समारोह

मैसाम द्वारा मैथिली मातृभाषा दिवसक अवसर पर ” आरसी प्रसाद सिंह” विषय पर आयोजित दसम वार्षिक संगोष्ठी सफलता पूर्वक सम्पन्न

नई दिल्ली
*

कार्यक्रमक प्रारम्भ अतिथि लोकनिक द्वीप प्रजव्वलन आ श्रीमती सोनी चौधरी, श्रीमती सुधा ठाकुर, श्रीमती निशा झा इत्यादिक द्वारा गोसाऊनिक गीत सँ कएल गेल।

मैसामक अध्यक्ष श्री राहुल झा अपन उद्बोधनमे सभागारमे उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार, विद्वतजन आ प्रबुद्ध श्रोताक सहभागिता लेल आभार प्रकट केलनि। संगहि मैसामक उद्देश्य आ विगत नौ बरखक उपलब्धिकेँ उल्लेख केलनि। मैसामक वेबसाइट केँ लोकार्पण संग वरिष्ठ साहित्यकारक लेल एक गोट नब पुरस्कार “लाइफ टाइम एचीवमेंट” आगु बरखसँ प्रारम्भ करबाक घोषणा केलनि। अपन वक्तव्यमे मैसाम केँ दसम बरख पूर्ण होमय पर दिल्लीमे भव्य कार्यक्रम करवाक योजनाक सेहो सूचना देलनि। शीघ्र नवसदस्य सभ केँ जोड़ि मैैसामके सदस्यक संख्या पचास धरि कएल जायत।

एहि के उपरान्त प्रथम वक्ता केँ रूपमे युवा लेखक उज्ज्वल कुमार झा कहलनि जे आधुनिक मैथिली साहित्य के एकटा चमकैत सितारा छलथि कवि श्री आरसी प्रसाद सिंह। हिनक जन्म समस्तीपुर जिलाक एरौत गाममे जन्माष्टमीक दिन 19 अगस्त 1911 ई. मे भेल छलनि आ देहावसान 15 नवंबर 1996 के भेलन्हि। स्वाध्यायक बल पर ई विपुल ज्ञान अर्जित कएलनि। कवित्व शक्ति हिनकामे जन्मजात छलनि, ई वस्तुतः भारतीय साहित्यक निर्माता छलाह, मैथिली आ हिन्दीमे हिनका द्वारा रचित साहित्य संसार अनन्त काल धरि अगिला पीढ़ी केँ प्रेरणा प्रदान करैत रहत। ई जीवन पर्यन्त साहित्य साधनामे लागल रहलाह। हिनक कवितामे मुख्यरूप सँ प्रकृति प्रेम भेटैत अछि। मानवतावाद ओ राष्ट्रवाद, मातृभाषा प्रेम, आध्यात्मिक गौरव बोध आदि विषय समाग्री पर आरसी प्रसाद जी खूब लिखलनि। मैथिली आ हिन्दीमे हिनक प्रकाशित रचना लगभग सत्तरि गोट छनि आ कतेको अप्रकाशित कृति सेहो छनि। हिनक प्रकृति प्रेम परक कविता विभिन्न फूलक नाम सँ लिखल गेल अछि, ई कविता जतबे माधुर्य आ कोमल अछि ओतबे जीवनक दर्शनक प्रेरणा सेहो दैत अछि। हिनक बहुमूल्य रचना सूर्यमुखी कविता संग्रह जाहिमे मैथिली साहित्यक विभिन्न भाव धारा भरल अछि, कतहु सँ देश प्रेमक भवना भेटैत अछि तँ कतहु प्रकृति प्रेम आ मिथिलाक माँटि-पानिक सुगन्ध, एहि कविता संग्रह पर श्री आरसी प्रसाद सिंह जी केँ साहित्य अकादमी पुरस्कार सँ सम्मानित कएल गेल छलनि।

श्री आरसी प्रसाद सिंह जी प्रारंभमे हिन्दीऐ मे लिखैत छलाह, जाहिमे मुख्य रूप सँ कविता, प्रबंध काव्य, गीत कहानी, बाल कहानी आ समीक्षा लिखलनि अछि। बादमे ओ श्री भुवनेश्वर सिंह भुवन जी के प्रेरणा सँ मैथिली मे लिखब प्रारंभ कएलनि जाहिमे मुख्य अछि माटिक द्वीप, पूजाक फूल, मेधदूत आ सूर्यमुखी। अपन रचनामे श्री आरसी प्रसाद जी तत्कालिन समस्या सभक संगहि मानवीय संवेदना केँ अति सुक्ष्म पर्यवेक्षण कएलनि। मिथिला प्रदेश आ मैथिली भाषाके प्रति हुनक प्रेम एवं सम्मान हुनक कविता सबमे परिलक्षित होईत अछि। अपन रचनामे श्री आरसी प्रसाद सिंह जी प्रकृतिक सुषमाक संगहि ओकर विद्रूपता एवं प्रलयकारी रूपक चित्र चिताकर्षक रूपमे कएलनि। हिनक भाषामे एक दिस ओज भरल अछि त’ दोसर दिस मानवीय भवनाक उद्गार, युवा शक्ति पर हिनका अखण्ड विश्वास छनि। मैथिली साहित्यमे प्रगतिवादक सम्वाहक रूपमे कवि आरसी प्रसादक महत्वपूर्ण स्थान अछि। हिनका सुर्यमुखी कविता संग्रह पर 1984 ई. मे साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल छलनि।

अपन उत्कृष्ट मंंच संचालनमे मैैसामक उपाध्यक्ष हेमन्त झा जी कहलनि जे आरसी प्रसाद सिंह रोमांटिक रचनाकार छलथि। ओ जीवन आ यौवनक कवि कहबैत छलाह।

दोसर वक्ता प्रो. राजीव वर्मा मैसामक स्थापना केर नवम बरख आ अन्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस केँ बधाई देलनि। ओ कहलनि जे आरसी प्रसाद सिंह आ हुनक विस्तृत लेखन के बुझबाक लेल हिनक दुनु भाषामे कएल रचना के पढ़य पड़त। स्वतंत्रता सँ पुर्व आ स्वतंत्रताक बाद हुनका लेखनमे भिन्नता छनि। ओ एहि सँ आगु कहलनि जे हिनक पहिल कविता “शेफालिका” पर हुनक मायक नाम शेफालिका पड़लनि। आरसी प्रसाद सिंह अबाध रूपें साहित्य सृजन जीवन भरि केलनि। आरसी प्रसाद सिंह स्वाभिमानी व्यक्तित्व लोक छलथि, कतेको नौकरी ओ एहि लेल छोड़लनि। आरसी प्रसाद सिंह तंत्र साधना, अध्यात्म आ व्यक्तिवाद पर रचना कयलनि। हिन्दीक वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह कहब छलनि जे आरसी प्रसाद रोमांटिक सँ आध्यात्म दिस उन्मुख भेला। बहुरूपिया कविता पर राजीव जी प्रकाश डालनि।

तेसर वक्ताक रुपमे वंदना झा कहलनि जे कलिदासक विशेष रचना संस्कृतमे लिखलनि मुदा बादमे ओ अपभ्रंशमे सेेहो लिखलनि। मैथिली भाषा के विशिष्टता आ विभिन्नता (टर्मोलोजी) के बात ओ कहली। वंदना जी कहलनि जे अपन भाषामे कॉन्फिडेंट होइत अछि। आरसी प्रसादक एकटा कविता…मेघ पड़ै छैक……..ओ गाबि क’ सुनोलनि, ई कविता हुनक माँ गाबैत छलखिन। ओ कहलनि जे मायक स्मृति मातृभाषाक स्मृति करबैत अछि। ओ अपन वक्तव्यमे मातृभाषाक महत्व पर जोड़ देलनि। आरसी प्रसाद हिन्दी सँ मैथिली लेखनमे अएला ई जानब महत्वपूर्ण अछि।

एहि विचार गोष्ठीक मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार आ बहुभाषाविद सुभाष चन्द्र यादव कहलनि जे आरसी बाबू रोमांटिक कवि आ प्रेरक व्यक्तित्व छलाह। आरसी बाबू दिव्य स्वरूप आ आकर्षक व्यक्तित्वक स्वामी छलाह। एखनधरि हुनका साहित्यजगतमे ओ सम्मान नहि भेट सकलनि जकर ओ अधिकारी छलाह।

एहि कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. राम नरेश विकल जी अपन अध्यक्षीय उद्बोधनमे जोड़ दैत कहलनि जे आरसी प्रसाद सिंहक नाम राम चन्द्र प्रसाद सिंह वा रमेश चन्द्र प्रसाद सिंह नहि छलनि, हुनक नाम आरसी प्रसाद सिंह छलनि। आरसी केर अर्थ होइछ दर्पण तैँ नामक सार्थकता त’ छैके। आरसी प्रसाद सिंह २ अक्टूबर १९३६ सँ मैथिलीमे लिखय लगला। ओ माँ भगवती के समर्पित कने छलखिन अपन पोथी माटिक दीप आ पूजाक फूल। ओ कथा सेहो लिखलनि। हुनक ५६ गोट कथा विभिन्न पत्रिकामे प्रकाशित अछि। जयपुर केर राजा राजकवि रूपमे हिनका आमन्त्रित केलनि मुदा ओ इ प्रस्ताव अस्वीकार क’ देलनि।आरसी जीक सम्म्मानमे हिनक गाम ऐरौतक नाम आरसी नगर राखल गेल अछि।

कार्यक्रमक मध्यमे मैसामक अर्धवार्षिक पत्रिकाक चारिम अंक ‘अपुर्वा’ जकर संपादन श्री संजीव सिन्हा आ श्री उज्ज्वल झा संयुक्त रुपसँ केलनि अछि तकर लोकार्पण भेल। सभागारमे मैसामक कार्यकारणी आ पदाधिकारीगण के अतिरिक्त अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित छलाह जाहिमे मैसामक पुर्व अध्यक्ष श्री सुनीत ठाकुर, उपाध्यक्ष श्री शुबोध झा, श्री टी. एन. झा, श्री संजीव सिन्हा, श्री हेमंत झा, श्री मनोज झा महासचिव श्री केशव झा, श्रीमती सोनी चौधरी, कोषाध्यक्ष श्री आशीष नीरज, सचिव श्री अरुण कुमार मिश्र, श्री उज्ज्वल झा, श्री सुर्य नारायण यादव, श्री पंकज झा कार्यालय सचिव श्री आनन्द दास, कार्यकारणी सदस्य श्री अखिलेश मिश्र, श्रीमती रीता ठाकूर, श्रीमती बानी झा बबली, श्रीमती निशा झा इत्यादि प्रमुख छलैथ। दर्शक आ श्रोतावर्गमे साहित्यकार डा. आभा झा, श्री मणिकांत झा, डा. विभय झा, योगगुरु काजल चौधरी, श्री प्रभाकर मिश्र, श्री रमेशचंद्र झा, श्री रामबाबू सिंह, श्री बलदेव झा, श्री हरिमोहन झा, श्री असीम कुमार झा, श्रीमती आभा झा, श्रीमती रीना झा इत्यादिक गरिमामय उपस्थिति छलनि।

कार्यक्रमक अंतमे मैसामक सचिव श्री सुर्य नारायण यादव धन्यवाद ज्ञापित करैत कार्यक्रम समाप्तिक घोषणा कयलनि ।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *