संपादकीय

समान नागरिक संहिता (युनिफाॅर्म सिविल कोड) सभक लेल कल्याणकारी

इंसानियतक भलाई लेल पवित्र कुरानमे सैकड़ों आज्ञा अछि। एतय धरि कि कोनो दोसर इंसानकेँ पीड़ा नहिं पहुँचय, एहि लेल कुरानमे ‘इतरा कय चलयसँ पर्यंत, ई कहैत रोकल गेल अछि जे इतराबयवालाकेँ अल्लाह पसिन्न नहिं करैत छथि।
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धर्म आ धर्म द्वारा बनाओल गेल नियम मानव जीवनक खुशी ओ सुखक लेल बनाओल गेल अछि। प्रत्येक धर्म अपन आज्ञामे मानव कल्याणक शिक्षा दैत अछि। इंसानियतक भलाई लेल पवित्र कुरानमे सैकड़ो आज्ञा अछि, एतय धरि कि कोनो दोसर इंसानकेँ पीड़ा नहिं पहुँचय, एहि लेल कुरानमे ‘इतरा कय चलयसँ पर्यंत, ई कहैत रोकल गेल अछि जे इतराबयवालाकेँ अल्लाह पसिन्न नहिं करैत छथि। पवित्र कुरान जमीन पर हिंसा करयवलाक निन्दा करैत अछि आ जे निर्दोष व्यक्तिकेँ मारैत अछि ओकरा समस्त मानवताक हत्यारा कहलक अछि। पवित्र कुरानक सभ आदेशक पाछाँ जनकल्याणक भावना निहित अछि आ इएह कारण अछि जे जीवन भरि अहले मक्काक जुल्म सहलाक बादो फतह मक्काक अवसर पर बदला लेबाक सर्वसम्मत कानूनक अछैतो पैगम्बर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम जूल्म करयवालाकेँ आम माफी देबाक घोषणा कयलनि।

भारत एकटा धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य अछि जाहिमे संविधान सभ धर्म आ जातिक लोककेँ समान अधिकार आ अवसर देलक अछि। समान नागरिक संहिता जकरा युनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) सेहो कहल जाइत अछि, भारतक संविधानक निर्माता लोकनि आबयवला समयमे एकरा लागू करबाक बात कहने छलथि। स्वतंत्रताक ७५ सालक बाद शायद देशमे समान नागरिक संहिता लागू करबाक ई उचित समय अछि। सबसँ पहिने हमरा ई बुझय पड़त जे समान नागरिक संहिता कोनो तरहेँ धर्मक सिद्धान्तक विपरीत नहिं अछि, इस्लाम तात्कालिक परिस्थितिक आधार पर नियम आ कानून बनयबाक अनुमति दैत अछि आ एहन मुल्कमे जतय मुमख्लिफ नज़रियात मजाहिब आ फिक्रक लोक अर्थात मुस्लिम राय आ सरोकारक लोक रहैत छथि, एहि सभपर एकटा कानूनक शासन होयबाक चाही।
समान नागरिक संहिता नागरिकसभकेँ समान रूपसँ दांडिक आ दीवानी कानूनक दायरामे अनबाक प्रयास करैत अछि, आईपीसी आ अन्य आपराधिक कानूनक माध्यमसँ आपराधिक कानून पूरा भारतमे समान रूपसँ लागू अछि, आ बहुत रास दीवानी मामलामे सेहो, समान नागरिक संहिताक समाने नियम अछि, उदाहरणक लेल, सरकारी नौकरीमे, नियम समान रूपसँ लागू अछि।
समान नागरिक संहिताक माध्यमसँ धर्मक आन्तरिक मामिलामे कोनो हस्तक्षेप नहिं कयल जा रहल अछि।

समान नागरिक संहिताक विरोध एकटा राजनीतिक स्टंटक अतिरिक्त किछु नहिं अछि। संविधानक दुहाई देबयवाला संविधान सभाक एहि निर्णयकेँ किएक नकारैत रहैत छथि जाहिमे ई स्पष्ट अछि जे समान नागरिक संहिता बनाओल जायत ? महत्वपूर्ण तथ्य ई अछि जे शाह बानो मामिलाक फैसलाक बाद देशव्यापी हंगामाक बाद तत्कालीन सरकार सुप्रीम कोर्टक फैसलाक बदलय केर कानून तक बना देलक, ओकर की फायदा भेल ? जखनि कि, २०१० मे सर्वोच्च न्यायालय तलाकशुदा महिलाकेँ ओकर विवाह धरि वा आजीवन गुजारा भत्ता देबाक आदेश पारित कयलक अछि। व्यक्तिगत कानूनक बहुत रास उदाहरण अछि जाहिमे नागरिककेँ ओही कानूनक अधीन रहय पड़ैत अछि।
महत्वपूर्ण तथ्य ई अछि जे ई हास्यास्पद लगैत अछि जे किछु लोक समान नागरिक संहिताक विरोध करैत छथि, जे समानताक अधिकारक प्रतीक अछि। जे लोकसभ धर्म आ आस्थाक नाम पर एकर विरोध करैत छथि, ई लोकसभ कोरोना कालमे सभ धर्मक धार्मिक स्थल पर उपासना मर्यादित करय केर, ई सभ समर्थन कयने छलथि आ तर्क देने छलथि जे “मानव जीवनकेँ बचायब परम आवश्यक अछि, सभकेँ लाॅकडाउनक पालन करय केर चाही।”

तऽ आइ एहि तथाकथित लोकसभ द्वारा समान नागरिक संहिताक विरोध ई स्पष्ट करैत अछि जे मात्र राजनीतिक कारण, कोनो दल विशेष पर धर्म पर हमला करबाक आरोप लगाबैत टारगेट करय केर नाम पर विरोध प्रदर्शन कयल जा रहल अछि। यद्यपि एहन किछु नहिं अछि, समान नागरिक संहिता मात्र सभ धर्मक लोककेँ समान अधिकार देबाक लेल अछि।

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