जम्मू-कश्मीरक शोपियां जिलाक हीर पोराक घना जंगलमे प्राचीन नक्काशी आ संरचना ताकल गेल अछि, जाहिसँ एहि क्षेत्रक सांस्कृतिक आ धार्मिक इतिहासक झलक भेटैत अछि।
पहाड़क चट्टान पर भेटल ई नक्काशी हिन्दू देवता आ प्रतीककेँ दर्शाबैत प्रतीत होइत अछि, यद्यपि एहि मामिलामे एखनो सटीक जानकारीक अपेक्षा अछि।
ऊँच पहाड़ी पर उकेरी गेल नक्काशीमे हिन्दू देवी-देवताक आकृति आ प्रतीक चिन्ह देखाई पड़ि रहल अछि। मुदा, एहि देवी-देवताक पहिचान एखनि धरि स्थापित नहि भेल अछि। नक्काशीमे देवी-देवताक प्रतीक चिह्न संकेत दैत अछि जे ई स्थान प्राचीन कालमे धार्मिक गतिविधि आ पूजाक केन्द्र रहल होयत।
ई नक्काशी स्थानीय गामक लोक आ जंगलक मार्गक खोज करयवाला पर्वतारोही सभकेँ भेटल। एहिमे देवताक छवि, प्रतीक, आ प्राचीन लेखनक धुंधला निशान सम्मिलित अछि।
ई स्थल हीर पोरामे मुगल रोडसँ लगभग ३ किलोमीटर दूर स्थित अछि आ मात्र पैदल पहुँचल जा सकैत अछि। एहि खोज धरि पहुँचबाक लेल कठिन मार्गसँ गुजरय पड़ैत अछि।
आगूक अन्वेषणसँ एहि प्राचीन नक्काशीक विषयमे बेसी जानकारी भेटबाक आशा अछि। एहि तरहक खोज नहिं मात्र स्थानीय इतिहासकेँ बुझबामे सहायता करैत अछि अपितु सांस्कृतिक विरासतक संरक्षणक दिशामे एकटा महत्वपूर्ण डेग सेहो साबित होइत अछि।
स्थानीय इतिहासकार आ पुरातत्वविदसभकेँ एहि स्थलक जाँच करबाक आ एकर महत्वक पुष्टि करबाक लेल कहल गेल अछि। एकटा स्थानीय प्रबुद्ध व्यक्ति कहलनि, “ई खोज हमरासभकेँ एहि क्षेत्रक सांस्कृतिक विरासतकेँ संरक्षित करबामे सहायता कऽ सकैत अछि।”
गामक लोककेँ एहि खोज पर गर्व अछि आ आशा अछि जे ई शोपियांक ऐतिहासिक महत्वकेँ उजागर करत। ओ नक्काशीकेँ क्षति आ कटावसँ बचयबाक अपील सेहो कयलनि।
एहि खोजसँ इतिहासकार आ सांस्कृतिक विशेषज्ञलोकनिक बीच रुचि बढ़ि गेल अछि, जे एहि स्थलकेँ संरक्षित करबाक लेल तत्काल प्रयासक आग्रह कऽ रहल छथि। ई खोज हमरासभकेँ कश्मीरमे नुकायल समृद्ध इतिहासक स्मरण कराबैत अछि, जकर अन्वेषण आ समझबाक आवश्यकता अछि।