भिन्न – भिन्न विचारधारा, एकटा स्वस्थ लोकतांत्रिक समाजक लक्षण मानल जाइत अछि, मुदा जहन ई भिन्न – भिन्न विचारधारा, समाजक मध्य वैमनस्य, शत्रुता आ एक – दोसरक विरुद्ध घृणा उत्पन्न करए त’ केहेन समाज आ केहेन लोकतंत्र ? कोनो विचार वा कार्यके अनुचित मानैत, ओहि विचार आ कार्यके विरुद्ध आवाज उठएबाक चाही, अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता, मात्र संविधानमे देल गेल प्रावधानहिसँ लागू नहि भ’ जाइत, अपितु ई हमर सभक संस्कार, चरित्र आ जीवन मूल्यक विषय अछि। विरोध करब उचित मानल जाइत अछि, मुदा एखन देशमे, विरोधक नाम पर बहिष्कारक चलन अछि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा, आ केंद्र सरकारक विरुद्ध जे विरोधक लहैर उठल अछि, ओ मात्र संसद धरि सिमित नहि अछि। विपक्षी गठबंधन इंडियाक लगभग हर दल, भाजपा आ पीएम मोदीके ल’ क’ नित् नव – नव आरोप लगबैत देखल जाइत अछि। लोकतंत्रमे विरोध करबाक अधिकार हर व्यक्तिके प्राप्त छैक। मुदा एखन विपक्षक अधिकांश राजनीतिक दल, विरोधक नाम पर बहिष्कार करबाक नीति अपनौने अछि। विरोध करैत अप्पन बात राखल जा सकैत छैक, संभवतः बातचीतसँ समस्या वा विवादक समाधान सेहो ताकल जा सकैत अछि, मुदा जहन एक्कहि बेर बहिष्कार कएल जाइत अछि त’ बातचीतक तमाम मार्ग लगभग बंद भ’ जाइत अछि। राजनीतिमे आब बहिष्कार, जाहि तरहेँ प्रचलित भेल अछि, त’ सत्ता पक्ष द्वारा एकर लाभ सेहो उठाओल जाएब शुरू भ’ गेल अछि। बहिष्कार, एक तरहेँ आब सत्ता पक्ष लेल छूटक भांति सिद्ध भ’ रहल अछि। विपक्षी दल, कोनो कार्यक्रमक बहिष्कार करैत अप्पन कर्तव्य पूर्ण भेल बुझि, शांत बैसि जाइत अछि त’ सत्ता पक्ष बहिष्कृत भ’ अपने जूतिए हर कार्य, अपनहि हिसाबेँ करबाक लेल स्वतंत्र भ’ जाइत अछि। त’ बहिष्कारक स्थान पर जौं निरंतर विरोध होय, विपक्ष आ लोकतंत्र लेल सेहो, इएह उचित। बहिष्कार आमतौर पर नैतिक, सामाजिक, राजनीतिक, वा पर्यावरणीय कारणके लेल विरोधक अभिव्यक्तिके रूपमे कोनो व्यक्ति, संगठन अथवा देशके उपयोगसँ स्वैच्छिक आ जानि बुझि क’ रोकथामक कार्य अछि। बहिष्कारक उद्देश्य कोनो आपत्तिजनक व्यवहारके किछु आर्थिक नुकसान क’ अथवा नैतिक आक्रोश के आधार पर मजबूरन बदलबाक प्रयास अछि। विरोध आ बहिष्कारके क्रममे कएक बेर त’ कोनो नीतिगत संस्थागत बैसारक बहिष्कार सेहो कएल जाइत अछि। पछिले वर्ष नीति आयोगक 8म बैसारक अध्यक्षता पीएम मोदी स्वयं कएलनि। ओहि बैसारमे तमाम प्रदेशक मुखियाके निमंत्रण पठाओल गेल छल। मुदा ओहि बैसारमे 10 मुख्यमंत्री, विरोध करैत सम्मिलित नहि भेलाह। एहिमे प्रमुख रूपसँ बिहारक सीएम नीतीश कुमार, दिल्लीक सीएम अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़क मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आदि नेता शामिल छलथि। दू गोट मुख्यमंत्री त’ एहि बैसारक बहिष्कार सेहो कएलनि, बाकि आठ सीएम द्वारा बहन्ना बनाओल गेल। नीति आयोग, सरकारक थिंक टैंक अछि, आ प्रधान मंत्रीक अध्यक्षतावला गवर्निंग काउंसिल संस्था अछि। एकरा योजना आयोगके स्थान पर बनाओल गेल अछि। हर राज्यक सीएम आ केंद्र शासित प्रदेशक लेफ्टिनेंट गवर्नर, वित्त आ वाणिज्य मंत्री सहित अनेको केंद्रीय मंत्री, परिषदक सदस्य छथि। परिषदक आठम बैसार महत्वपूर्ण छल। एहि बैसारमे देशके 2047 धरि विकसित राष्ट्र बनएबाक विषय पर चर्चाक नियार छलैक। मुदा विपक्ष, मोदी विरोधमे ओहि महत्वपूर्ण बैसारक बहिष्कार सेहो कएलक जे तमाम प्रदेशक विकास लेल महत्वपूर्ण छलैक। एखन विपक्षी गठबंधन इंडिया द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कर्यक्रमक बहिष्कार, चर्चाक केन्द्रमे अछि। एहि ठाम विपक्षी गठबंधन, भाजपाक रणनीति नहि बुझि सकल आ एहि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रमक बहिष्कार करैत अनकर ग’रक उतरी अपना ग’रमे पहिरलक। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामके प्रति देशवासीक आस्था अछि, किएक त’ ओ सभक आराध्य छथि, मुदा तमाम प्रयासक बावजूदो हुनका नाम पर स्तरहीन राजनीति भ’ रहल अछि। 22 जनवरीके देश एकटा ऐतिहासिक क्षणक साक्षी बनत, लगभग पांच सौ वर्षक उपरांत प्रभु श्रीराम, टेंटसँ निकलि नवनिर्मित भव्य मंदिरमे प्रवेश करताह। भाजपा कतबहु कहए कि, श्रीराम आस्थाक विषय अछि, मुदा देशवासीके बुझबामें कोनो भांगठ नहि छैक कि, भाजपाक राजनीति प्रगति, श्रीरामक माध्यमे भेल अछि। राम मंदिर आस्थाक विषय रहितो एकटा राजनीतिक मुद्दा सिद्ध भेल, आ हर दल एहि विषय पर जमि क’ राजनीति कएलक। वर्षो – वर्षक कठिन संघर्ष आ अथक प्रयासक उपरांत आब राममंदिर बनि क’ तैयार अछि मुदा, आस्थाक ई उत्सव एकटा राजनीतिक नौटंकीमे बदलैत प्रतीत भ’ रहल अछि। प्राण – प्रतिष्ठा कार्यक्रम लेल जाहि तरहे आमंत्रण देल जा रहल अछि, ओ एकटा विवादक कारण सिद्ध भ’ रहल अछि। राजनीतिक दलक संग – संग, देशक किछु प्रमुख संत आ धर्माचार्य द्वारा एहि कार्यक्रमक बहिष्कार सेहो कएल जा रहल अछि। चारु शंकराचार्यके बहन्ने विपक्षी पार्टी, भाजपा आ केंद्र सरकार पर आक्रामक अछि। निमंत्रण त’ तमाम राजनीतिक दलके सेहो पठाओल गेल अछि, मुदा विपक्षक अधिकांश पार्टी एहि महोत्सवसँ स्वयंके फराक करबाक प्रयासमें अछि। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सेहो एहि कार्यक्रमसँ दूर रहब उचित बुझलक अछि। कांग्रेस पार्टीक शीर्ष नेतृत्व द्वारा, राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठाक आमंत्रण पत्रके ई कहैत ठोकराओल गेल अछि कि, ई भाजपा आ आरएसएसक कार्यक्रम अछि। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी आ राष्ट्रीय अष्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एहि कार्यक्रममें सम्मिलित नहि होयबाक निर्णय लेलनि, जे एखन एकटा प्रमुख चर्चाक विषय सिद्ध भ’ रहल अछि। ओना त’ कांग्रेस पार्टी शुरुएसँ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठाके ल’ क’ असमंजसमे छल, आगामी आम चुनाव आ अल्पसंख्यक वोटबैंकके देखैत पार्टी द्वारा कोनो निजगुत बयान जारी करएसँ पूर्व बहुत चिंतन – मनन आ जोड़ – घटाव कएल गेल। पार्टीक चिंता छलैक कि, जौं कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी वा राहुल गाँधी, एहि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रममे जाइत छथि त’ पार्टीके, अल्पसंख्यक, विशेष रूपसँ मुसलमान समुदायक मतसँ हाथ धोबय पड़ि सकैत अछि। उत्तरप्रदेशक 80 लोकसभा सीट पर मुसलमान मतदाता अत्यंत महत्वपूर्ण अछि। एकटा राष्ट्रीय पार्टीक रूपमे कांग्रेस, देशक 20 प्रतिशत मुस्लिम जनसँख्याके आहत करबाक जोखिम उठएबाक स्थितिमे अछि कि नहि, इएह सभ सोचि विचारि शीर्ष नेतृत्व द्वारा निमंत्रण अस्वीकार कएल गेल। परिणामस्वरूप, भाजपा आ कांग्रेसमे वाक्युद्ध शुरू भेल अछि, आरोप – प्रत्यारोप शुरू अछि। कांग्रेस नेतृत्वक एहि निर्णय पर पार्टीक भीतर सेहो विरोध देखल जा रहल अछि, दावा कएल जा रहल अछि कि, आम कार्यकर्ता सेहो एहि निर्णयसँ दुःखी छथि। सरल शब्दमे कही त’ राम मंदिर कार्यक्रममे शामिल नहि होयबाक निर्णय, आब पार्टीके लेल ग’रक घेघ बनल जा रहल अछि। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर राजनीती तहन शुरू भेल जहन, कम्यूनिस्ट पार्टी द्वारा एकर विरोध कएल गेल। सीपीएम पोलित ब्यूरोक नेता वृंदा करात, राम मंदिरक राजनैतिक उपयोगक गप्प कहैत भाजपा पर आरोप लगबैत, कार्यक्रमक निमंत्रणके अस्वीकार कएने छलीह। ओना, कांग्रेस पार्टीक निर्णय पर संशय पहिनहिसँ छल, किएक त’ भाजपा द्वारा कांग्रेस पार्टी आ तमाम कांग्रेसी नेताके, मंदिर विरोधी सिद्ध करबाक प्रयास पहिनहिसँ कएल जाइत रहल अछि। आब जहन कि, कांग्रेस द्वारा निमंत्रण ठोकराओल जा चुकल अछि त’ भाजपा, कांग्रेस संगहि निमंत्रण अस्वीकार कएनिहार आन दल अप्पन शब्दबाण छोड़ि रहल अछि। भाजपा नेता त’ राम मंदिरक अपमानके देशक लोकतंत्रक अपमानसँ जोड़ि रहल छथि। भाजपाक राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी एकटा प्रेस वार्तामे कहलनि कि कांग्रेस, भगवान रामक विरोध पर आबि गेल अछि। भारतक इतिहास जहन करवट लैत अछि, त’ कांग्रेस पार्टी ओकर बहिष्कार करैत अछि। कांग्रेसक एहि निर्णय पर भाजपा त’ आक्रामक अछिए, पार्टीक भीतर सेहो विरोधक स्वर तेज भ’ अहल अछि। कांग्रेस नेतृत्वक एहि निर्णय पर गुजरात कांग्रेसक वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया कहलनि कि, राम मंदिरक मामिलामे कांग्रेसके, राजनीतिक निर्णय नहि लेबाक चाही त’ कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम एहि निर्णयके, आत्मघाती कहि रहल छथि। राम मंदिरक प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रमसँ कांग्रेसक दुरीके, भाजपा द्वारा कार्यक्रमक बहिष्कारसँ जोड़बाक प्रयास भ’ रहल अछि। निर्णयके ल’ क’ सत्ता पक्ष द्वारा कांग्रेस पर निरंतर निशाना साधल जा रहल अछि। भाजपा कहि रहल अछि कि, कांग्रेसक बहिष्कार करबाक पुरान परंपरा छैक। ओना ई पहिल बेर सेहो नहि भेल अछि कि, कांग्रेस पार्टी द्वारा एहि तरहक आयोजनक बहिष्कार कएल गेल अछि। त’ भजपा द्वारा आब तमाम ओ अवसर गनाओल जा रहल अछि, जहन कांग्रेस, एहि तरहक आयोजनक बहिष्कार कएने अछि। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी एकटा प्रेस कॉन्फ्रेंसमें कहलनि कि, कांग्रेस नकारात्मक राजनीति करैत अछि आ हर चीजक बहिष्कार करैत अछि। भरिसक तैं आब जनता, कांग्रेसके बहिष्कार क’ देने अछि। अप्पन वक्तव्यमे ओ आगू कहलनि कि, ई गांधी (महात्मा गांधी) केर नहि अपितु ई नेहरू (जवाहरलाल नेहरू) केर कांग्रेस अछि। जनवरी 2024 – राम मंदिर ट्रस्टके तरफसँ मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरीकेँ राम मंदिरक प्राण प्रतिष्ठा समारोहक निमंत्रण देल गेल छलैन्ह, मुदा कांग्रेस, एहि आयोजनसँ दूर रहबाक निर्णय लेलक। सितंबर 2023 – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जी-20 समिटके दौरान रात्रिभोजक आयोजन कएल गेल छल, एहि लेल कांग्रेसक अनेको नेताके निमंत्रण पठाओल गेल छल, मुदा हिमाचल प्रदेशक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंहके अतिरिक्त कियो आन नहि पहुँचल। मई 2023 – मई 2023 मे नव संसदक उद्घाटन भेल, मुदा कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टी द्वारा एहि कार्यक्रमक बहिष्कार कएल गेल। विपक्षी दलक कोनो नेता, नव संसदक उद्घाटन कार्यक्रममे शामिल नहि भेल छल। जनवरी 2021 – कांग्रेस आ आन विपक्षी दल द्वारा संसदक संयुक्त बैसारमे राष्ट्रपतिक अभिभाषणके सेहो बहिष्कृत कएल गेल। दिसंबर 2020 – कांग्रेस पार्टी द्वारा नव संसद भवनक भूमि पूजन समारोहक बहिष्कार सेहो कएल गेल। अगस्त 2019 – प्रणब मुखर्जीकेँ जहन भारत रत्न देल गेल छल तखनहु, ओहि समारोहमे मनमोहन सिंह, राहुल गांधी आ सोनिया गांधी अनुपस्थित छलथि। हालांकि किछु कांग्रेसी नेता ओहि कार्यक्रममे शामिल भेल छलथि। जून 2017 – कांग्रेस पार्टी, जीएसटी लागू होइते संसदक सत्रके सेहो बहिष्कार कएने छल। वर्ष 1951 मे, जवाहर लाल नेहरू कथित तौर पर सोमनाथ मंदिरक जीर्णोद्धार कार्यक्रममे राजेंद्र प्रसादक उपस्थितिके विरुद्ध छलथि, तैं ओ, ओहि आयोजनसँ दूर रहबाक निर्णय लेने छलाह। वर्ष 2004 के उपरांत 2009 धरि, कांग्रेस पार्टी, कारगिल विजय दिवसके सेहो बहिष्कार करैत रहल। सुधांशु त्रिवेदी अप्पन वक्तव्यमे आगू कहलनि कि, कांग्रेसक बहिष्कार करएवला परंपरा रहल छैक, मई 1998 मे अटल बिहारी वाजपेयी जीक सरकारके नेतृत्वमे भेल पोखरण परमाणु परीक्षणके बाद 10 दिन धरि कांग्रेस पार्टी द्वारा कोई बयान नहि देल गेल छल। उपरोक्त विषयके ध्यानमे रखैत आब प्रश्न ई उठैत अछि कि, कांग्रेस पार्टीके एहि तरहक आयोजनसँ कोन प्रकारक भय छैक ? आखिर किएक कांग्रेस पार्टी एहि तरहक आयोजनसँ स्वंयके दूर रखबाक प्रयास करैत अछि ? की, कांग्रेसक बहिष्कारसँ ओ कार्य पूर्ण नहि भेलैक ? की, कांग्रेस पार्टीक बहिष्कार करिते सरकार, ओहि आयोजनके स्थगित कएलक ? आखिर बहिष्कारक नीति पर चलैत कांग्रेस पार्टीके की प्राप्त भेलैक ? जानकर लोकनिक कहब अछि कि, पार्टी द्वारा एहि तरहक निर्णय अल्पसंख्यक, विशेष रूपसँ मुसलमान समुदायक मतके ध्यानमे रखैत लेल जाइत अछि। कांग्रेस एकटा राष्ट्रीय पार्टी अछि, आ देश भरिमे मुसलमानक जनसँख्या लगभग 20 प्रतिशत छैक आ लोकसभाक सैकड़ों एहेन सीट अछि जतय मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिकामे अछि। त’ एकटा राष्ट्रीय पार्टीक रूपमे कांग्रेस, देशक 20 प्रतिशत मुस्लिम जनसँख्याके आहत करबाक सहस नहि जुटा पाबि रहल अछि। विरोध आ बहिष्कार सनक शब्द मात्र कांग्रेस नहि अपितु ई आब, तमाम विपक्षी पार्टीक एकटा पैघ अस्त्र सिद्ध भ’ रहल अछि। देश संविधानसँ चलैत छैक, मतलब साफ़ अछि कि, संविधान सर्वोपरि अछि। मुदा राजनीतिमें कखनहु काल किछु एहेन निर्णय लेल जाइत अछि, आ किछु एहेन योजना, सरकार द्वारा आनल जाइत अछि, जाहि पर समाजक एक वर्गके, आपत्ति रहैत छैक। त’ विपक्षक ई कर्तव्य बनैत छैक कि, ओ एकजुटताक संग जनताक स्वर सरकार धरि पहुंचाबय। तमाम मुद्दा पर सदनमे चर्चाक मार्ग पहिनहिसँ बनल छैक। आखिर योजना बनाबयसँ संपादन धरिक कार्य त’ सरकारे करत, त’ उत्तम इएह मानल जाइत छैक कि, चर्चाके माध्यमे कोनो समाधान निकालल जाए। बहिष्कार त’ सरकार लेल एकटा खुला छूटक भांति सिद्ध भ’ रहल अछि। सरकारक प्राथमिकतामे विकास आवश्यक मानल जाइत छैक, जखनहि सरकारी प्राथमिकतामे सँ विकास हटाओल जाएत त’ ई तय अछि कि, केंद्र आ राज्यके बीच तनातनी, सामाजिक वैमनस्य आ गरीब अदमीक जीवन पर एकर असैर देखबाक लेल भेटत। जौं एहि तरहक स्थिति, देशमे उत्पन्न होइत अछि त’ बुझू देश अप्पन विकासक लक्ष्यकेँ तिलांजलि देत। स्वतंत्रताक उपरांत एखन धरि भारत, एकटा धर्मनिरपेक्ष आ उदार लोकतंत्र रहल अछि, आ देशक आम नागरिकके हृदयमें एकर संकल्पना सेहो व्याप्त अछि। अंतर्राष्ट्रीय जगतमे सेहो भारतक छवि किछु एहने बनल छैक। विगत किछु वर्षमे देखल गेल अछि कि, देशक तमाम राजनीतिक दलमे, एक दोसरक प्रति भय आ द्वेषक भावनाक निर्माण भ’ रहल छैक। फलतः वर्तमान राजनीतिमे, विरोध आ बहिष्कारक चलन, बढ़ल सन प्रतीत होइत अछि। कखनहु काल नेता, एक – दोसरक विरोध करैत, समाज आ देशक विरोध करबासँ सेहो नहि पछुआआईत छथि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीक विरोधक आतुरता, आ विरोध करबाक लेल विरोधक नकारात्मक प्रवृत्ति, कखनहुँ काल आम जनमानस लेल घातक स्थिति उत्पन्न करैत अछि। पीएम मोदीक लोकप्रियता, जाहि हिसाबेँ बढ़ि रहल अछि, त’ तमाम विपक्षी दलक चिंता स्वाभाविक छैक। आई पीएम मोदी एकटा वैश्विक नेताके तौर पर जानल जाइत छथि, ग्लोबल रेटिंगमे सेहो ओ, विश्वके नेता सभक बीच सभसँ बेसी लोकप्रिय छथि। पीएम मोदीक लोकप्रियता सेहो एहि विरोधक राजनीतिसँ पार नहि पाबि रहल अछि। त’ बहिष्कार, कोनो हानिकारक उत्पाद, कोनो सेवा वा देशविरोधी गतिविधिके होयबाक चाही नहि कि, कोनो सरकारी विकासोन्मुखी योजनाक। नीति आयोगक बैसार, नव संसद भवन, राम मंदिर, ई तमाम विषय देश आ देशवासीसँ संबंधित अछि ई, हर राजनीतिक दल जतेक शीघ्र बुझि जाइथ ओतेक उत्तम।