संपादकीय

सभक मूल लक्ष्य मिथिले राज्य, सभक राह मिथिले राज्य दिसि : अजय नाथ झा शास्त्री

संपादकीय
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असाध्य रोग जखनि कोनो भऽ जाइत छैक तऽ के केम्हरसँ कोन रुपें सहायता करय, रोगीकेँ तकर चाहत मात्र रहैत छैक, कियो कोनो प्रकारक सहयोगी बनय तकर मात्र प्रसंशे टा होइत छैक, कोनो सहयोगीक लेल ई नहिं कहल जाइत छैक जे ओ एना सहयोग किएक कऽ रहल छथि। तऽ ई बात ओ रोगी टा बुझैत छैक। तहिना एखनि मिथिला राज्य प्राप्त करब एकटा असाध्य रोग अछि आ ई रोग जे अपन बुझि काज करत से तहिना व्यवहार करत, सभ सहयोगी तकरा लेल अमृतेप्रद हेतै। किनको ओ गलत नहिं बुझत। मुदा जे एकरा अपन असाध्य रोग नहिं बुझि काज करत से अपन काजसँ अधिक दोसर सहयोगीक काजमे झांकत आ दखल देत।

ओना तऽ ठिके जँ एक्कहि बेर मिथिला राज्य बनि जाए तऽ सभकिछु स्वाभाविक रूपसँ भऽ जाएत, राज्यक आधिकारिक भाषा मैथिली भऽ जाएत, विद्यालयक प्राथमिक वर्गक पढ़ौनीक माध्यम मैथिली भऽ जाएत, मैथिली पत्र-पत्रिकाकेँ राजकीय अनुदान भेटय लगतै, तुरत राज्य केंद्रकेँ आवेदन करत जे मैथिलीकेँ शास्त्रीय भाषाक दर्जा भेटय, जतेक सरकारी विभाग छैक सभ ठाम मैथिलीमे व्यवहार शुरू हेतै आ स्थानीय आम मिथिलावासीकेँ रोजगार भेटतै आ ताहिमे सभसँ अधिक लाभ तिनके सभकेँ भेटत जिनका सभकेँ एखनो सरकारी नौकरी आदिमे सभसँ लाभ भेटैत छनि। मैथिलीक मात्र सभठाम व्यवहार शुरु भेलासँ कतेको रोजगारक सृजन होएत। कमो पढ़ल-लिखल लोक बिना बिचौलियाक अधिकारी सभसँ लिखित-वाचिक व्यवहार करय लागत, आइ कतेको रास बाहरी व्यवसायी सभ मिथिलामे अछि, तिनको सभकेँ मैथिली भाषी स्थानीय लोकक भर्ती करय पड़तनि, मिथिला लेल शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, संरक्षण सभ ‘स’कार साकार भऽ जयतैक।

मुदा ओ राज्य भेटय लेल स्वाभिमान, जज्बा, उत्कंठा आदि एक-एक मिथिलावासीमे जगतै तखने एकजुटताक संग संघर्ष करतै। माटिक सुगंध माटि परक व्यवहारसँ अओतैक, ताहि लेल जखनि मैथिली जन-जनमे यत्र-तत्र-सर्वत्र गुंजय लागत तऽ स्वाभिमान आ जज्बा परवान चढ़त, एतय केर लिपि मिथिलाक्षर हर सार्वजनिक बोर्ड आ बैनर सभमे देखाय लागत तऽ पहिचानक परवान चढ़त, एतय केर संस्कृति व्यवहृत रहत तऽ मौलिकता बाँचल रहत आ स्वाभिमान अंकुरित होएत जे संघर्षक लेल प्रेरित करत।

तऽ मूल बात जे मिथिला राज्य बिना कठिन संघर्षक नहिं भेटत आ ओहि कठिन संघर्षक लेल प्रेरित करत अहाँक स्वाभिमान आ जे स्वाभिमान आओत से अपन भाषा, लिपि, संस्कृति, परंपरा, रिति-रिवाज, धरोहर आदिक संरक्षण आ विशेषतः पूरा व्यवहारसँ , तऽ संघर्षक लेल ई सब मौलिक तत्व अछि, ऊर्जावान बनबाय केर कारक अछि, शरीरक लेल शोणित अछि, त‌ऽ जाधरि ई सभ तत्व क्रियान्वित नहिं होएत ताधरि निष्प्राण बनल रहब आ जकर प्रत्यक्ष परिणाम परिलक्षित भऽ रहल अछि।

आइ इएह सभ तत्वक बसात बहब शुरू भेल अछि तऽ लोकमे अधिकाधिक जागरण शुरू भेल अछि, जतेक एहि सभ तत्वक मात्रा बढ़ैत जाएत समग्र मिथिलावासी मिथिला-मैथिलीक स्वाभिमानक रंगमे रंगैत जाएब आ तखनि संघर्ष आसान होइत जाएत कारण एकजुटताक लहरि चलतै जे मिथिला राज्यक राह आसान कऽ देत। तऽ कारक तत्वकेँ अनठिया चाहबै जे सीधे लक्ष्य हासिल भऽ जाए से कथमपि नहिं होएत आ जकर प्रमाण पटल पर प्रत्यक्ष देखा रहल अछि, ऑकलन कऽ सकैत छी, फरिछा कऽ कहब कमजोरी प्रदर्शन करब होएत।

छोट-छोट लक्ष्यसँ विशाल लक्ष्य दिसि बढ़ल जाइत छैक। जेना आइ विद्यालयक प्राथमिक वर्गमे पढ़ौनीक माध्यम मैथिली बनायब अपेक्षाकृत आसान होएत, सरकार पर सभमिलि थोड़ेक दबाब बनायब भऽ जयतैक, अधिकार तऽ भेटले छैक बस लागू नहिं होबय दैत छैक आ जँ ई लागू भऽ गेल तऽ मानू चौथाई लक्ष्य पाबि लेलौंह। मुदा एक्कहि बेर चाहबै सीधे मिथिला राज्ये पाबि ली तऽ से आइ लगभग एक सय सालसँ प्रयास कऽ रहल छी। तहिना जँ घर-घर मैथिली अखबार जाय लागत जाहि लेल आने अखबार जँका मैथिलियो अखबारकेँ सरकारी अनुदान भेटब आवश्यक छैक, अर्थात मैथिली पत्र-पत्रिकाकेँ जँ सरकारी सहयोग भेटय लागय तऽ बुझू आधा लक्ष्य पाबि गेलौंह, तहिना आर भसियाईत मौलिक तत्व सभक संरक्षण दिसि काज कयलौंह तऽ बुझू दू तिहाई लक्ष्य पाबि लेलौंह, कारण एहि सभसँ समग्र मिथिलावासी मैथिली एवं मिथिलामय होएत एवं जज्बा आ स्वाभिमानसँ लबालब होइते कतेक काल लगतै मिथिला राज्य प्राप्त करयमे।

दोसर बात जे ई सभ मिथिला राज्य संघर्षक सहायक तत्व छैक, मिथिला राज्य लेल तऽ प्रयास तेज करहे केर छैक, ताहूमे तऽ आगू मिथिला-मैथिलीक इएह अभियानी सभ रहत, बल्कि एही सभसँ आर वृद्धि हेतैक मिथिला राज्य अभियानी सभक। ई तत्व सभ मिथिला राज्येक उपाय छैक, जतेक एकर सभक उंचाई बढ़तै ततेक मिथिला राज्यक अभियानी बढ़त। मिथिला राज्य तऽ फल छैक आ ओ जाहि गाछसँ भेटतै तकर जड़ि, ठाढ़ि-पात सभ इएह तत्व सभ छैक आ मिथिला राज्ये केर लेल एहि तत्व सभकेँ सक्रिय कयल जा रहल अछि।

मिथिला-मैथिली लेल जे वास्तविक रुपसँ काज कऽ रहल अछि, तिनकर सभक मूल लक्ष्य मिथिला राज्य छनि जे इएह सभ सीढ़ीसँ चढ़िकेँ प्राप्त होएत आ एहि बातक जिनका परख नहिं, तिनकर क्षमताक ऑकलन कयल जा सकैछ। तथापि ओहो अपन समझिक अनुसार जेऽह बुझि जहिना प्रयास करैत छथि ताहिमे जिनकर ततय पहुँच अछि से योगदान दियौ, मिथिला-मैथिलीक सभ काज मिथिला राज्यक राह छैक, सभक मूल लक्ष्य मिथिले राज्य छैक।

अहाँ जे करैत छी ताहि पर मात्र अपन फोकस करु, बाकी जे करैत छैक तकरो से करय दियौ, एक-दोसरा पर टिका-टिप्पणी व्यर्थ, सभक अपन-अपन समझि छैक आ सभ जखनि मिथिला-मैथिलीए लेल काज कऽ रहल छैक तऽ परिणाम ओम्हरे जयतैक जे मूल लक्ष्य छैक अर्थात मिथिला राज्य, तऽ सभकेँ सहायके बुझी आ दोसर बात ई नहिं बुझी जे बस हमहीँ मिथिला राज्य लेल काज कऽ रहल छी, एतय मिथिला-मैथिली लेल कियो जे किछु कऽ रहल छैक से सभ मिथिला राज्ये लेल काज कऽ रहल छैक, अपन-अपन समझदारी छैक जे ताहि लेल प्राथमिकमे की-की सभ मजबूत करय पड़त आ कोन बाटे से प्राप्त हेतै आ ताहि लेल की-की सभ दुरुस्त करैत जाइ पड़त, से कयल जाइत छैक, लक्ष्य तऽ तकरो मिथिला राज्ये छैक।

तऽ जँ वास्तविक लक्ष्य जँ मिथिला राज्ये प्राप्त करय केर अछि, तऽ तकरो सभक बल्कि एहि तरहक सभ काज करयवलाक सहयोग लेबा दिसि उपक्रम करी वा अपने जे नीक लागय से करैत रही, मुदा दोसर ई किएक करैत छथि, तकर निर्णायक नहिं बनी आ नहिं तकरा किछु अंट-संट बाजि बाधा पहुँचाबी , ओ जँ अहुँक काजकेँ उपयोगीए बुझैत अछि तऽ अहाँ किएक ओकरामे दखल देबै, बल्कि ई किएक नहिं बुझब जे ओकरो काज सभ मूल लक्ष्यक प्राप्तिमे सहायके अछि। अथवा जँ मिथिला राज्य नहिं बल्कि सभकेँ अपन-अपन अलग-अलग मिथिला राज्य चाही तऽ गुड़-चाउर फांकैत रहू आ नाम लिखबैत रहू।

निष्कर्ष ई जे सभक लक्ष्य एक्कहि अछि आ ओ अछि ‘मिथिला राज्य’ आ तकरा प्राप्त करय लेल सभ अपन-अपन बुद्धिक प्रयोग करैत अछि, तऽ सभकेँ सकारात्मक आ सहयोगीए बुझी, जँ ताल-मेल बैसैत अछि तऽ परस्पर सहयोग सेहो लिअ अन्यथा अहाँ अपन प्रयासमे लागल रहू आ दोसराकेँ सेहो अपन प्रयास करय दियौ, कियो एक-दोसरक काजकेँ विरोध नहिं करु बल्कि अपन काज पर फोकस करु। आजादीक आन्दोलनमे सेहो अनेक समूह छलैक, मुदा सभक मूल लक्ष्य भारतक स्वतंत्रते छलैक आ जे स्वतंत्रता भेटलैक ताहि केर कारणमे सभ समूहक अपन-अपन प्रयास सन्निहित रहलै, तऽ बाट सबहक एक्कहि अछि, अपन प्रयास पर फोकस करैत आ बिना कोनो दोसरक प्रयासमे टीका-टिप्पणी करैत राह पर बढ़ैत जाउ, सभकेँ समान विचारधारा वालाक सहयोग भेटैत जाएत आ सभक लक्ष्य जखनि एक्कहि अछि तऽ सभक प्रयास रंग आनत आ लक्ष्यक प्राप्ति होएत। लक्ष्यक प्राप्ति कहुना होय ताहिसँ सरोकार, आ ई बुझि ली जे ई कोनो एक गोटे वा एकटा संगठनक प्रयाससँ नहिं होएत, बल्कि समग्र भिन्न-भिन्न संगठन ओ व्यक्ति सभक प्रयाससँ होएत, तेँ इहो नहिं भ्रम पाली जे हमहीं सभटा कऽ लेब आ नहिं ताहि भ्रममे दोसरक काजक बाधक बनी जे ओ खसि पड़त तऽ हमहीं सभटा रहब, हमर सभक लक्ष्य मिथिला राज्य अछि, विशाल मिथिला राज्य आ तकर प्राप्ति विशाल सामर्थ्यसँ होएत, तऽ से सदा ध्यान राखी आ ताहि लेल व्यापक सोच राखी, सभ जखनि चारु दिसिसँ जागत तखनि भेटत मिथिला राज्य, तऽ सभक प्रयासक लक्ष्य एक्कहि आ सभक राह अखंड मिथिले राज्य दिसि, ई मोनमे उतारब तऽ लक्ष्य आसान होइत जाएत।

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