सर्वोच्च न्यायालय चुनावी बॉन्ड योजनाकेँ अनुच्छेद १९(१)(ए)क उल्लङ्घन आ असंवैधानिक मानलक अछि। सर्वोच्च न्यायालय चुनावी बॉन्ड योजनाकेँ रद्द कऽ देलक। सर्वोच्च न्यायालयक कहब अछि जे चुनावी बॉन्ड योजनाकेँ असंवैधानिक मानैत रद्द करय पड़त।
केंद्र सरकारक चुनावी बॉन्ड योजनाक कानूनी वैधताकेँ चुनौती देबयवला याचिकापर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ कहैत छथि जे दूटा अलग-अलग निर्णय अछि – एकटा हुनका द्वारा लिखल गेल आ दोसर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा लिखल गेल अछि आ दुनू निर्णय सर्वसम्मत अछि।
सर्वोच्च न्यायालय कहलक अछि जे अज्ञात चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद १९(१)(ए)क अन्तर्गत सूचनाक अधिकारक उल्लंघन करैत अछि। काला धन पर अंकुश लगाबय लेल सूचनाक अधिकारक उल्लंघन उचित नहिं अछि।
पछिला साल नवंबरमे सीजेआई डी.वाई. चन्द्रचूड़क नेतृत्वमे पाँच न्यायाधीशक संविधान पीठ एहि मामिलाक सुनवाई कयलक। पीठक अध्यक्षता न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला आ न्यायमूर्ति मनोज मिश्रक खंडपीठ लगातार तीन दिन धरि बहस सुनलाक बाद एहि मामलामे अपन फैसला सुरक्षित राखि लेने छल।
याचिकाकर्ता लोकनि शीर्ष अदालतक समक्ष तर्क देलनि जे चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद १९(१)क अन्तर्गत नागरिकक सूचनाक मौलिक अधिकारक उल्लंघन करैत अछि, पछिला दरवाजाक पैरवी सक्षम करैत अछि आ भ्रष्टाचारकेँ बढ़ावा दैत अछि। संगहि, विपक्षी राजनीतिक दलक लेल समान अवसरकेँ समाप्त करैत अछि।
चुनौतीक जवाब दैत सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तर्क देलनि जे एहि योजनाक उद्देश्य चुनावी प्रक्रियामे नकदी कम करब छल।
मेहता जोर देलनि जे केंद्र सरकार सेहो चुनावी बॉन्डक माध्यमसँ देल गेल दानक विवरण नहिं जानि सकैत अछि।
ओ एसबीआई अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षरित एकटा पत्र रिकॉर्ड पर रखलनि जाहिमे कहल गेल छल जे अदालतक आदेशक बिना विवरण तक पहुँच नहिं कयल जा सकैत अछि। सुनवाईक दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ कहलखिन कि पाँच महत्वपूर्ण विचार छैक : “१. चुनावी प्रक्रिया मे नकदी तत्व के कम करय के आवश्यकता, २. अधिकृत बैंकिंग चैनलक उपयोग केर प्रोत्साहित करय केर आवश्यकता, ३. गोपनीयताक माध्यमसँ बैंकिंग चैनलक उपयोगकेँ प्रोत्साहित करब, ४. पार्दर्शिता आ ५. घूस केर वैधीकरण।”
एकर अतिरिक्त सीजेआई टिप्पणी कयने छल जे ई योजना सत्ता, केन्द्र आ ओहि सत्ताक हितैषी लोकक बीच रिश्वत आ बदलाक भावनाक वैधीकरण नहिं बनबाक चाही।