बिहारक मतदाता सूचीक गहन संशोधनक लेल विपक्षी दल चुनाव आयोग पर कड़ा हमला कयलक अछि। ओतहि चुनाव अधिकारी मंगलदिन कहलनि जे ई प्रक्रिया पूर्णतः समावेशी अछि। सब किछु एहिमे शामिल भऽ गेल अछि। एहि पर जतेक आरोप लगाओल जा रहल अछि ओ निराधार आ बेतुका अछि।
दरअसल, मतदाता सूचीमे संशोधनक संबंधमे विपक्ष चुनाव आयोग पर अपन हमला तेज कय देलक अछि। विपक्षक कहब अछि जे एही कारणसँ करोड़ों मतदाताकेँ मताधिकारसँ वंचित कयल जायत।
सुप्रीम कोर्ट सोमदिन बिहारमे मतदाता सूची संशोधन वा गहन संशोधनकेँ चुनौती देबय वला याचिका पर 10 जुलाईकेँ सुनवाई करबा पर सहमत भऽ गेल।
एहि मामिलामे विपक्षी दल कांग्रेस, राकांपा (शरद पवार गुट), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, झामुमो, माकपा आ माकपा (एमएल) केर नेता संयुक्त रूपसँ अदालतसँ संपर्क कयलनि। एहि सालक अंतमे बिहारमे होबय वला चुनावसँ पहिने चुनाव आयोगकेँ विशेष गहन संशोधन करय केर फैसलाकेँ खिलाफ कतेको आओर याचिका सेहो सुप्रीम कोर्टमे दायर कयल गेल अछि।
सर्वोच्च अदालतमे सुनवाईसँ पहिने चुनाव आयोगक अधिकारी कहलनि जे संशोधन प्रक्रिया सर्वव्यापी अछि। बिहारमे मौजूदा 7,89,69,844 मतदाता धरि हम पहुंच रहल छी। ओ कहलनि जे, मतदाताक नाम, पता, पुरान फोटो आदि केर विवरणवला पहिलेसँ भरल गणना फॉर्म सभ मौजूदा मतदाताकेँ उपलब्ध कराओल गेल अछि। 7.69 करोड़ यानी 97.42 प्रतिशत मतदाताकेँ फॉर्म बांटल गेल अछि। बूथ स्तरक अधिकारी सभ घरमे कमसँ कम तीन बेर जा कय भरल गेल गणना फॉर्म जमा कय रहल छथि, जाहिसँ कोनो व्यक्ति छूटथि नहि।
ओ कहलनि, पहिल चरण पूरा भऽ गेल अछि, दोसर चरण चलि रहल अछि। बहुतो मतदाताक निधन भऽ गेल अछि वा शिफ्ट भऽ गेल अछि वा पलायन कय गेल अछि। जे सब गणना फॉर्म जमा कयने छथि हुनका 1 अगस्तकेँ प्रकाशित होबय वला मतदाता सूचीक मसौदामे शामिल कयल जाएत। निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ओहि सभ मतदाताकेँ शामिल कय मतदाता सूचीक मसौदा तैयार करताह जिनकर गणना फॉर्म 25 जुलाईसँ पहिने भेटि गेल अछि।
ओ कहलनि, एक सितम्बरसँ समाप्त होबयबला दावा आ आपत्तिक अवधिमे पात्रता दस्तावेज सेहो अलगसँ जमा कयल जा सकैत अछि। मतदाताक पात्रता संविधानक अनुच्छेद 326 केर अनुसार अछि, जकरा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 केर धारा 16 आ 19 केँ संगे पढ़ल जाए।
जनतब, जे व्यक्ति भारतक नागरिक अछि, 18 सालसँ कम उम्र केर नहि, क्षेत्रक निवासी अछि आ कोनो कानूनक तहत अयोग्य नहि अछि तँ ओ मतदाता सूचीमे शामिल होयबाक पात्र अछि।
मतदाता सूचीसँ नाम तखनहि हटा देल जाएत, जखनि ईआरओ जांचक बाद फैसला करत। ई फैसला डीएम वा सीईओ केर सामने सेहो अपीलीय अछि। मसौदा रोलक प्रकाशनक बाद ईआरओ प्रस्तावित मतदाताक पात्रताक जांच करत। ओ दस्तावेज आ फील्ड रिपोर्टक आधार पर कोनो निष्कर्ष पर पहुंचताह।
कोनो मतदाताक पात्रताक संबंधमे कोनो तरहक संदेहक स्थितिमे ईआरओ नोटिस देत आ अपन पक्ष पेश करय केर मौका देत।
ईआरओकेँ फैसलासँ असंतुष्ट कोनों व्यक्ति डीएमसँ अपील कय सकैत अछि आ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 केर धारा 24 केर अनुसार डीएम केर आदेशक खिलाफ फेरसँ सीईओसँ अपील कय सकय छथि।