धर्म-संस्कृति

अयोध्यामे राम मंदिर बनलाक बाद विवाद आ कड़वाहट समाप्त होयबाक चाही : मोहन भागवत

नई दिल्ली

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत अयोध्यामे श्रीराम मन्दिरक निर्माणक अवसरकेँ राष्ट्रीय गौरवक पुनर्जागरणक प्रतीक आ भारतक आचरणक जीवनक आधुनिक भारतीय समाजक दृष्टिकोणक स्वीकृति बतौलनि। आब ओ एहि पर बिना उकसावा केर विवाद आ कड़वाहट केर पूरा तरहसँ समाप्त करय पर जोर देलनि।

२२ जनवरीकेँ अयोध्यामे राम मन्दिरक प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पर लिखल गेल एकटा लेखमे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भारतक इतिहासक उल्लेख करैत कहलनि, “हमर भारतक इतिहास पछिला डेढ़ हजार सालसँ आक्रमणकारीसभक सङ्ग निरन्तर संघर्षक इतिहास अछि। प्रारम्भिक आक्रमणक उद्देश्य लूट आ कखनो काल (सिकंदर सन आक्रमण) अपन राज्य स्थापित करब छल। मुदा इस्लामक नाम पर पश्चिमक आक्रमण समाजक पूर्ण विनाश आ पृथक्करणकेँ जन्म देलक। देश-समाजकेँ हतोत्साहित करबाक लेल ओकर धार्मिक स्थलकेँ नष्ट करब आवश्यक छल, तेँ विदेशी आक्रमणकारी लोकनि भारतक मन्दिरसभकेँ सेहो नष्ट कऽ देलक। ओ इ एक बेर नहिं, बल्कि कतेको बेर कयलक। ओकर उद्देश्य भारतीय समाजकेँ हतोत्साहित करब छल जाहिसँ भारतीय स्थायी रूपसँ कमजोर भऽ जाय आ ओ सभ हुनका पर निर्बाध शासन कऽ सकथि।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आगू कहैत छथि “अयोध्यामे श्रीराम मन्दिरक विध्वंस ओही भावनासँ, ओही उद्देश्यसँ कयल गेल छल। आक्रमणकारीसभक ई नीति अयोध्या वा कोनो एकटा मन्दिर धरि सीमित नहिं छल, बल्कि सम्पूर्ण विश्वक लेल छल। भारतीय शासक लोकनि कहियो केकरो पर हमला नहिं कयलनि, मुदा दुनियाक शासक लोकनि अपन राज्यक विस्तारक लेल आक्रामक भऽ एहन कुकर्म कयलक अछि। मुदा एकर भारत पर वांछित परिणाम नहिं भेटल जकर हुनका आशा छलनि। एकर विपरीत भारतमे समाजक आस्था, निष्ठा आ मनोबल कहियो कम नहिं भेल, समाज नहिं झुकल, हुनकर प्रतिरोधक संघर्ष जारी रहल। एहि कारणेँ ओतय बेर-बेर जन्मस्थान पर आधिपत्य कऽ मन्दिर बनयबाक निरन्तर प्रयास कयल गेल। एहि लेल कतेको युद्ध, संघर्ष आ बलिदान भेल। आ राम जन्मभूमिक मुद्दा हिन्दूक मनमे बनल रहल।

मुदा लम्बा संघर्षक बाद आखिरकार अदालतक फैसलासँ मन्दिरक भूमि पूजन ५ अगस्त २०२० केँ भेल आ आब पौष शुक्ल द्वादशी युगब्द ५१२५, तदनुसार २२ जनवरी २०२४ केँ श्री रामललाक मूर्ति स्थापना आ प्राण-प्रतिष्ठा समारोहक आयोजन कयल गेल अछि।

ओ आगू कहलनि, “धार्मिक दृष्टिकोणसँ श्री राम बहुसंख्यक समाजक आराध्य देवता छथि आ श्री रामचन्द्रक जीवन एखनो सम्पूर्ण समाज द्वारा स्वीकार कयल गेल आचरणक आदर्श अछि। अतः आब अकारण विवाद पर जे दल आ विपक्ष उत्पन्न भेल अछि ओकरा समाप्त कयल जेबाक चाही। बीचमे जे कड़वाहट उत्पन्न भेल अछि ओकरा सेहो समाप्त करबाक चाही। समाजक प्रबुद्ध लोककेँ ई देखबाक चाही जे विवाद पूर्ण रूपसँ सुलझि जाय। अयोध्यामे श्रीराम मन्दिरक निर्माणक अवसर राष्ट्रीय गौरवक पुनर्जागरणक प्रतीक अछि। ई आधुनिक भारतीय समाजक भारतक आचरणक गरिमाक दृष्टिकोणक स्वीकृति अछि। हमरा सभकेँ सेहो श्रीरामक आदर्शकेँ पालन करय केर अछि। जय सियाराम

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