संपादकीय

राममंदिरक गर्भगृहमे रामक संग सीताक मूर्तिक चर्चा निराधार

मिथिलामे एकटा चर्चा उठल अछि जे राममंदिरक गर्भगृहमे रामक संग सीताक मूर्ति हेबाक चाही, यद्यपि जानकर लोक एहि चर्चा केर अनठा रहल छथि, मुदा किछु गोटे अनेरे मुद्दा बनाबय केर प्रयासमे छथि। सभगोटे जनैत छी जे ओ राम जन्मभूमि छैक, ओतय सदासँ रामक बाल रुपक पूजा होईत आयल अछि, तऽ जे होईत आयल छैक, सैऽह हेतै ने, आ तें गर्भगृहमे मात्र रामजीक बाल मूर्ति रखबाक निर्णय छैक, अर्थात जेना पूजन होईत आयल अछि ताही रुपक पूजा होयत। पाँच बरखक बालक रुप रामक, जिनक मूर्ति ५१ इंचक रहत। गर्भ गृहक अतिरिक्त परिसरमे आओर कतेक मूर्ति सभ रहतै, ताहिमे माता सीताक संग राम अर्थात सीतारामक मूर्ति सेहो रहत। मूर्ति बनाबय लेल मिथिला जनकपुरसँ पवित्र शालीग्राम शिला अयोध्या गेल अछि, जकर यात्राक क्रममे ठाम-ठाम मिथिलामे लोक उमड़ल छल दर्शन-पूजनक लेल, से सभगोटेकेँ प्रायः ज्ञात अछि।

अयोध्या राम मंदिरमे रामानंदी संप्रदाय पूजा करैत आबि रहल अछि, आ इएह परंपरा आगूओ कायम रहत। रामानंदी संप्रदायक स्थापना जगतगुरु श्री रामानन्दाचार्य कएने छलथि। ई संप्रदाय, बैरागीक चारि प्राचीन संप्रदायमेसँ एक अछि। एहि संप्रदायके बैरागी संप्रदाय, रामावत संप्रदाय आ श्री संप्रदाय सेहो कहल जाइत अछि। काशीमे पंचगंगा घाट पर रामानंदी सम्प्रदायक प्राचीन मठ सेहो अछि। एहि संप्रदायक लोक, भगवान रामक पूजा मुख्य रूपसँ करैत छथि। एहि संप्रदायक मुख्य मंत्र ऊं रामाय नमः अछि। एहि संप्रदायक साधु-संन्यासी, शुक्लश्री, बिंदुश्री आ रक्तश्री आदि प्रकारक तिलक लगबैत देखल जाइत छथि। रामानंदी संप्रदायक मुख्य देव भगवान श्रीराम छथि, आ एहि संप्रदायक लोक भगवान रामक पूजा, बालकके रूपमे करैत छथि। एहि संप्रदायमे, जहिना एकटा बालकक ध्यान राखल जाइत अछि, ताहि पद्धतिसँ भगवानक पूजा करबाक विधान अछि। एहि पद्धतिमे नित्य रामललाक आकर्षक श्रंगार कएल जाइत अछि, छोट बालकक भांति प्रातः काल भगवानकेँ जगाओल जाइत छैन्ह, स्नान आ भोजन सेहो एहि पूजा पद्धतिक अंग अछि। अयोध्या राम मंदिरमे सैकड़ो वर्षसँ रामानंदी संप्रदाय द्वारा पूजा-पाठ कएल जाइत रहल अछि। आब नव राम मंदिरमे प्राण प्रतिष्ठाक बाद सेहो रामानंदी संप्रदायक पुजारी द्वारा पूजा-पाठ संपन्न कराओल जाएत।

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