संपादकीय

मुस्लिम मतदाता वर्गमे भाजपाके ल’ क’ भ्रांति

धर्मेन्द्र कुमार झा (प्रबंध संपादक)
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भारतीय जनता पार्टी, आगामी लोकसभा चुनावके देखैत लगभग हर तरहक समझौता करबाक लेल विवश अछि, एहि क्रममे देशक राजनीतिमे बहुत उठापटक देखल गेल जे, एखनहुँ चलिए रहल अछि। शक्ति संग्रहके क्रममे, भाजपा ओ तमाम आंकड़ – पाथर उठा रहल अछि जे, निकट भविष्यमे भाजपा लेल सेहो संकट सिद्ध भ’ सकैत अछि। मुदा भाजपाक शीर्ष नेतृत्व, सभ गप्प बुझितो एखन 400 पार लेल एहि तरहक कार्य, ख़ुशी – ख़ुशी क’ रहल छथि। 400 पारक लक्ष्य प्राप्तिक लेल भाजपा मुख्य रूपसँ दक्षिणक राज्य दिस थोड़ेक बेसी आश्रित अछि, किएक त’ हिन्दीभाषी क्षेत्रमे भाजपाक सर्वोच्च प्रदर्शन विगत दू चुनावमे देखल जा चुकल अछि। त’ 400 पार लेल भाजपा लग, विकल्पक नाम पर मात्र ओ मतदाता वर्ग अछि, जे एखन धरि भाजपासँ दूर अछि वा ओ क्षेत्र, जतय भाजपा एखन धरि मात्र प्रयास क’ रहल अछि। सोझ भाषामे कहल जाए त’ जौं भाजपा, दक्षिणक राज्यमे किछु सीट बढ़बैत अछि त’ लक्ष्य प्राप्तिक मार्ग प्रशस्त भ’ सकैत अछि। तहिना भाजपा लग दोसर विकल्पके रूपमे मुस्लिम वर्गक मतदाता सेहो अछि, जे एखन धरि भाजपासँ दुरे रहब उचित बुझैत छथि। भाजपा अप्पन रणनीतिके अनुरूप देशक तमाम प्रमुख नेताके, हुनके गढ़मे घेरबाक तैयारीमें अछि। भाजपाक ई रणनीति विगत दू चुनावमे सहायक सेहो सिद्ध भेल अछि किएक त’ विगत चुनावमे सपा मुखिया अखिलेशके हुनकहि लोकसभामे बझा रखबाक लेल दिनेशलाल निरहुआके आजमगढ़सँ प्रत्याशी बनाओल गेल। ओना निरहुआ ओ चुनाव हारल छलाह, मुदा अखिलेशके ओहि चुनावमे अत्यधिक परिश्रम करए लेल विवश करबामे सफल भेलाह। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी त’ एकर प्रत्यक्ष उदहारण छथि, जिनका अमेठी त्यागि वायनाड जाए पड़लनि, मुदा एहि चुनावमे राहुलकेँ वायनाडमे पुनः घेरबाक प्रयास भ’ रहल अछि। तहिना मुसलमानक स्वघोषित नेता असदुद्दीन ओवैसीकेँ सेहो हुनकहि गृहक्षेत्र हैदरबादमे बान्हि क’ रखबाक पूरा तैयारी छैक। एहि लेल हैदराबादसँ भाजपा द्वारा अम्मा नामसँ प्रसिद्ध समाजसेवी माधवी लताकेँ प्रत्याशी बनाओल गेल अछि। माधवी लताक उम्मीदवारीक उपरांत आब हैदराबादक चुनावी मुकाबला अत्यंत रोचक होबय जा रहल अछि। 400 पारक लक्ष्य प्राप्तिक लेल भाजपा हर तरहक प्रयास त’ क’ रहल अछि, मुदा भारतीय मुस्लिम मतदाता वर्गमे भाजपाके ल’ क’ एखनहु, नाना प्रकारक भ्रान्ति मौजूद छैक। मुसलमान समुदायके भाजपा अपना संग जोड़बाक लेल भांति – भांतिक उपाय कएलक मुदा, देशक मुसलमान एखनहु भाजपाके मुसलमान विरोधी विरोधी मानैत अछि। मुसलमान समुदायक एकटा पैघ वर्गक मन्तब्य छैक कि, भाजपा सरकारमे हुनका सभक संग भेदभाव कएल जाइत अछि। आ, इएह भ्रम तोड़बाक प्रयास, भाजपा द्वारा समय – समय पर कएल जाइत छैक, की कहूना पार्टी अप्पन एहि छविसँ बहार भ’ सकए। एमहर भाजपा द्वारा कहल जाइत अछि कि, केंद्र सरकारक तमाम जनकल्याणकारी योजनाक अधिकांश लाभ, पसमांदा मुसलमानके भेटैत छैक। जौं, ओ सभ भाजपाक संग आबि जाए त’ चुनाव जीतएमे सहूलियत होयत। 2019 मे देखल गेल छल कि पार्टी, किछु सीट पर बहुत कम मतक अंतरसँ चुनावमे पराजित भेल छल, आ ओहि तमाम सीट पर पिछड़ा समाजक मुसलमान, निर्णायक भूमिकामे छल। फलतः भाजपाक राष्ट्रीय कार्यकारिणीमे सेहो किछु नाम शामिल भेल जे, तमाम राजनीतिक विश्लेषक लेल अप्रत्याशित छल। लोकसभा चुनाव 2024 के लेल हर राजनीतिक दल तैयार अछि, आ भाजपा त’ 370 पारक एकटा लक्ष्य सेहो निर्धारित कएने अछि। आब ई 300 सँ 370 धरि कोना पहुँचल जाए, एहि लेल भाजपाक रणनीतिकार पहिनहि एकटा रुपरेखा तैयार कएने छथि, जाहि पर एकटा योजनाक अंतर्गत कार्य कएल जा रहल अछि। ओना त’ पसमांदा मुसलमानक चर्च विगत किछु समयसँ बेसिए भ’ रहल अछि, मुदा वास्तविक स्थिति सेहो किछु तेहने सन छैक। एहि ठाम ई बुझब आवश्यक भ’ जाइत अछि कि, आखिर के अछि पसमांदा मुसलमान ? देशमे एहि वर्गक कतेक जनसँख्या अछि ? आ पसमांदा मुसलमानके जुड़लासँ भाजपाके कोनो चुनावी लाभ भेटि सकैत अछि वा नहि ? त’ एहि तमाम प्रश्नक उत्तर पीएम मोदीक वक्तव्यमे देखल जा सकैत अछि, जाहिमे ओ, अपील करैत कहने छलथि कि, भाजपा कार्यकर्ता मुसलमान लग पहुँचय आ तर्क संगहि तथ्यसँ हुनकर भ्रम दूर करबाक प्रयत्न करए। पीएम मोदी साफ़ शब्दमे कहने छलथि कि, मुस्लिम मतदाता लग पहुँचि कार्यकर्त्ता, हुनका सभकेँ बुझएबाक प्रयास करथि। आब जहन, स्वयं पीएम मोदी एहि तरहक आव्हान करैत छथि त’ लाभ – हानिक गणना संभवतः पहिनहि कएल जा चुकल होयत। किएक त’ पीएम मोदी ओहिना किछु, बाजयसँ बँचबाक प्रयास करैत रहल छथि। ओना पसमांदा, मूल रूपसँ फारसीसँ लेल गेल शब्द अछि, एकर अभिप्राय ओहि लोकक वर्गसँ अछि जे पछुआएल अछि, जे दबाओल आ सताओल गेल अछि । भारतमे रहनिहार मुसलमानमे 15 प्रतिशत उच्च वर्गक मानल जाइत छथि, जे अशरफके नामसँ जानल जाइत छथि। एकर अतिरिक्त 85 प्रतिशत अरजाल, अजलाफ मुस्लिम जे एखनहु पछड़ल छथि। एहि समुदायके पसमांदा कहल जाइत अछि। अनेको आंकड़ा ई साफ़ करैत अछि कि, पसमांदा मुसलमानक स्थिति, समाजमे ओतेक नीक नहि छैक। एहि समुदायक लोक, आर्थिक, सामाजिक आ शैक्षिक, हर तरहेँ एखनहु पछुआएल आ दबल छथि। मानल जाइत अछि कि, पसमांदा समाजक लोक देशक लगभग 18 राज्यमे छथि। यूपी, बिहार, राजस्थान, तेलगांना, कर्नाटक, मध्य प्रदेशमे एहि समाजक संख्या बेसी अछि, जाहिमे सभसँ बेसी संख्या उत्तर प्रदेशमे अछि। लगभग हर विधानसभा सीट पर एहि समाजक उपस्थिति निक संख्यामें अछि, जाहिमे लगभग 44 जाति, जेना राइनी, इदरीसी, नाई, मिरासी, मुकेरी, बारी, घोसी आदि शामिल अछि। देश भरिक आंकड़ाक गप्प करी त’ एहि समाजक मतदाता, लोकसभाक सौ सँ बेसी सीट पर अप्पन प्रभाव रखैत अछि। जनसंख्याक आधार पर देखल जाए त’ असम आ बंगालमे मुस्लिम जनसंख्या 25-30 प्रतिशत, बिहारमे लगभग 17 प्रतिशत, उत्तर प्रदेशमे लगभग 20 प्रतिशत, दिल्लीमे सेहो 10-12 प्रतिशत, महाराष्ट्रमे लगभग 12 प्रतिशत अछि, सभसँ बेसी केरलमे 30 प्रतिशत संख्या, मुस्लिम समुदायक अछि। एहि तमाम तथ्य पर चिंतन मनन करैत भाजपा, मुस्लिम समुदायक ओहि वर्ग पर अप्पन ध्यान केंद्रित करबाक प्रयास कएलक, जे मुलरूपसँ विपक्षी दलक वोट बैंक मानल जाइत अछि। ओना, भाजपा त’ उत्तर प्रदेशमे दोसर बेर सत्तामे आपसीक बाद पसमांदा मुसलमान, दानिश अंसारीकेँ स्थान द’ एकर संकेत पहिनहि द’ चुकल छल । एतबहि नहि, एकर उपरांत मोदी मंत्रिमंडलसँ मुसलमान समुदायक पैघ नामके सेहो हटा देल गेल । मतलब साफ़ छल कि, भाजपा आब मुसलिम मतदाताक समूहमे सेंधमारीक प्रयासमे अछि आ भाजपाक ध्यान मुसलमान समुदायक ओहि समाज पर केंद्रित छल जे, पसमांदा मुसलमानक नामसँ जानल जाइत अछि। जानकार मानैत छथि कि, यूपी चुनावमे योगी सरकारसँ भेटल लाभक चलते देवबंद सनक किछु मुस्लिम मत बीजेपीके सेहो भेटल छलैक। त’ एहि आंकड़ासँ उत्साहित भाजपाक इएह प्रयास छलैक कि, कहूना एहि समुदायक एकटा पैघ वोटबैंकमें सेंध लगाओल जाए। मुस्लिम राजनीतिक जानकारक कहब अछि कि, देशमे जेना हिंदुमे विभिन्न जातिक असर किछु सीट पर रहैत छैक तहिना मुसलमानोमे सेहो छैक। हिंदुमे त’ जातिक आधार पर मत विभाजित होइत रहल अछि, मुदा मुसलमानमे मतदानक समय गजबक एकजुटता देखल जाइत अछि। मुस्लिम मतदाता, कोनो एक दल अथवा एक प्रत्याशीके पक्षमे एकजुट भ’ मतदान करैत अछि। ओना त’ देशमे मुसलमानक सभसँ पैघ हितैषी, एआईएमआईएमके मुखिया असदुद्दीन ओवैसी, स्वयंके मानैत छथि मुदा मुसलमान मतदाता यूपीमे सपा आ बसपा, बिहारमे आरजेडी आ जेडीयू, पश्चिम बंगालमे टीएमसी, महाराष्ट्रमे एनसीपीक पक्षमे मतदान करैत देखल गेल अछि। तहिना दक्षिण भारतमे सेहो भाजपाक विरुद्ध जे दल, सभसँ बेसी मजगूत रहैत अछि, मुस्लिम मतदाता ओहि दलके पक्षमे मतदान करैत रहल अछि। एहि तरहक समीकरण विगत किछु दशकसँ देखल गेल अछि, पहिने एहि समुदायक एकमुश्त मत देशक सभसँ पुरान पार्टी कांग्रेसके पक्षमे जाइत छल। मुदा समयके संग मुस्लिम मतदाताक, कांग्रेस पार्टीसँ मोहभंग होइत रहल आ आब, एहि वर्गक मत पर कोनो एक दलक वर्चस्व नहि बाँचल। उपरोक्त तमाम विपक्षी दल, जाहिमे अधिकांश, क्षेत्रीय राजनीतिमे व्यस्त अछि, आरोप लगबैत रहल कि, कांग्रेस पार्टी मुस्लिम वर्गक, एखन धरि मात्र उपयोग करैत रहल अछि। देशमे सभसँ बेसी अवधि धरि कांग्रेस पार्टीक शासन रहल अछि आ मुसलमान एखनहु मुख्य धारासँ नहि जुड़ि सकल त’ एहि लेल निश्चित रूपसँ कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार अछि। आर्थिक आ सामाजिक तौर पर पछड़ल 85 प्रतिशत मुस्लिम शिक्षा, आर्थिक आ सामाजिक, हर स्तर पर पछुआएल अछि। त’ बाँचल 15 प्रतिशत मुसलमान आर्थिक आ सामाजिक तौर पर बहुत आगू अछि। तैं आब भाजपा, ओहि आर्थिक आ सामाजिक तौर पर पछड़ल मुसलमान पर अप्पन ध्यान लगौलक। भाजपाक केंद्र आ राज्य सरकारक अनेको योजनामे सेहो एहि वर्गक मुसलमानके लाभ देल जा रहल छैक। जौं भाजपाक ई दाव चलैत अछि आ एहि समाजक संग, पार्टीके भेटैत छैक त’ भाजपाके एकर लाभ सभसँ बेसी यूपी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सनक प्रदेशमे होयत, ई तय अछि। लोकसभा चुनाव 2024 के ल` क` भाजपा, जहन नव टीमक घोषणा कएलक त’ पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, अप्पन टीममे, 2024 के चुनावके देखैत, अनेको नव चेहराके शामिल कएने छलाह। किछु नाम एहेनो सोझा आयल जे राजनीतिक विशेषज्ञ लोकनिक सोचसँ परे छल। लोकसभा चुनाव 2024 आ मुसलमान मतदाताक संख्याके धायनमे रखैत भाजपा, अप्पन पार्टीमे दू गोट मुस्लिम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेहो बनौलक । एहिमे सँ एक अब्दुल्ला कुट्टी आ दोसर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटीक पूर्व चांसलर तारीक मंसूर छलाह। जानकार द्वारा कहल गेल कि, लोकसभा चुनाव 2024 के देखैत भारतीय जनता पार्टीक अध्यक्ष जे पी नड्डा, अप्पन नव टीमक घोषणा कएलनि अछि। पार्टी द्वारा जारी नामक सूचीमे वएह दू गोटक नाम अप्रत्याशित छल। किएक त’ जाहि राजनीतिक दलक, लोकसभा आ राज्यसभामे एक्कहुटा मुस्लिम सांसद नहि होय आ ओहि पार्टी द्वारा जहन, पार्टीमे दूटा मुस्लिम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाओल जाएत त’ स्वाभाविक छैक जे, एहि विषय पर तर्क – कुतर्क होयत। आखिर की कारण छैक कि, जे पार्टी, आई धरि चुनावमे मुस्लिमके टिकट देबयसँ बंचैत रहल, आ वएह पार्टी मुस्लिमके पार्टीक महत्वपूर्ण पद पर बैसौलक ? विगत किछु समयसँ देशमे पसमांदा मुसलमान सेहो, एकटा चर्चाक प्रमुख विषय सिद्ध भ’ रहल अछि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं एकटा कार्यक्रममे, पसमांदा मुसलमानक मुद्दा उठौने छलाह। प्रधानमंत्री अप्पन वक्तव्यमे कहने रहथि कि, वोटबैंकक राजनीति कएनिहार द्वारा, पसमांदा मुसलमानके तबाह कएल गेल। भाजपाक राष्ट्रीय कार्यकारिणीमे सेहो पीएम मोदी, भाजपा कार्यकर्ता आ नेता सभसँ पसमांदा मुसलमानके पार्टीसँ जोड़बाक लेल कहने छलथि। ओना भाजपाक क्रिया – कलाप देखि राजनीतिक जगतमे एहि तरहक अनुमान त’ पहिनहिसँ लगाओल जा रहल छल कि, लोकसभा चुनावसँ पहिने पार्टी, मुसलमानके पार्टी संग जोड़बाक प्रयास अवश्य करत। आब 400 पार लेल भाजपा द्वारा कएल गेल प्रयास कतेक कारगर सिद्ध होइत अछि, ई त’ चुनाव परिणामसँ साफ होयत।

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