संपादकीय

व्यावसायिक आ बेमतलबक फोन कॉल

व्यावसायिक आ बेमतलबक फोन कॉल
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एहि डिजीटल युगमे मोबाइल फ़ोन, जहिना लोक लेल सहूलियत सिद्ध भेल अछि, तहिना कखनहुँ काल ई कोनो आफत सेहो सिद्ध भ’ जाइत अछि। सुचना क्रांतिक दौरमे लोकक नीजी जानकारी प्राप्त करब, कोनो कठिन कार्य नहि छैक, आ नीजी कंपनी सभ डिजीटल माध्यमक उपयोग करैत लोकक, ओ तमाम नीजी जानकारी आसानीसँ प्राप्त करैत अछि। फलतः दिन भरि लोक पर्सनल लोन-क्रेडिट कार्डक फर्जी कॉल आ संदेशसँ त्रस्त रहैत अछि। सरकारक लाख प्रयासक बावजूदो, विगत किछु वर्षमे जाहि हिसाबेँ देशमें महंगाई बढ़ि रहल अछि, फलतः गरीब आदमी पहिनहिसँ परेशान छल से आब, आओर अधिक परेशानीक सामना करबा लेल विवश अछि। चलू, गरीब आदमी त’ परेशान अछिए आ पहिनहु त्रस्त छल, मुदा एहि मंहगाईसँ देशक आम मध्यमवर्गीय परिवार सेहो अप्पन आमद आ खर्चमे सामंजस्य नहि बैसा पाबि रहल अछि। चिंताक गप्प ई अछि कि, सरकारक तमाम प्रयास नाकाफी सिद्ध भ’ रहल अछि। जनताक प्रमुख अपेक्षा इएह रहैत छैक कि, सरकार कमसँ कम, दैनिक उपभोगक अत्यंत आवश्यक वस्तुक दाममें कटौती करए, जाहिसँ आम आदमीकेँ तत्काल राहत भेटैक। देशक जनता आब नित् दिन बढ़ैत महंगाईसँ त्रस्त देखा रहल अछि। देशवासी लेल अप्पन बेगरता पूर्ण करबाक लेल, मात्र कर्जक विकल्प रहैत अछि जे एखन, लगभग सहजतासँ उपलब्ध छैक। बहुतो लोक एहेन छथि, जे एकमुश्त राशिक भुगतान क’ कोनो आवश्यक वस्तु क्रय करबामे असमर्थ रहैत छथि, त’ बैंकसँ कर्ज ल’ किन – बेसाह करैत छथि। बैंक आ नीजी वित्तीय संस्थान लग अनेको विकल्प मौजूद छैक, जाहिमे पर्सनल लोन, होम लोन, गाड़ी लोन, व्यापर लोन, मुद्रा लोन, एजुकेशन लोन, पर्यटन लोन, संगहि क्रेडिट कार्ड आ नो कॉस्ट ईएमआई कार्ड प्रमुख अछि। आब, की आम आ की ख़ास, हर आदमी बैंक द्वारा देल जा रहल लोनक उपयोग धरल्लेसँ करैत अछि। वर्तमान परिप्रेक्ष्यमे कहल जाए त’ बैंक आ बैंकक कर्ज, हर मनुष्यक जीवनमे एकटा महत्वपूर्ण स्थान बनौने अछि। मुदा एहि प्रतिस्पर्धाक युगमे अनेको एहेन निजी वित्त संस्थान सेहो मौजूद अछि, जे नियम आ कानूनके कतियाबैत घोड़दौड़मे शामिल अछि। हर आदमी एखन बैंक आ वित्तीय संस्थानक फोन कॉल आ प्रोमोशनल विज्ञापनसँ त्रस्त अछि। दिनमे सैकड़ो फोन अबैत अछि, जाहिमे लोन, क्रेडिट कार्डसँ संबंधित जानकारी देल जाइत अछि। जानकार लोक त’ फोन नंबर देखि काटि दैत छथि, मुदा अनजान व्यक्ति ओहि एजेंटक जालमे फँसि जाइत छथि। गलतीसँ जौं कियो एक बेर गप्प क’ लेलक त’ बुझू ओकर जीवन नर्क। किएक त’ एहि डिजिटल युगमे हर आदमीक तमाम निजी जानकारी, हर वित्तीय संस्थान आ बैंक लग उपलब्ध छैक त’ जाधरि ओकर उद्देश्य पूर्ण नहि भ’ जाएत, ताधरि ओ, फोन करैत रहत, ई निश्चित अछि। कतेको एहेन फर्जी संस्थान मौजूद अछि, जे लोककेँ भ्रमित करैत पाई बना रहल अछि। सरकार सतर्क त’ अछि, मुदा सरकारक तमाम प्रयास नाकाफी सिद्ध भ’ रहल अछि। मुदा आब एहि तरहक बेमतलबक कॉल्स आ संदेश पर रोकथाम लगएबाक लेल सरकार द्वारा तैयारी कएल जा रहल अछि। मानल जा रहल अछि कि, सरकारक नबका दिशा निर्देश अत्यंत कठोर होयत, जाहिसँ एहेन फर्जी स्पैम कॉल पर रोक लगाओल जा सकत। प्रयास त’ कएक बेर कएल गेल छलैक, मुदा सरकारक तमाम प्रयासक बावजूदो मार्केटिंग कंपनी सभ हर बेर स्पैम कॉल्स वा व्यावसायिक कॉल्सके लेल कोनो न कोनो तरीका निकालिए लैत छल। पूर्वमे टेलीकॉम सेक्टरक नियामक, ट्राई द्वारा तमाम कंपनीके कॉलके संग नाम देखएबाक निर्देश देल गेल छल। मुदा किछु कंपनीके छोड़ि ओहि निर्देशक पालन उचित ढंगसँ नहि कएलक। ट्राई द्वारा त’ स्मार्टफोन निर्माताके सेहो ई निर्देश देल गेल छलैक कि, ओ अपन डिवाइसमे उपयोगकर्ताके एहि तरहक सुविधा प्रदान करए, जाहिसँ आम उपभोक्ताके कोनो तरहक कठिनाई नहि होय। एहि वर्षक शुरुआतमे डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स द्वारा स्पैम कॉल्सके रोकबाक लेल एकटा समिति बनाओल गेल छल। एहि कमेटी द्वारा स्पैम कॉल्स पर लगाम लगएबाक लेल नव दिशानिर्देशके ल’ क’ ड्राफ्ट सेहो तैयार कएल गेल अछि। एहि सभ विषयके देखैत 10 मईके एकटा बैसार सेहो भेल, जाहिमे टेलीकॉम डिपार्टमेंट, ट्राई, डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्सक सचिव निधि खरे, सेलुलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया, बीएसएनएल, वोडाफोन, रिलायंस आ एयरटेलक अधिकारी सेहो शामिल भेल छलाह। समितिक ओहि बैसारमे ई चर्चा कएल गेल कि, केहेन तरहक फोन कॉल्सके स्पैम कॉलक श्रेणीमे राखल जाए। एहिमे अवैध कॉल्स आ संदेशक परिभाषा सेहो तय कएल गेल। समिति द्वारा नव नियमके ल’ क’ विस्तृत चर्चा क’ ड्राफ्ट तैयार कएल गेल, आब मात्र डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्सक अंतिम मोहर लागब बाकि अछि। बैसारमे समिति द्वारा उपयोगकर्ताक समस्याके ध्यानमे रखैत स्वीकार कएल गेल कि अनचाहा आ असमय कॉल्ससँ यूजर्सके अत्यधिक परेशानी होइत छैक। एहि सभ पर लगाम लगएबाक खगता अछि। ट्राई आ टेलीकॉम डिपार्टमेंट, एहि तरहक कॉल्सके कंट्रोल करबाक लेल निरंतर प्रयास क’ रहल अछि, मुदा मार्केटिंग कंपनी हर बेर नव – नव राह खोजिए लैत अछि। भरिसक तैं एहि बेर समिति, एहि सभके ल’ क’ कठोर नियम बना रहल अछि। एहि लेल समिति द्वारा, बैंक, वित्तीय संस्थान, विमा कंपनी, आ ट्रेडिंग कंपनीके डिजिटल कंटेंट एक्वीजीशन सिस्टम विकसित करबाक आदेश सेहो देल गेल अछि। मतलब साफ़ अछि कि, एकर बाद ग्राहक स्वयं तय क’ सकत कि हुनका नंबर पर कॉल्स आबय वा नहि।

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