संपादकीय

डांडिया नाइटक नाम पर, अश्लील ऑर्केस्ट्राक आयोजन – कतेक हद धरि उचित ?

धर्मेन्द्र कुमार झा
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धार्मिक विश्वास आ ओकर प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति, संस्कृतिक तत्व अछि, लोक संस्कृति, मनुष्यक विविध क्रिया – कलाप, परंपरा, रीति रिवाज, विचार, आस्था-विश्वास आ संस्कारक सामूहिक अभिव्यक्ति मानल जाइत अछि। एखन देशमे, दुर्गापूजाक संग – संग डांडिया आ गरबाक धूम मचल अछि। गुजरातक संग – संग बिहार सहित सम्पूर्ण विश्व भरिमे एखन, डांडिया नाइटक आयोजन धूमधाम सँ कएल जा रहल अछि। एक क्षेत्रक संस्कृति, आन क्षेत्रमे कोना अप्पन स्थान बनबैत अछि एकर उपयुक्त उदहारण अछि डांडिया आ गरबा। दरभंगा, सीतामढ़ी सहित सम्पूर्ण बिहार में आब पैघ स्तर पर डांडिया नाइटक आयोजन कएल जाइत अछि। सीतामढ़ी में सेहो डांडिया नाइटक आयोजन कएल गेल अछि, मुदा ओहि ठाम अश्लील भोजपुरी गीत संगीत पर डांडिया नाइटक आयोजन कएल गेल । मिथिलाक पारम्परिक झिझिया नृत्य, आब विलुप्तिक कगार पर अछि, मुदा डांडिया नाइटक आयोजन लेल पैघ पैघ व्यावसायिक संस्थान आगू आबि रहल छथि। डांडिया नाइटक विरोध नहि अछि, मुदा डांडिया नाइटक नाम पर जे अश्लील ऑर्केस्ट्राक आयोजन कएल जाइत अछि, ओ बिलकुल अनुचित अछि। समाजके दशा दिशा तय कएनिहार जौं, एहि तरहक कृत्य करैत छथि त’ ओहि समाजक भविष्य संकट में बुझाइत अछि। डांडिया नाइट कोनो मौज मस्तीक माध्यम नहि छैक, ई जौं आयोजक बुझि जाइथ त’ समाज के अप्पन संस्कृति सँ जोड़ि राखल जा सकैत अछि। जिनका उपर अप्पन संस्कृतिके सहेजि रखबाक भार छैन्ह ओ आयातीत संस्कृतिक प्रचार – प्रसार में अप्पन ऊर्जा व्यय क’ रहल छथि। मिथिला सदैव अप्पन विद्वताक लेल जानल गेल, मिथिलामें अनेको सद्गुरु भेलाह जे समाजके दिशा देखएबाक कार्य कएलन्हि। मुदा आब मिथिलामें, मैथिल अप्पन संस्कृति त्यागि आनक नकल करैत देखल जा सकैत छथि। नक्कल कखनहुँ अस्सल नहि होइत छैक, ई बुझितो लोक नक्कल करबामे व्यस्त अछि। कहबाक तात्पर्य ई, जे जहन डांडिया नाइटक आयोजन कएल जाइत अछि त’ ओकर हर नियम निष्ठा आ विधि विधानक पालन सेहो कएल जाए, तखनहि उचित मानल जाएत। सारा संसार एखन माताक भक्ति में डूबल अछि। तमाम शक्ति पीठक संग छोट – पैघ हर मन्दिरमे विधि – विधान सँ पूजा – आरती कएल जा रहल अछि। पारम्परिक तौर पर नवरात्रिक दौरान, माताक नौ स्वरूपक पूजन कएल जाइत अछि। नवरात्री मात्र पूजा आ आराधना धरि सिमित नहि अछि, एकर आनो पहलु छैक, हर पाबनि – तिहारक भांति नवरात्रीक सेहो व्यवसायीकरण आ राजनीतिकरण भ’ गेल अछि। गुजरात आ महाराष्ट्र सनक राज्यमे, गरबा आ डांडियाक बिना नवरात्रि पूर्ण नहि मानल जाइत अछि। एहि क्षेत्रमे गरबा सेहो पूजा आराधनाक प्रतिक मानल जाइत अछि। माटि सँ निर्मित मटकामे दीप प्रज्वलित क’ भक्तजन एकर चारु कात परिक्रमा करैत नृत्य करैत अछि। माटिक घरामें प्रज्वलित दीप, ज्ञान प्रकाशक प्रतिक मानल जाइत अछि। एहि नृत्य शैलीके जीवन चक्र आ शक्ति सँ जोड़ि देखल जाइत अछि, जे मैयाक धार्मिक आ लोकप्रिय गीत पर कएल जाइत अछि। तहिना डांडियाके सेहो अप्पन धार्मिक महत्व छैक। डांडियाके भगवती दुर्गा आ महिषासुरक मध्य भेल युद्धक प्रतिक मानल जाइत अछि। डंडियामे उपयोग भेल दुकठियाके मैयाक तलवार कहल जाइत अछि जे पापविनाशक प्रतिक अछि। विशेष रूपसँ गुजरातमें मान्यता छैक कि, गरबा कएलासँ भगवती प्रसन्न होइत छथि। त’ आस्थाक अनुरूप, भक्त आ श्रद्धालु नौ दिन धरि गरबा करैत मनचाहा फल प्राप्तिक लेल माताकेँ प्रसन्न करबाक प्रयास करैत छथि। आब गरबा आ डांडिया गुजराते नहि अपितु सम्पूर्ण विश्वमे प्रसिद्ध भेल अछि, नवसारी सँ न्यूयार्क धरि, आ सूरत सँ सीतामढ़ी धरि एकर आयोजन कएल जाइत अछि। गुजराती समाजक मंतब्य छैक कि, ई कार्यक्रम नवपीढ़ी आ युवावर्गकेँ अप्पन संस्कृति सँ जोड़बाक एकटा प्रमुख माध्यम अछि। उत्सवी माहौलमे, समस्त गुजराती समाज मौज मस्ती करैत देखल जा सकैत अछि। मुदा, धीरे धीरे गरबा आ डांडियाक रूप परिवर्तित भेल जा रहल अछि। गरबा आ डांडिया आब धार्मिक कार्यक्रमक अतिरिक्त, मौज मस्तीक केंद्र सिद्ध भ’ रहल अछि। गरबा आ डांडिया नाइटक आयोजन में आब पारम्परिक गीत संगीतक स्थान पर बॉलीवूड संगीत आ डीजे केर धुन अप्पन स्थान बनौलक अछि। डांडिया आ गरबा मे हर आयु आ हर वर्गक भागीदारी देखि आब एकर व्यवसायीकरण भ’ गेल अछि। युवा वर्ग आ समाज पर एकर दुष्प्रभाव, अनेको शोध सँ सिद्ध कएल जा चुकल अछि। मुदा मान्यता आ परंपराके ध्यान में राखि एखनहुँ बहुत लोक एकर आयोजन करैत छथि। एक वर्ग एहेनो अछि जे सम्पूर्ण विधि – विधान के ध्यानमे राखि, श्रद्धा – भक्ति भावसँ एकर आयोजन करैत, भगवतीकेँ प्रसन्न करबाक प्रयास करैत छथि त’ दोसर वर्ग एहि आयोजन सँ पाई कमाइत छथि। व्यवसायी वर्गके, मान्यता आ भक्ति भावसँ किछु लेना – देना नहि रहैत छैक, ओ मात्र युवा वर्गक सुविधा आ आधुनिक तकनीकक सहायता सँ हुनका दिग्भ्रमित करबाक प्रयास करैत देखल जाइत छथि।

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