धर्म-संस्कृति

अपरम्पार अछि राम नामक जापक महिमा : आचार्य श्रीनटवर महाराज

दरभंगा समदिया
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मनीगाछी प्रखंड अंतर्गत टटुआर गाममे अवस्थित प्राचीन सिद्धेश्वरनाथ महादेव मंदिर परिसरमे चलि रहल श्रीवाल्मीकि रामायण कथा ज्ञान यज्ञ केर दोसर दिन आचार्य श्रीनटवर महाराज भगवान रामक नाम जापक पुराणमे वर्णित महिमाक गुणगान करैत बतौलनि जे हुनक नामक उनटो जापक प्रतापसँ कोना डाकू रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि बनि गेलाह। ओ बतेलनि जे राम नामक जापसँ सभ पाप मेटा जाइत अछि आ मनुष्यकें मोक्षक प्राप्ति होइत अछि। एहि संदर्भमे महर्षि वाल्मीकि केर कथा बहुत प्रसिद्ध अछि। जे कहियो एकटा डाकू छलाह ओ भगवान राम केर उनटा नाम ‘मरा-मरा’ जपिकऽ सेहो महर्षि भऽ गेलाह आ महाकाव्य रामायण केर रचना कयलनि।
ओ बतोलनि जे विभिन्न पौराणिक कथाक अनुसार वाल्मीकि केर असली नाम रत्नाकर छलनि। अंगिरा गोत्रक ब्राह्मण कुलमे हिनक जन्म महर्षि कश्यप आ अदिति केर नवम पुत्र वरुणक पुत्र रूपमे भेल छल। जे आदित्य आ प्रचेत नामसँ सेहो जानल गेलाह। हुनकर माताक नाम चर्षणी आ भाइ केर नाम भृगु छल। वनमे भील लोकनिक संगतिमे रहिकऽ ई लूटपाट आ हत्या करय लागल। एक बेर हुनका घनघोर वनमे नारद मुनि भेटलखिन तऽ रत्नाकर हुनको लूटबाक प्रयास कयलक। नारदजी जखन लूटक कारण पूछलनि तऽ रत्नाकर परिवार केर पालन लेल ई कर्म करबाक बात कहलक। ई सुनि नारद मुनि पूछलनि जे तू परिवार लेल जे अपराध करैत छें, की ओकर सजामे तोहर परिवारक लोक सेहो भागीदार बनतौ ?
एहि प्रश्नक जवाब बूझबा लेल जखन रत्नाकर नारदजीकें गाछसँ बान्हि कऽ घर पर गेल आ बेराबेरी परिवारक सभ सदस्यसँ पूछलक तऽ सभ कियो ओकर एहि पापमे हिस्सेदार बनबासँ मना कऽ देलक। एहि पर ओकरा अपन गलती पर खूब पछतावा भेलैक। ओ घुरि कऽ आयल आ नारद मुनि केर चरण धऽ लेलक आ एकरा बाद देवर्षि नारदजी ओकरा भक्ति केर उपदेश दऽ राम नाम केर मंत्र देलनि। मुदा बहुत बेसी पाप केलाक कारणे रत्नाकर केर मुँहसँ राम नामक उच्चारण नहिं होयबाक बात कहलक। तखन नारदजी बहुत सोचिकऽ ओकरा राम नामक उनटा कऽके मरा- मरा जपबा लेल कहलनि। जकर बादसँ ओ लगातार मरा- मरा कहय लागल। ई मरा-मरा कहलासँ ओ नाम स्वत: राम-राम भऽ गेल।

कथाक क्रममे ओ रत्नाकर केर नाम वाल्मीकि पड़बाक संदर्भकें उजागर करैत बतेलनि जे रत्नाकर खूब नम्हर समय धरि वनमे एकहि जगह पर बैसि पूर्ण तन्मयतासँ राम नाम केर जाप कऽ रहल छलाह। ई करैत हुनका शरीर पर दीमक केर पहाड़ सन जमि गेल छल। चूंकि दीमक केर घरकें वाल्मीक कहल जाइछ, तें ओ सेहो वाल्मीकि कहेलाह। भगवान राम नामक कृपासँ एहि संसारक आदि कवि भेलाह आ वाल्मीकि रामायण नामक महाकाव्य केर रचना कयलनि। एहि प्रकारसँ लगातार राम नामक जापक फलसँ वाल्मीकि डाकूसँ महर्षि बनलाह। ई कथा ज्ञान यज्ञ आगामी १० मार्च धरि चलत।

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