध्यम बनल अछि। ई के कहत कि, कोन राजनीतिक दल कोन उद्योगपतिक कृपासँ सत्ता धरि पहुँचल अछि ? बुझा त’ रहल अछि जे, तमाम तरहक पाबन्दी आ नियम कानून मात्र आम नागरिक लेल बनाओल गेल अछि। आम नागरिकक हर क्रिया कलाप पर सरकारी एजेंसीक नजैर रहैत छैक, मुदा राजनीतिक दलके कतेक चंदा किनका द्वारा प्राप्त भेल एहि सभक जानकारी प्राप्त करबाक अधिकारी आम नागरिक नहि अछि।

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राजनीतिमे आब जाहि हिसाबेँ धन खर्च कएल जाइत अछि, त’ आवश्यक अछि कि, राजनेता आ राजनीतिक दल लेल आमदनीक स्रोतक व्यवस्था सेहो कएल जाए। आमदनीक नाम पर सामान्यतः राजनीतिक दल, स्वैच्छिक दान, क्राउड फंडिंग, कूपन बेचि, पार्टीक साहित्य बेचब, सदस्यता अभियान संगहि कॉर्पोरेट चंदासँ धन जुटबैत रहल अछि। मुदा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्सक रिपोर्टके मोताबिक कहल गेल कि, पाँच राष्ट्रीय पॉलिटिकल पार्टीके जे धन प्राप्त भेल, ओहिमे मात्र 11 प्रतिशत धन सदस्यता शुल्कके रूपमे प्राप्त भेल मतलब, पार्टी फंडमें बेनामी चंदा प्रचुर मात्रामे प्राप्त भेल। चुनावी चंदामे, पारदर्शिताके नाम पर मोदी सरकार द्वारा, राजनैतिक चंदाक प्रक्रियामे किछु पैघ बदलाव कएल गेल अछि । सरकारक तर्क अछि कि, राजनीतिक चंदामे पारदर्शिता अनबाक प्रयासके अंतर्गत, राजनीतिक दलके देल जाएवला नकद चंदाक विकल्पके तौर पर चुनावी बॉन्डके प्रस्तुत कएल गेल अछि। मामिलामे आवश्यकतासँ बेसी बयानबाजी भेल आ एखनहु ई चुनावी बांड, एकटा विवादित विषयक भांति भारतीय राजनीतिमे सुरक्षित अछि। एहि तमाम उठापटकके मध्य चुनावी बॉन्डक 30म किस्तके मंजूरी द’ देल गेल अछि। सरकार द्वारा राजनीतिक दलके चंदा देबाक लेल चुनावी बॉन्डक एहि नव किस्तके मंजूरी देल गेल अछि। काल्हिसँ एकर बिक्री सेहो शुरू भ’ गेल अछि। राजनीतिक चंदामे पारदर्शिता अनबाक लेल चुनावी बॉन्डक व्यवस्था, राजनीतिक दलके देल जाएवला नकद दानक विकल्पके रूपमे कएल गेल छल। जानकारक मानी त’ सरकार एहि तरहक चंदाक समर्थन एहि लेल लेल करैत अछि कि, सत्ताधारी दलके सभसँ बेसी चंदा प्राप्त भ’ सकए। एखन धरिक आंकड़ा पर गौर कएल जाए त’ ज्ञात होइत अछि कि, एहि माध्यमसँ सभसँ बेसी चंदा मात्र, सत्ताधारी दलके भेटैत छैक। विपक्षमे बैसल दलके लोक किएक चंदा देत ? विपक्षी दल द्वारा दानदाताके कोनो प्रकारक सहायता संभव नहि छैक त’ देखल गेल अछि कि, चुनावी बांडके माध्यमे अधिकांश चंदा मात्र सत्ताधारी दलके भेटैत छैक। स्थिति एहेन अछि कि, आम नागरिक एहि संबंधमें कोनो तरहक वृहत जानकारी सेहो नहि प्राप्त क’ सकैत अछि। एहि चुनावी बॉन्डक 30म चरणके स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के 2 जनवरीसँ 11 जनवरी धरि अप्पन 29 अधिकृत शाखाके माध्यमे इलेक्टोरल बांड जारी करबाक संगहि भुनएबाक लेल अधिकृत कएल गेल अछि। अधिकृत एसबीआई शाखामें बेंगलुरु, लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर आ मुंबई शामिल अछि। चुनावी बॉन्डके भारतीय नागरिक अथवा देशमे स्थापित कंपनी एवं संस्था बेसाहि सकैत अछि। नियमके मोताबिक पछिला लोकसभा वा विधानसभा चुनावमे कमसँ कम एक प्रतिशत मत प्राप्त कएनिहार पंजीकृत राजनीतिक दल, चुनावी बॉन्डके माध्यमे चंदा प्राप्त क’ सकैत अछि। वर्तमान स्थिति एहेन भेल अछि कि, आम नागरिक देशक मतदाता वर्ग मात्र, मतदान करबाक अधिकारी रहि गेल अछि। देशक आम मतदाता मात्र अप्पन मतदान करैत नेताके कुर्सी धरि पहुँचएबाक माध्यम बनल अछि। ई के कहत कि, कोन राजनीतिक दल कोन उद्योगपतिक कृपासँ सत्ता धरि पहुँचल अछि ? बुझा त’ रहल अछि जे, तमाम तरहक पाबन्दी आ नियम कानून मात्र आम नागरिक लेल बनाओल गेल अछि। आम नागरिकक हर क्रिया कलाप पर सरकारी एजेंसीक नजैर रहैत छैक, मुदा राजनीतिक दलके कतेक चंदा किनका द्वारा प्राप्त भेल एहि सभक जानकारी प्राप्त करबाक अधिकारी आम नागरिक नहि अछि। देशमे राजनेता आ राजनीतिक दल लेल फराक व्यवस्था छैक आ बुझि परैय’ जे ओ लोकनि एहि सभसँ उपर छथि। चुनावी बांडक योजना केंद्रीय बजट 2017-18 के अवधिमे वित्त विधेयक, 2017 मे प्रस्तुत कएल गेल छल, जहन केंद्रीय वित्त आ कॉर्पोरेट मामिलाक तत्कालीन मंत्री अरुण जेटली द्वारा राजनीतिक दलके नकद दानक अधिकतम सीमा 2,000 रुपैया धरि सीमित कएल गेल छल। राजनीतिक चंदा पर राजनीतिक दलक संग – संग सरकार सेहो हर चीज गुप्त राखए चाहैत अछि, सरकारके आम नागरिकक कमाईके एक-एक पाइयक हिसाब चाही, मुदा जहन राजनीतिक दलक चंदाक गप्प उठैत अछि त’ सभ चुप्पी साधि लैत अछि। एहि सन्दर्भमे सरकार त’ सर्वोच्च न्यायालयमें कहने छल कि, राजनीतिक दलक चंदाक विषयमे बुझबाक अधिकार जनता लग छैके नहि।

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