इलाहाबाद विश्वविद्यालयक प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी)क रिपोर्टकेँ संदिग्ध बतौलनि, जाहिमे दावा कयल गेल छल जे गंगा नदीक पानि आब स्नानक लेल उपयुक्त नहि अछि। एहि रिपोर्टक विश्वसनीयताकेँ पूर्णतः खारिज करैत प्रोफेसर कहलनि जे गंगा नदीक जल स्नानक लेल उपयुक्त अछि। अहाँ एहिमे नहा सकैत छी।
ओ सीपीसीबीक रिपोर्टमे उल्लिखित बिन्दुसभक उल्लेख करैत कहलनि जे एहि रिपोर्टमे बहुत रास आँकड़ा नुकायल गेल अछि, जकर खुलासा नहि कयल गेल अछि। ओ कहलनि जे जखनि ओ ओहि आँकड़ाकेँ देखलनि तँ पता चलल जे घुलित ऑक्सीजनक स्तर नीक छल। जल स्नानक लेल पूर्णतः उपयुक्त अछि। बीओडी स्तर सेहो दृश्यमान अछि। यद्यपि, सीपीसीबी अपन आँकड़ामे फीकल कोलीफॉर्मकेँ बढ़ा-चढ़ा बतेलक अछि। हमरा लगैत अछि जे सीपीसीबीकेँ अपन स्रोतक खुलासा करबाक चाही।
ओ कहलनि जे जँ सीवेज आ औद्योगिक अपशिष्ट गंगा आ यमुनामे जा रहल अछि तखनि नाइट्रेट आ फॉस्फेटक वेल्यू बढ़बाक चाही। मुदा, सीपीसीबी अपन आंकड़ामे एकर उल्लेख नहि कयलक अछि। एकर अतिरिक्त, जखनि कोनो व्यक्ति स्नान करैत अछि तखनि पानिमे बहुत रास बैक्टीरियाक प्रवेश करबाक सम्भावना सेहो रहैत छैक। जखनि डीओ आ बीओडी लिमिटमे अछि, तखनि एहेन स्थितिमे एहि आँकड़ापर प्रश्न उठब स्वाभाविक अछि।
ओ केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्डसँ एहि आंकड़ाक पुनर्विश्लेषण करबाक आग्रह कयलनि। ओ कहलनि, हुनका नमूनाकेँ फेरसँ लेबाक चाही आ जाँच करबाक चाही। ओकर बाद, एहि आँकड़ाकेँ सत्यापित कयल जेबाक चाही जे कोनो कमी अछि कि नहि। सीपीसीबीकेँ पता करबाक चाही जे आँकड़ा बेमेल किएक अछि।
ओ कहलनि जे हमरा लग वर्तमान सीपीसीबी आंकड़ाक आधार पर हम आत्मविश्वाससँ कहि सकैत छी जे संगमक जल स्नानक लेल उपयुक्त अछि।