संपादकीय

आदर्श चुनाव आचार संहिता, निष्पक्ष चुनावक आधार

धर्मेन्द्र कुमार झा (प्रबंध संपादक)
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देशमे आगामी लोकसभा चुनावक बिगुल आब बाजि चुकल अछि, चुनावसँ संबंधित तमाम सुचना, संगहि तमाम महत्वपूर्ण तिथि, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार द्वारा सविस्तार बताओल जा चुकल अछि। काल्हिए एकटा प्रेसवार्ताक माध्यमे लोकसभा चुनाव 2024 के तिथिक घोषणा कएल गेल, चुनाव सात चरणमे संपन्न कराओल जाएत जे 19 अप्रिल 2024 सँ शुरू भ’ 1 जून, 2024 धरि चलत आ चुनाव परिणाम 4 जूनके घोषित कएल जाएत। ओना त’ चुनाव पहिनहुँ होइत रहल अछि, मुदा एहि बेरक चुनाव किछु हद धरि, पहिलुक चुनावसँ भिन्न कहल जा रहल अछि। भारतीय लोकतान्त्रिक प्रणालीमे लोकसभा चुनावके, लोकतंत्रक महापर्व कहल जाट अछि, एहि चुनावमे देशभरिक मतदातासँ, मताधिकारक प्रयोग करैत एहि लोकतांत्रिक प्रक्रियामे बेसी सँ बेसी सहभागिताक लेल विशेष आग्रह कएल गेल अछि। आम चुनाव, देशक लोकतांत्रिक व्यवस्थामे एकटा आवश्यक घटना अछि, जतय नागरिक अप्पन मन माफिक प्रतिनिधि चुनैत छथि, संगहि एहि चुनावक माध्यमे, लोकसभाक संरचनाक निर्धारण सेहो होइत अछि। कार्य त’ बड्ड पैघ आ कठिन सेहो छैक, मुदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अप्पन सम्बोधनके क्रममे कहलनि कि, भारत निर्वाचन आयोग एहि लेल पूर्ण रूपेण तैयार अछि। कएक चरणमे चुनाव करएबाक पाछा सेहो इएह उद्देश्य छैक कि, देशमे ई चुनाव निर्बाध रूपसँ संपन्न कराओल जा सकए। ओना त’ एहि विशाल लोकतान्त्रिक देशमे सदिखन कतौह न’ कतौह चुनाव होइते रहैत अछि, किएक त’ लोकतांत्रिक प्रणालीमे पंचायत, नगरपालिका आ राज्य विधानसभाक संग – संग आम चुनाव सेहो होइत अछि। सोझ भाषामे कहल जाए त’ चुनावक एहि निरंतरताके चलते देश, सदिखन चुनावी मोड पर रहैत अछि। एहि क्रममे, भारत निर्वाचन आयोगक अधिकारीक टीम लगातार चुनावी तैयारीक निरिक्षण करबामे व्यस्त सेहो रहैत छथि। कहबाक तात्पर्य ई जे, चुनाव आयोग अपना भरि पूरा प्रयासमे रहैत अछि कि, चुनावमे कोनो तरहक गड़बड़ी नहि होय, संगहि चुनाव निर्विघ्न संपन्न होय। राजनीतिमे आब जाहि हिसाबेँ, धनबल आ बाहुबलक उपयोग कएल जाइत अछि, फलतः चुनावमे धांधलीक समस्या सेहो देखल जा रहल अछि। चुनाव आयोग द्वारा हर ओ डेग, उठएबाक प्रयास कएल जाइत अछि, जाहिसँ देशमे निर्बाध रूपसँ निष्पक्ष आ स्वस्थ चुनाव संपन्न कराओल जा सकए। चुनावमे संगहि चुनावी प्रक्रियामे पर्दर्शिताक अनबाक लेल आयोग, हर संभव उपाय करैत देखल जा सकैत अछि। एहि लेल चुनावक तिथिक घोषणा उपरांत आदर्श चुनाव आचार संहिता लागु कराओल जाइत छैक। प्रयास इएह रहैत छैक कि, एहि तरहेँ कहूना लोकतंत्रके मजगूत कएल जाए। देशमे जहिना कानून बनाओल जाइत अछि तहिना उत्पाती लोक एकर तोड़ सेहो ताकि लैत अछि, भरिसक तैं बेसीकाल एहि तरहक लोक कठोर कानून रहितो बाँचि जाइत अछि। देशमे निष्पक्ष चुनाव लेल चुनाव आयोग सेहो एहि तमाम विषय पर गम्भीरतापूर्वक विचार करैत अप्पन प्रक्रिया आ नियमवालीमे बदलाव करैत अछि। एखन देशक तमाम संवैधानिक संस्था, विपक्षक निशाना पर अछि, सरल भाषामे कहल जाए त’ विपक्षके अनुसार एहि तरहक तमाम एजेंसी केंद्र सरकारक इशारा पर कार्य करैत अछि। एखन तमाम संवैधानिक संस्थाक विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाओल जा रहल अछि, एकर ठोस आधार सेहो छैक, किएक त’ एजेंसीक कार्य करबाक तरीका आ टाइमिंग संदेह उत्पन्न करबाक लेल पर्याप्त अछि। किछुए समय पहिने निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल, अप्पन त्यागपत्रसँ, विपक्षके बैसल बैसाओल एकटा मुद्दा द’ देने छलथि। हर व्यक्ति हुनकर निर्णयसँ आश्चर्यचकित छल, किएक त’ देश लोकसभा चुनाव लेल तैयार बैसल छल आ एहि स्थितिमे एकटा चुनाव अयुक्तक त्यागपत्र सोझा आयल। प्रश्न उठब स्वाभाविक छलैक आ विपक्ष द्वारा एहि विषय जमि क’ बयानबाजी भेल मुदा आनन – फाननमे प्रधानमंत्री, लोकसभामे विपक्षक नेता आ गृहमंत्रीक चयन समिति द्वारा दू गोट नव चुनाव आयोगक नाम तय कएल गेल। सरकारक प्रयास छलैक कि, कहूना दुनू निर्वाचन आयुक्तक नियुक्ति, चुनावक घोषणासँ पहिने भ’ जाए, आ सरकार एहिमे सफल सेहो भेल। ज्ञानेश कुमार आ एस. एस. संधू दुनू गोटे आब आयोगमे निर्वाचन आयुक्त छथि। आरोप प्रत्यारोप आ विवाद त’ एहि नियुक्ति प्रक्रिया पर सेहो भेल, किएक त’ चयन समितिमे शामिल कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी अप्पन बयानसँ बखेरा उत्पन्न करबाक प्रयास कएलनि। चौधरी एहि चयन प्रक्रियासँ नाखुश छलथि, ओ त’ अप्पन वक्तव्यमे कहलनि कि, ई नाम सरकार द्वारा पहिनहिसँ तय कएल गेल छल आ हमारा लग कोनो आन विकल्प सेहो मौजूद नहि छल। तथापि, जेना – तेना ई प्रक्रिया पूर्ण भेल आ काल्हि, आगामी लोकसभा चुनावक घोषणा सेहो भ’ गेल। कोनो चुनावमे, चुनाव आयुक्तक महत्वपूर्ण भूमिका मानल जाइत छैक, चुनाव आयुक्त जौं दृढ़तासँ कार्य करए देशमे निष्पक्ष चुनाव कराओल जा सकैत अछि। जौं चुनाव आयुक्त दृढ़ताक संग कार्य करैत छथि, त’ निश्चित रूपसँ आगामी चुनावमे आचार संहिताक उल्लंघनके मामिलामे कठोर आ तत्काल कार्रवाई संभव अछि। वर्तमान परिप्रेक्ष्यमे देशमे चुनाव लड़बाक लेल धनबल आ बाहुबल अत्यधिक आवश्यक सिद्ध भ’ रहल अछि। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्रमे उम्मीदवारके, प्रचार आदिके लेल प्रचुर मात्रामे धनक आवश्यकता होइत छैक। चुनावी प्रक्रियामे त’ अधिकांश उम्मीदवार, खर्चक स्वीकार्य सीमासँ आगू सेहो टपि जाइत छथि। देशक किछु भागमे मतदानके दौरान हिंसा, धमकी, बूथ कैप्चरिंग आदि सनक अवैध आ अप्रिय घटनाक रिपोर्ट सेहो सोझा अबैत अछि, जाहि लेल बाहुबलक बेगरता होइते छैक। मुदा एहि तरहक गतिविधि, एकटा स्वच्छ लोकतंत्र लेल कखनहुँ उचित नहि कहल जा सकैत अछि। एकर दुष्प्रभाव सेहो देखल जाइत अछि, राजनीतिमे अपराधीकरण आ अपराधीक राजनीतिकरण, एकर उपयुक्त उदहारण अछि। कएक बेर त’ इहो देखल जाइत अछि कि, सत्ताधारी पार्टी द्वारा सरकारी तंत्रक दुरूपयोग सेहो कएल जाइत अछि। उदाहरणार्थ, प्रचार आदिके लेल सरकारी वाहनक उपयोग करब, सरकारी तिजोरीक मूल्य पर विज्ञापन बाँटब, संगहि संभावनाके आओर बेसी मजगूत करबाक लेल आनो आन साधनक उपयोग करब प्रमुख अछि। आब लोकसभा चुनाव 2024 के अधिसूचना जारी होइते, चुनाव आयोगक मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट अर्थात आदर्श आचार संहिता लागू भ’ गेल अछि। एहिके अंतर्गत आब देशभरिमे अभियान चला क’ राजनीतिक पार्टीक होर्डिंग, बैनर, पोस्टर उतारल जाएत, संगहि तमाम सरकारी योजनाक प्रचार प्रसार पर सेहो पाबन्दी रहत। एहि तरहक व्यवस्था कएल गेल छैक कि, आचार संहिता उल्लंघनक जानकारी, सीधा चुनाव आयोगके पठाओल जा सकैत अछि। आयोग द्वारा आश्वस्त कएल गेल अछि कि, एहि तरहक उल्लंघन पर शीघ्र कार्रवाई कएल जाएत। हँ सरकारी बाबू सभ आब एहि आचार संहिताक नाम पर लोकक कार्य टारि सेहो सकैत छथि। बिहारमे त’ एहेन बेसीकाल देखल जाइत अछि, किएक त’ लगभग हर विभागक कर्मचारी वा अधिकारी चुनाव प्रक्रियामे बाझि जाइत छथि। आम लोकमे एकटा गलत धारणा छैक कि, आचार संहिता मात्र राजनीतिक दल आ नेता सभ पर लागु होइत अछि। एक्कहि बेर एहनो नहि छैक, राजनीतिक दल वा नेताक संग – संग जौं आम नागरिक सेहो आचार संहिताक उल्लंघन करैत अछि त’ दंडक अधिकारी बनि सकैत अछि। चुनाव आचार संहिता राजनीतिक दल, राजनेता, अधिकारी, संगहि आम नागरिक पर सेहो लागु होइत अछि। तैं जहन कोनो सरकारी अधिकारी कार्य टारैत अछि वा साफ मना करैत अछि, त’ नियमके अनुसार कार्रवाई ओहि अधिकारी पर सेहो कएल जा सकैत छैक। बस, नियम जानकारी रहबाक चाही। नियमानुसार, चुनाव आयोग जखनहि चुनावी कार्यक्रमक घोषणा करैत अछि, त’ स्वाभाविक रूपसँ आदर्श चुनाव आचार संहिता लागु भ’ जाइत छैक । आदर्श चुनाव आचार संहिता लागु होइते, तमाम सरकारी तंत्र, स्वतः चुनाव आयोगक नियंत्रणमे आबि जाइत अछि। जाधरि मतदान आ मतदानक परिणामक आधिकारिक घोषणा नहि होइत अछि, ताधरि, ई आदर्श आचार संहिता प्रभावी रहैत अछि। आदर्श आचार संहिता लोकतंत्रमे, निष्पक्ष चुनाव लेल आवश्यक मानल जाइत अछि, मुदा एहि अवधिमे अनेको तरहक पाबंदी सेहो लगाओल जाइत छैक जे कखनहुँ काल आम जनमानस लेल सेहो असह्य सिद्ध भ’ जाइत छैक। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनावक तिथिक घोषणाक उपरांत, सार्वजनिक उद्घाटन, शिलान्यास पर स्वतः पाबंदी लागि जाइत छैक । कोनो तरहक नव कार्य, चाहे ओ कार्य क्षेत्रक हितमे होय वा कोनो विकास कार्य, मुदा स्वीकृति नहि देल जाइत छैक। सरकारक उपलब्धिवला कोनो प्रकारक बैनर – पोस्टर नहि लगाओल जा सकैत अछि। आदर्श आचार संहिता लागु भेलाक उपरांत, तमाम सरकारी वाहनसँ सायरन हटा लेल जाइत अछि, संगहि सरकारी भवनमे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, राजनीतिक व्यक्तिक फोटो सेहो नहि लगएबाक प्रावधान छैक। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक वा आन कोनो मीडिया प्लेटफार्म पर सरकारक कोनो विज्ञापन नहि चलाओल जा सकैत अछि। नेता संगहि मतदाताक लेल निर्देश जारी कएल जाइत छैक कि, कोनो प्रकारक लेन – देन अथवा प्रलोभनसँ बाँचल जाए। सोशल मीडिया पर कोनो तरहक भ्रामक तथ्य साझा करएसँ सेहो बँचबाक चाही, अन्यथा एहि प्रकारक एक्कहु गोट पोस्ट पर कानूनी कार्रवाई सेहो संभव अछि। नेता – मंत्री लेल विशेष रूपसँ निर्देश देल जाइत अछि कि, चुनावी प्रचार – प्रसार लेल, कोनो सरकारी संपत्तिक उपयोग नहि कएल जाए। हर राजनीतिक दलक नेताकेँ चुनावी रैली करएसँ पूर्व प्रशासनसँ स्वीकृति लेब आवश्यक मानल जाइत अछि। चुनावी रैलीमे धर्म, जातिके आधार पर वोट नहि माँगल जाए, संगहि चुनाव प्रचारके दौरान कोनो प्रत्याशी एहेन कार्य नहि करए, जाहिसँ जाति आ धार्मिक अथवा भाषाई समुदायके मध्य विवाद उत्पन्न होय। वोटके लेल धनबल आ बहुबलक प्रयोग नेता आ नेताक समर्थक लेल नुकसानदेह सिद्ध भ’ सकैत अछि। कहबाक तात्पर्य ई जे, आदर्श चुनाव आचार संहिता त’ लोकतंत्रके मजगूत करबाक लेल लागु कएल जाइत अछि, मुदा वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य देखि, ई प्रतीत नहि होइत अछि कि, चुनावमे एकरा प्रभावी ढंगसँ लागु कराओल जा सकत। कारण, आब राजनीतिमे धनबल, बाहुबल आ जाति – धर्मक उपयोगिता अप्पन चरम धरि पहुँचल अछि। चुनाव प्रक्रियामे बच्चा सभक उपयोग पर आयोग एहि बेर अत्यंत कठोर अछि, किएक त’ बेसीकाल देखल जाइत अछि कि, रैली आ पोस्टर लगएबाक कार्यमे राजनेता द्वारा बच्चा सभक उपयोग कएल जाइत अछि। ई नियमक विरुद्ध त’ अछि, मुदा बच्चा सभक भागीदारी चुनावी प्रक्रियामे साफ देखल जाइत अछि। तैं बालश्रम पर अंकुश लगएबाक उद्देश्यसँ, भारतीय निर्वाचन आयोग, आगामी लोकसभा चुनावके ल’ क’ पहिनहि एकटा दिशा निर्देश जारी कएने छल। चुनाव आयोग द्वारा राजनीति दल आ नेताके निर्देश देल गेल छलैक कि, चुनावी रैली वा पोस्टर लगएबाक कार्यमे बच्चा सभक उपयोग नहि कएल जाए। आगामी लोकसभा चुनावके ल’ क’ हर राजनीतिक दल अपना स्तरसँ प्रयास क’ रहल अछि, किएक त’ चुनावमे आब किछुए समय बाँचल अछि। भारतीय निर्वाचन आयोग सेहो एहि लेल हर तरहक सरंजाम कएने अछि, देशमे लोकसभा चुनाव निर्बाध रूपसँ संपन्न होय एहि लेल चुनाव आयोग हर तरहक तैयारी क’ रहल अछि। एहि क्रममे चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनावके ल’ क’ एकटा कठोर दिशा – निर्देश जारी कएल गेल छल आ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ओ तमाम दिशा निर्देश अप्पन कल्हुका प्रेसवार्तामे पुनः कहलनि। आयोग द्वारा तमाम राजनीतिक दल, नेता, आ चुनावी तंत्रके, राजनीतिक प्रचार आ रैली सभसँ बच्चा सभके दूर रखबाक निर्देश जारी कएल गेल अछि। यद्यपि, अप्पन माए – बापक संग बच्चा सभक उपस्थिति वा कोनो नेताक संग अभिभावक आ बच्चाक उपस्थिति दिशानिर्देशक उल्लंघन नहि मानल जाएत। चुनाव आयोग द्वारा साफ – साफ कहल गेल अछि कि, राजनीतिक दल आ प्रत्याशीके कोनो तरहेँ राजनीतिक अभियान आ रैलीमें बच्चा सभक उपयोग नहि करबाक अछि। दिशा निर्देशमे, बच्चा सभके कोनो प्रकारे राजनीतिक अभियानमे शामिल नहि करबाक अछि, दिशा निर्देशमे बच्चा द्वारा कविता पाठ करब, गीत, नारा वा बच्चा द्वारा बाजल गेल शब्द संगहि ओकरा द्वारा कोनो राजनीतिक दल अथवा प्रत्याशीक प्रतीक चिन्हक प्रदर्शन करब मनाही अछि। आयोग अप्पन नोटिसमे कहलक अछि कि, तमाम राजनीतिक दल आ प्रत्याशीकेँ बाल श्रम (निषेध आ विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध आ विनियमन) अधिनियम, 1986 के कड़ाईसँ अनुपालन सुनिश्चित करबाक अछि। आयोग अप्पन कार्य क’ रहल अछि, सरकार सेहो अपना भरि प्रयासमे अछि, मुदा ई बिनु समाजक सहयोगे संभव अछि ? जौं देशमे निष्पक्ष चुनाव कएबाक अछि आ चुनाव प्रक्रियामे व्याप्त कुव्यवस्थाके समाप्त करबाक अछि त’ प्रत्येक नागरिकक कर्तव्य बनैत अछि कि, एहि दिशामे डेग उठाबी। जौं सामाजिक स्तरसँ एहि कुव्यवस्थाक विरुद्ध स्वर उठाओल जाएत त’ निश्चित रूपसँ देशमे निष्पक्ष चुनाव निर्बाध रूपेँ संपन्न कराओल जा सकैत अछि।

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