संपादकीय

एक देश एक कानून

प्रो. मजहर आसिफ
(पूर्व डीन, स्कूल ऑफ लैंगवेजेज एंड कल्चर जेएनयू)
*

भारत विभिन्न बाह्य सांस्कृतिक आ धार्मिक प्रवासक पीड़ाक सामना करबाक बादो अपन हजारो सालक इतिहास, संस्कार, नैतिकता, विचार, परम्परा, अफकार आ ज्ञानक तेजकेँ प्रतिकूलो परिस्थितिमे एखनि तक सफलतापूर्वक प्रज्वलित रखलक अछि, किएक तँ एकर संस्कृति सार्वभौमिक अछि आ आचार-विचार सर्वकालिक अछि।
भारतक विचारधाराक नींव ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पर आधारित अछि। ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत्।।’ ई मात्र एकटा मंत्र नहि अछि, अपितु हमसभ एकरा पर दृढ़ विश्वास करैत छी आ वास्तवमे एकर पालन करैत छी। शायद इएह कारण अछि जे इकबालकेँ ई लिखबाक लेल विवश कयलक :-
‘सब मिट गए जहां से अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशां हमारा।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारा सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़मा हमारा।’ इएह गुण सभक कारण आइ हम सब दुनियामे अतुलनीय आ अद्भुत छी। जतय सभ देश आ धर्म अपनाकेँ श्रेष्ठ आ अन्यकेँ निम्नतर होयबाक दावा करैत अछि, ओतहि भारत ईसा पूर्व छठम शताब्दीमे ‘बहुजन हिताय बहुजन सुखाय’क उद्घोष कयलक आ पहिल बेर एहि विचारकेँ जन्म देलक जे अहाँ सभ सेहो ठीक ओहिना नीक छी जेना हमसभ नीक छी। १९५ देशमे भारत एकमात्र एहन देश अछि जतय हर धर्मक अनुनायी टा मात्र नहिं बल्कि ओकर उप-धर्मक अनुयायी सेहो पूर्ण धार्मिक आ सामाजिक स्वतन्त्रताक सङ्ग जीवन यापन कऽ रहल अछि आ करैत रहल अछि। भारत ओहि धर्मकेँ सेहो समान अवसर देलक अछि जकरा कोनो देश द्वारा स्थान नहिं देल गेल अछि, सम्मानपूर्वक पनपबाक अवसर देलक अछि। हम एहि कारण सेकुलर नहिं छी कारण हमर संविधान सेकुलर अछि, बल्कि हमर सनातनी विचार नहिं मात्र मनुष्यकेँ अत्यधिक सम्मान करबाक शिक्षा दैत अछि अपितु एहि पृथ्वी पर ईश्वर द्वारा निर्मित सभ जीवक प्रति स्नेह रखबाक प्रेरणा सेहो दैत अछि।सभ धर्म आ पंथक सम्मान हमर डीएनएमे शामिल अछि। आ ई सभ गुण भारतक संविधानमे नीक जकाँ परिलक्षित होइत अछि।
ई धारणा जे हम अनेकसँ एक भेलौंह अछि, नहिं केवल आधारहीन अछि अपितु भ्रामक सेहो अछि। हम एकसँ अनेक भेल छी। जहिना एकटा गाछमे ओकर डारि, ओकर पात, टहनी, ओकर फल आ फूल होइत अछि, तहिना भारतमे रहनिहार सभ लोक सनातनी छलाह, सभ सनातनी छथि आ इंशाअल्लाह सनातनी रहताह। हँ, हुनकर धार्मिक मान्यता अलग-अलग भऽ सकैत अछि। पूजा आ पूजाक विधि अलग-अलग भऽ सकैत अछि। कियो सनातनी मुसलमान भऽ सकैत अछि, कियो सनातनी ईसाई भऽ सकैत अछि, कियो सनातनी सिख आ कियो सनातनी यहूदी भऽ सकैत अछि। एकर स्वतंत्रता आ जमानत हमर देशक संविधान द्वारा देल गेल अछि। मुदा जे वोटक राजनीति करयवाला एहि मुस्लिम कौमकेँ धर्मक जंजालमे एहि तरहसँ फँसा कऽ राखि देलक अछि कि हम अपने वा अपन इतिहास, अपन परंपरा, अपन संस्कार आ अपन रीति-रिवाजसँ दूर होइत गेलौंह।दुर्भाग्यवश, ई स्थिति मात्र भारतेमे देखल जाइत अछि।ईरानी, इंडोनेशियाई, मलेशियाई आ अरबक लोकसभ इस्लामक अनुयायी होयबाक बादो अपन पूर्व-इस्लामी इतिहास, परम्परा आ संस्कृतिकेँ नहिं बिसरलक अछि आ ओहि पर बहुत गर्व सेहो करैत छथि।
संभवतः हमसभ नव-नव इस्लाममे परिवर्तित भेल छलौंह आ ई साबित करय चाहैत छलौं जे हम अरब आ ईरानीसँ नीक मुसलमान छी, तेँ हम अपने तहजीब आ तमद्दुनसँ अलग होइत गेलौंह। बस इएह कारण अछि जे आइ हम टोइजमक शिकार छी। चूँकि हम कम पढ़ल-लिखल छी, फलतः आसानीसँ गुमराह होइत आबि रहल छी। हमरा मुसलमान आ मोमिनमे फर्क मालूम नहिं।
शरीयतक इल्म नहिं। हम कुरान शरीफ पढ़बे नहिं कयलौंह। जँ पढ़ेलौंह अछि, तऽ समझलौंह नहिं, आ समझलौंह तऽ ओहि पर अमल नहिं कयलौंह। हमरा होवूक अल एबाद आ होवूक अल्लाहक फलसफा पता नहिं। अतः आसानीसँ गुमराह होइत आबि रहल छी। समान नागरिक संहिताक सन्दर्भमे सेहो इएह भऽ रहल अछि।
मुसलमानसभकेँ ई कहि गुमराह कयल जा रहल अछि जे आम नागरिक कानून हुनकर धार्मिक गतिविधिमे भारी बदलाव आनत। एहिसँ हुनकर नमाज आ रोजा एहेन धार्मिक प्रथामे किछु बदलाव होयत। ई इस्लामक पाँच स्तम्भमे प्रवेश करत, आ हिन्दू कानूनकेँ लागू करत, जे अनिवार्य रूपसँ आधारहीन आ झूठा प्रचार अछि। सामान्य नागरिक कानून कोनो धार्मिक प्रथाक धार्मिक गतिविधिमे कहियो हस्तक्षेप नहि करत। एकर गारंटी संविधानक अनुच्छेद २५ आ २६ द्वारा देल गेल अछि। ई कानून मात्र विवाह, तलाक, गोद लेब आ विरासतसँ सम्बन्धित अछि। हम निम्नलिखित कारणसँ सामान्य नागरिक कानूनक पुरजोर समर्थन करैत छी।
शरीयत बनैत अछि कुरानसँ, हदीससँ, इज्मा आ कियाससँ। कुरान शरीफमे जाहि कानूनी प्रावधानक चर्चा नहिं कयल गेल अछि ओकर वर्णन हदीस द्वारा कयल गेल अछि। जँ हदीसमे कोनो प्रावधान वर्णित नहिं अछि तँ इस्लामी विद्वानक बीच व्यापक विचार-विमर्शक बाद एकर निर्णय लेल जाइत अछि। जँ इस्लामी विद्वान आम सहमति पर पहुँचबामे विफल रहैत छथि तँ अनुमान लगाओल जाइत अछि जे कुरान आ हदीसक अमुख शब्द वा लेखनक ई अर्थ भऽ सकैत अछि। ई इज्माक परिणाम अछि जे आइ इस्लामी न्यायशास्त्रमे ५ विचारधारा अछि; हनफी, शापेई, मालेकी, हॅम्बली आ जापेरी विकसित भेल अछि आ ओहिमे विवाह, तलाक, रखरखाव, विरासत, प्रो मजहर आसिफ आ गोद लेबय केर संबंधमे बहुत रास मतभेद पाओल जाइत अछि। जेना, जँ कोनो मुसलमान नशामे रहलाक बादो अपन पत्नीकेँ तलाक दैत अछि तखन हनाफी मजहबक अनुसार तलाक भऽ जायत, मुदा अन्य मजहब एकरा तलाक नहिं मानैत अछि। एकटा पत्नी जे हनफी मजहबक अनुयायी छथि, जँ हुनक पति अनिश्चित कालसँ लापता छथि (मफवुद), तखन हुनका ओहि अवधि धरि प्रतीक्षा करय पड़त जखन हुनक आयुक लोकक निधन भऽ गेल होय, वा जखन ओ लगभग ९० वर्षक आसपास होइथ। मुदा, शापेईं, मालेकी, हंबली मजहबक अनुसार एहन पत्नीकेँ मात्र ४ साल प्रतीक्षा करय पड़त। समान नागरिक कानून लागू भऽ गेलासँ हनफी-मालेकी हंबली आ शापेई धर्मक बीच जे मतभेद अछि, से समाप्त भऽ जायत।
ई कानून विभिन्न मतभेदकेँ एकजुट करय के काज करत, ई वोट बैंकक राजनीतिकेँ समाप्त करयमे मददगार साबित होएत, ई महिलाकेँ समान अधिकार देतै आ हुनकर स्थितिमे सेहो सुधार होएत, जहिना पैजदारीक सब धारा सब नागरिक पर समान रूपसँ लागू अछि, तहिना दिवानीक धारा सभ सेहो सबहक उपर समान रूपसँ लागू होएत, जाहिसँ भेदभाव समाप्त होयत।
इस्लामी शरीयतक अनुसार इंसानक ऊपर दू प्रकारक हुवूक होइत अछि। पहिल हुवूक खूदाक होइत अछि जेना हुनका पर यकीन करब आ हुनका संग किनको शरीक नहिं मानब।
हुनका द्वारा पठाओल गेल सभटा दूत पर विश्वास करब आ हुनक आज्ञाक पालन करब। नमाज, रोजा, हज, जकात आदिकेँ खालिस नियतिक संग कड़ाईसँ पालन करब। एहि हुवूककेँ हुवुक अल अल्लाह कहल जाइत अछि। दोसर हुवूक इंसानक इंसानकेँ उपर होइत अछि, जकरा हुवूक अल एबाद (मानव अधिकार) कहल जाइत अछि। सूरा ४ आयात ३६ मे खुदा कहैत छथि : अल्लाहक इबादत करू आ किनको हुनका सङ्ग साझी नहिं ठहराउ एवं अपन माता-पिताक सङ्ग आ सम्बन्धी, अनाथ, पड़ोसी, दूरक पड़ोसी, अपन साथी, यात्री आ अहाँक दहिना हाथ रखनिहारक सङ्ग भलाई करू। सचमुच, अल्लाह ओ लोकसभकेँ पसिन्न नहिं करैत अछि जे धोखा दैत अछि आ घमण्ड करैत अछि। (४:३६) एकर अतिरिक्त, मानवजातिक प्रति सहानुभूति, जानवरकेँ कष्ट नहिं पहुंचायब, एकत्र होयबाक शिष्टाचार, वार्तालापक शिष्टाचार, भेँटक शिष्टाचार आदि हुवूक अल एबादमे सम्मिलित अछि। इस्लाममे हुवूक अल-एबादकेँ हुवूक अल-अल्लाहसँ श्रेष्ठ मानल जाइत अछि।

हमर स्पष्ट विचार अछि जे सामान्य नागरिक संहिता शरीयतक मोखलिफ नहिं अछि अपितु शरीयतक मोआफिक अछि। अतः एकर स्वागत खुला मन आ हृदयसँ करबाक चाही।
जखन कोनो देश लग एकटा ध्वज, एकटा आधार कार्ड, एकटा राशन कार्ड, एकटा पाठ्य पुस्तक, एकटा स्थायी खाता संख्या, एकटा फौजदारी आईंन भऽ सकैत अछि, तखन सामान्य नागरिक संहिता किएक नहि ?

जनतब : समान नागरिक संहिताक मसौदा तैयार करबाक लेल सभ धर्मक न्यायशास्त्र विशेषज्ञ आ सभ धर्मक कानूनी विशेषज्ञसभक एकटा उच्चस्तरीय समितिक गठन कयल जयबाक चाही।
सामान्य नागरिक संहिताक मसौदा तैयार करैत काल संविधानक अनुच्छेद १४ आ १५ केँ ध्यानमे राखल जेबाक चाही। किएकि ई समयक मांग अछि। सभ नागरिकक लेल समान नागरिक संहिता अनबाक ई सबसँ नीक समय अछि। अनुच्छेद १४क महत्वकेँ बुझैत पूरा देशमे अनुकूल वातावरण बनयबाक चाही। समान नागरिक संहितामे धर्म आ समुदायक सर्वश्रेष्ठ, वैज्ञानिक आ उत्कृष्ट व्यक्तिगत कानूनकेँ शामिल करबाक ईमानदार प्रयास कयल जयबाक चाही।

(लेखक स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज एंड कल्चर जेएनयूकेँ पूर्व डीन छथि। )

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *