सर्वोच्च न्यायालय सोमदिन आईपीसी, सीआरपीसी आ साक्ष्य अधिनियमक स्थान पर तीनटा नव आपराधिक कानूनक विरुद्ध दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करबासँ मना कऽ देलक।
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदीक अध्यक्षतावाला अवकाशकालीन पीठ याचिकाकर्ताकेँ कहलक जे ई याचिका सही नहिं अछि, एकरा खारिज कयल जा रहल अछि। याचिकाकर्ता विशाल तिवारी कहलनि जे एहन स्थितिमे हुनका याचिका वापस लेबाक अनुमति देल जेबाक चाही।
बेंच कहलक “अहांकेँ जे करए के अछि से करू, ई याचिका बहुत लापरवाह तरीकासँ दायर कयल गेल अछि। जँ अहाँ एहि पर बहस करब तऽ हम जुर्माना लगा कऽ एकरा खारिज कऽ देब। लेकिन, चूँकि अहाँ एकरा वापस लऽ रहल छी, तेँ हम जुर्माना नहिं लगा रहल छी।”
अंततः, याचिकाकर्ता अपन याचिका वापिस लऽ लेलक।
जनहित याचिकामे कहल गेल छल जे भारतीय दण्ड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम आ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहितामे कतेको विसंगति अछि। तीनू आपराधिक कानून बिना कोनो संसदीय बहस केर पारित कऽ देल गेल, ओहो तखनि, जखन अधिकांश सदस्य सदनमे उपस्थित नहिं छलाह।
एकर अतिरिक्त ई दावा कएल गेल कि तीनू कानूनक टाइटल ठीक नहिं अछि आ कानून एवं ओकर मकसदक बारेमे नहिं बतबैत अछि।