श्रद्धांजलि

स्मृति शेष डा. कमलकांत झा

कमलक फूल सन अनमोल छलाह कमलकांत : सोनी चौधरी
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सांँस रहैत मनुष्यकें ई कखनो भान नहि होइत अछि जे एहि संसारमे सब किछु मिथ्या थिक। मुदा, अंतिम सत्य इएह थिक जे शाश्वत संगी एकमात्र कर्म थिक आओर कियो किछु नहि।
एहि जीवन लेल मनुष्य कतेक स्वार्थी बनि जाइत अछि। लोभ मोहक जालमे आजीवन फंँसल रहैत अछि। ईर्ष्या, द्वेष, चोरी, डकैती केर संग हत्या धरि करबामे कोनो संकोच नहि होइत छैक। मुदा सांसक डोरी टूटिते सभ किछु धरा धाम पर रहि जाइत छैक। किछु संग नहि जाइत छैक। एहि शाश्वत परम सत्यकें कियो जीवन रहैत स्वीकार नहि कऽ पबैत छथि। एहि जीवन-यात्रामे धरती पर किछु संत प्रकृति केर पुरुषक जन्म सेहो होइत रहल अछि। जाहिसंँ समाजमे दया धर्म आ प्रेमक संगम स्थपित अछि। सामाजिक अज्ञानता दूर कारबाक लेल साहित्यक तरूआरि पकड़ि जीवन भरि साहित्य आ समाजक सेवा करैत छथि। ओहि साहित्य सेवी आ मैथिलीक निस्सन स्तंभ छलाह डा. कमलकांत झा।
पहिल बेर महिनाथपुरमे भेंट भेल छलाह। आकर्षक पुरुषार्थसँ भरल, शांत चित्त, मितभाषी, लोकप्रिय, सहमेलू , कनिकबो अभिमान नहि। जीवनक यथार्थ पर बहुत रास चर्चा भेल छल। जीवन भरिक अनुभव तीन दिन धरि साझा करैत रहलाह। विशुद्ध साहित्य सेवी, निर्मल, सत्य निष्ठ छलाह। ओ अमूल्य ज्ञान निधि पसारि गेलाह जे सदैव गुज गुज़ अन्हारोमे अरुणक लालिमाक संग प्रकाश दैत रहत।
ओहि भेंटमे ओ जानकी जन्म पर विशेष चर्चा कयने रहथि। कहने रहथि सीता फूल लोढबाक लेल जाहि स्थान पर आबैत छलीह ओ फुलहर नामसंँ विख्यात भेल। एहि ठाम फुलबाड़ीमे सीता राम केर पहिल भेंट भेल छलनि। जगत जननी सीता अग्निमे प्रवेश करैत अपन छांँह वनमे छोड़लनि आ लंकासंँ वापिस अयलाक बाद राम द्वारा अग्नि परीक्षा केर पाछू छुपल रहस्य पर विस्तृत चर्चा कयलनि। कखनहुंँ काल मैथिली शब्दकोष बुझबाक लेल फोन पर बात होइत छल। सदिखन हुनकर आशीर्वाद भेटैत छल। आब बिरले एहन निर्विकार पुरुष भेटैत छथि। आइ मिथिलाक धरती एक बेर फेरसंँ शोकाकुल भेल अछि।

किन्नहुंँ विश्वास नहि भऽ रहल जे ओ एहि धरा धामसँ अनंत यात्रा पर चलि गेलाह… हुनकासँ भेल भेंट, एहि दौरान जानकी केर प्रसंगमे फुलहरि पर कयल विषद् चर्चा आ उपहार स्वरूप भेटल हुनक पहिल कृति घटकैती स्मृतिमे सदति अनमोल बनल रहत…।
मैथिली भाषामे साहित्य अकादमी पुरस्कार लेल डॉ. कमलकांत झा केर नामक घोषणा वर्ष 2020 मे भेल छलनि। ई पुरस्कार हुनका हुनक लघु कथा ‘गाछ रुसल अछि’ लेल प्रदान कयल गेल छल। एहि रचनामे ओ पर्यावरणकें शुद्ध रखबाक लेल गाछ-वृक्ष केर महत्वकेँ विशेष रूपसँ रेखांकित कयने छथि। मधुबनी जिलांतर्गत कलुआही प्रखंड स्थित हरिपुर डीह टोल मे 29 मार्च 1943 कें जन्म लेनिहार डॉ. कमलकांत झा मातृभाषा मैथिलीक संगहि राष्ट्रभाषा हिंदी केर लेखन क्षेत्रमे सेहो पूर्ण तन्मयताक संग साहित्य सृजन कयलनि। पिता पं. वीरेश्वर झा आ माता तारा देवी बच्चहिमे हिनकर संग छोड़ि देने रहथि। तेँ हिनक प्रारंभिक शिक्षा ममहर लोहा गाममे भेल छलनि।
डा. साहेब अपन लेखन यात्रा साल 1962 सँ प्रारंभ कयलनि। हिनकर पहिल पुस्तक मैथिली नाटक ‘घटकैती’ छल, जे वर्ष 1965 मे प्रकाशित भेल। सरल शब्दमे भावपूर्ण लेखन शैली केर कारण हुनक ई पुस्तक काफी लोकप्रिय भेल। पहिले पोथीकें भेटल अप्रत्याशित लोकप्रियतासँ हुनका लेखन केर क्षेत्रमे आगू बढबाक अभूतपूर्व उत्साह केर संचार भेल। मैथिलीमे हुनकर करीब दू दर्जन पुस्तक प्रकाशित छनि। जाहिमे चारि टा नाटक, दू टा कविता संग्रह, तीन टा कथा संग्रह, दू टा यात्रा संस्मरण आ मैथिली लोकोक्ति पर तीन पुस्तक शामिल अछि। मैथिली साहित्य जगतमे हुनका मैथिली मुहावरा आ लोकोक्ति केर विशेषज्ञक रूपमे सेहो जानल जाइत अछि। ओ एकटा उत्कृष्ट साहित्यकार होयबाक संगहि मैथिलीक प्रतिष्ठित शिक्षक सेहो छलाह। वर्ष 1965 मे ओ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय केर अंगीभूत इकाई डीबी कॉलेज, जयनगरमे व्याख्याता केर रूपमे अपन शिक्षण यात्राक शुरुआत कयलनि। साल 1982 मे उपाचार्य बनलाह आ 1987 मे मैथिली विषयक प्राचार्यक पद पर प्रोन्नत भेलाह आ एक अप्रैल 2003 कें डीबी कॉलेज सँ सेवानिवृत्त भेलाह। एकर बाद जयनगरमे रहैत लेखन आ सामाजिक कार्यमे विशेष रूपसँ सक्रिय भेलाह। मैथिली केर अलावा हिंदीमे सेहो हिनकर एक जोड़ी पुस्तक प्रकाशित भऽ चुकल अछि। एहिमे एकटा उपन्यास ‘बिखरती रही चांदनी’ आ एकटा शोध निबंध ‘मिथिला गौरवशालिनी’ शामिल अछि। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद (भारत-नेपाल) केर केंद्रीय अध्यक्षक रूपमे हुनक योगदान सदति सराहनीय आ अनुकरणीय बनल रहत।
मैथिली भाषा आंदोलनमे शुरुआती समयसँ सक्रिय रहल कमलाकांत बाबू, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघसँ सेहो आजीवन जुड़ल रहलाह। हुनकर खासियत रहनि जे संघक प्रचार लेल ओ जतय-जतय गेलाह, ओतय-ओतय मैथिलीक प्रचार-प्रसार सेहो खूब बढ़ि चढ़ि कऽ कयलनि। हुनकर गामक हरिपुर वासी उपेन्द्रनाथ झा व्यासकें करीब 50 साल पहिले साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल छलनि। यानी एहि गामक डा. कमलाकांत झा एहन दोसर लेखक भेलाह जिनका प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल।

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