संपादकीय

कांग्रेस द्वारा अवसरके, आफत बनएबाक प्रयास

धर्मेन्द्र कुमार झा (प्रबंध संपादक)
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तमाम राजनीतिक दल, एहि चुनावी वर्षमे अपना – अपना हिसाबेँ समीकरण सिद्ध करबाक प्रयासमे अछि। पछिले वर्ष संपन्न भेल किछु राज्यक विधानसभा चुनावमे भेटल अप्रत्याशित जीतसँ एक भाग. जतय भाजपा उत्साहित अछि त’ प्रमुख विपक्षी दल आ देशक सभसँ पुरान पार्टी, कांग्रेसमे एखन भगदड़ सन मचल अछि। भाजपाक विरुद्ध बनाओल गेल विपक्षक “इंडिया गठबंधन” सँ आश त’ बड्ड लगाओल गेल मुदा, ओ एखनहु अप्पन अस्तित्व लेल संघर्ष क’ रहल अछि। गठबंधनमे शामिल विपक्षी दल, अप्पन अप्पन लाभ आ हानि पर गहन चिंतन करैत, कांग्रेस पार्टीके विवश करबामे सफल होइत प्रतीत भ’ रहल अछि। गुजरात आ दिल्लीमे कांग्रेस पार्टीक आम आदमी पार्टीक संग समझौता भेल अछि त’ पंजाबमें दुनू दल एक दोसरक विरुद्ध अछि। जम्मू कश्मीरमे कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंसक संग अछि त’ पीडीपी अकेले ताल ठोकि रहल अछि। झारखंडमे गठबंधनक स्थिति साफ़ अछि, त’ बिहारमे पार्टी, अप्पन पएर पर अपनहि कुरहड़ि मारि समझौता करबाक लेल विवश भेल। सीट बंटवारा पर जौं, सभसँ बेसी कतौह माथापच्ची भेल त’ ओ प्रदेश अछि, महाराष्ट्र आ बिहार। प्रदेशक सीट बंटवारा, एक तरहेँ कहल जाए त’ लालू प्रसाद यादवक मन मोताबिक कएल गेल अछि। बिहारमे कांग्रेस 16 सीटक मांग करैत 9 सीट पर राजी भेल, एहि 9 सीटमे कटिहार, किशनगंज, पटना साहिब, सासाराम, भागलपुर, बेतिया, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर आओर महाराजगंज शामिल अछि। जानकारक मानी त’ राजद द्वारा, कांग्रेस पार्टी लेल वएह सभ सीट छोड़ल गेल छैक, जाहि ठाम जीतब मुश्किल अछि। सोझ भाषामे कही त’ एहि तमाम सीट पर राजद कमजोर अछि आ भरिसक तैं, ई सीट सभ कांग्रेस पार्टीके देल गेल छैक। प्रदेशमे कांग्रेस पार्टीक स्थिति जौं आओर बेसी विस्तारसँ बुझबाक होय त’ कांग्रेस पार्टीक फायर ब्रांड युवा नेता कन्हैया कुमार आ पप्पू यादवक स्थिति देखि बुझल जा सकैत अछि। पूर्णिया लोकसभा सीटसँ टिकटक आश लगौने पप्पू यादव, अप्पन बोरिया – विस्तर बान्हि अप्पन पार्टीक विलय, कॉंग्रेसमे कएलनि मुदा हाथ किछु नहि लगलनि। सीट बंटवारामे, पूर्णिया लोकसभा सीट राजदके भेटलैक आ राजद ओहि सीटसँ बिमा भारतीकेँ प्रत्याशी बनौने अछि। जदयू पुनः एक बेर संतोष कुशवाहा पर भरोस कएलक अछि। पप्पू यादव लेल हर राजनीतिक द्वारा लगभग बंद भ’ गेल, किएक त’ अप्पन जन अधिकार पार्टीके ओ पहिनहि कॉंग्रेसमे विलय करा चुकल छलथि, एहि स्थितिमे हुनका लग निर्दलीय लड़बाक अतिरिक्त कोनो आन विकल्प मौजूद नहि छलैन्ह त’ निर्दलीय प्रत्याशीक रूपमे ओ नामांकन करा चुकल छथि। पप्पू यादव अपना भरि बड्ड मान मनौअलि कएलनि, अनुनय – विनय कएलनि, मुदा हुनकर तमाम प्रयास असफल सिद्ध भेल। कांग्रेस पार्टी त’ अप्पन हाथ पहिनहि उठा चुकल अछि, मुदा पप्पू यादव मानए लेल तैयार नहि छथि। एक भाग पप्पू यादव, राजदसँ अप्पन प्रत्याशी हटएबाक आग्रह करैत रहलाह त’ लालू प्रसाद यादव द्वारा कांग्रेस पार्टी पर दबाव बनेबाक प्रयास सेहो भेल। आब पूर्णिया लोकसभा सीट, देशक किछु चुनिंदा सीटमे शामिल भेल अछि, जतय निजगुत किछु कहल नहि जा सकैत अछि। पूर्णियामें आब त्रिकोणीय मुकाबला होयत ई तय अछि। पप्पू यादवकेँ अनुसार एहि स्थिक जिम्मेदार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव आ तेजस्वी यादव छथि। पप्पू यादवक एहि निर्णयसँ इंडिया गठबंधनक तमाम रणनीति आ समीकरण बिखरावक कगार पर अछि। अल्पसंख्यक बाहुल्य सीमांचलमे आन – आन सीटक भांति पूर्णिया लोकसभाक मुसलमान मतदाता, इंडिया गठबंधनक आधार मानल जाइत अछि। राजद सेहो अप्पन माय समीकरणके ल’ क’ आश्वस्त छल, मुदा एहि क्षेत्रमे असदुद्दीन ओवैसीक प्रभाव सेहो तेजीसँ बढ़ल अछि जे, इंडिया गठबंधन लेल कोनो संकटसँ कम नहि अछि। पप्पू यादवक अप्पन छवि, एकटा कर्मठ नेताक रहल अछि, मुदा पप्पू यादव सेहो ओही अल्पसंख्यक वोट प्राप्त करबाक लेल कांग्रेसमें शामिल भेल छलाह, जाहिमे ओवैसी एखन सेंधमारी करबाक प्रयास क’ रहल छथि। पूर्णिया लोकसभा क्षेत्रमे, पप्पू यादव लगातार मेहनति करैत रहल छथि, किएक त’ एहि सीटसँ ओ तीन बेर सांसद सेहो रहल छथि। दू बेर त’ ओ, निर्दलीय चुनाव जीतल छथि, हँ एक बेर ओ, सपाक प्रत्याशीक रूपमे विजयी भेल छथि, मुदा एहि क्षेत्रमे सपाक कोनो जनाधार नहि छलैक त’ कहल जा सकैत अछि कि, 1996 में संपन्न भेल लोकसभा चुनाव सेहो, ओ अपनहि बुते जीतल छलाह। पप्पू यादव सीमांचलक किछु सीट पर अप्पन पकड बनौने छथि, पप्पू यादवक गिनती जनाधारवला नेतामे होइत छैक। आ हुनकर इएह योग्यता देखि आब, एआइएमआइएम द्वारा समर्थनक गप्प कहल जा रहल अछि। सीमांचल क्षेत्रमे त’ पहिनहिसँ एआइएमआइएम, राजद आ कांग्रेसके लेल संकट अछि, आब जौ ओवैसी, पूर्णिया सीट पप्पू यादव लेल छोड़ैत छथि त’ मुकाबला, निश्चित रूपसँ रोचक होयत ई, तय मानल जा रहल अछि। विगत विधानसभा चुनावमे एआइएमआइएम पांच सीट पर जीतल छल, मुदा पाँचमे सँ चारि गोट विधायक राजदमे शामिल भ’ गेल छल। आब ओवैसीक एहि निर्णयके, एहि सभसँ जोड़ि क’ देखल जा रहल अछि। बात जे होय, मुदा पूर्णिया सीट पर ओवैसीक पाछा हटब, इंडि गठबंधन लेल कोनो पैघ संकटसँ कम नहि मानल जा रहल अछि। पप्पू यादवक भांति कन्हैया कुमारक दावेदारी सेहो गठबंधन धर्मक निर्वाहमे स्वाहा भ’ गेल। कहबाक तात्पर्य ई, जे कांग्रेस पार्टी आई ओहि स्थितिमे नहि अछि कि, अप्पन जनाधारवला कोनो नेता लेल, टिकटक व्यवस्था क’ सकए। प्रदेश कांग्रेसमे एहेन अनेको पैघ – पैघ नेता छथि, जे कन्हैया आ पप्पू यादवक पक्षधर नहि छथि। प्रदेशमे, कांग्रेस पार्टी एक तरहेँ कही त’ आत्मसमर्पण कएने अछि, मोदी हटाओ नाराक संग राजद, कांग्रेस पार्टीक एहि विवश्ताक लाभ उठा रहल अछि। कांग्रेस पार्टी द्वारा आरोप लगाओल जाइत छैक कि, ईडी आ सीबीआई के भयसँ पार्टी नेता, भाजपामे शामिल भ’ रहल छथि। मुदा अनेको एहेन नेता पार्टी छोड़ि, भाजपामें शामिल भ’ चुकल छथि जिनकर सीबीआई आ ईडीसँ कोनो संबंध नहि छल। बहुत रास नेता, पार्टीमे उचित सम्मान नहि भेटबाक आरोप लगबैत पार्टी छोड़लनि। ई मात्र बिहारक स्थिति नहि अपितु हर राज्यक हाल एहने सन अछि। पार्टीक वरिष्ठ प्रवक्ता रोहन गुप्ता त’ टिकटके ठोकर मारि पार्टीसँ त्यागपत्र देलनि। तहिना गौरव वल्लभ सेहो पार्टीक पक्ष रखैत टीवी पर देखल जाइत छलाह, मुदा पार्टी पर नाना प्रकारक आरोप संगहि सनातन विरोधी कहि, भाजपामे शामिल भेलाह। इएह हाल महाराष्ट्रक अछि, सीट बंटवारा पर ततेक माथापच्ची भेल कि, पार्टीक अनेको वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़बाक लेल विवश भ’ रहल छथि। शिवसेना उद्धव गुट द्वारा मनमाना ढंगसँ प्रत्याशी घोषित कएल गेल, मुदा कांग्रेसक शीर्ष नेतृत्व चुप्पे रहब उचित बुझलनि। फलतः संजय निरुपम, पार्टी छोड़बाक लेल विवश भेलाह। एम्हर संजय निरुपम त्यागपत्र देलनि आ ओमहर कांग्रेस पार्टी द्वारा हुनका निष्काषित कएल गेल। निरुपम अप्पन त्यागपत्रक उपरांत पार्टी पर अनेको गंभीर आरोप लगौलनि। प्रेसवार्तामें निरुपम कहलनि कि, पार्टीक भीतर अनेको शक्ति केंद्र बनल अछि, निडर आ ईमानदार कार्यकर्त्ताक बात नहि सुनल जाइत अछि। त’ की, संजय निरुपम द्वारा लगाओल गेल आरोप सत्य अछि ? की, कांग्रेस पार्टीमे अनेको शक्ति केंद्र मौजूद अछि ? की, पार्टीमे कार्यकर्ताक बातके नहि सुनल जाइत छैक ? आब आरोपमे कतेक सत्यता अछि, एहि पर संदेह कएल जा सकैत छैक मुदा पार्टीक शीर्ष नेतृत्व अप्पन नेताके प्रति, कार्यकर्ताके प्रति, गंभीर नहि अछि, ई तय अछि। किएक त’ पार्टीक भीतर अनुशासनक आभाव, विगत किछु वर्षसँ देखल जा रहल अछि। अनेको पार्टी नेता, पार्टीसँ निकालल गेलाह आ अनेको प्रमुख नेता, पार्टी छोरि अन्यत्र गेलाह। एतेक उठापटक चलैत रहल आ पार्टीक शीर्ष नेतृत्व लेल धन्न – सन्न। कोनो नेताके रोकबाक वा मनएबाक प्रयास नहि भेल आ नहिए हुनकर सभक गप्प ध्यानपूर्वक सुनल गेल। संजय निरुपम पांच दिन धरि गोहारि करैत रहलाह मुदा, पार्टी द्वारा ओहि पर ध्यान नहि देल गेल फलतः संजय निरुपम पार्टीसँ त्यागपत्र लेल बाध्य भेलाह। एहि सभसँ बुझल जा सकैत अछि कि, पार्टीक कार्यकर्ता वा नेताक बातके अंठाओल जा रहल अछि, आ भाजपा हटाओ अभियानके अंतर्गत, पार्टीके गर्तमे धकलबाक प्रयास भ’ रहल अछि। राजनीतिक जानकारक आ विश्लेषकके मानी त’ भाजपा अप्पन लक्ष्य प्राप्तिक मार्ग पर अग्रसर अछि, आ एखनहुँ इंडि गठबंधन पर एनडीए भारी अछि। त’ देश भरिमे पसरल राजनीतिक उठापटक, कांग्रेस पार्टी लेल एकटा अवसर सिद्ध भ’ सकैत छल। मुदा कांग्रेस पार्टी, भाजपाके सत्तासँ हटएबाक मदमे चूर भ’ एहि अवसरके सेहो अनदेखा क’ रहल अछि। देशक तमाम क्षेत्रीय दल एखन, अप्पन अस्तित्व लेल संघर्ष क’ रहल अछि, भाजपा सदैवसँ क्षेत्रीय राजनीतिक विरोधी रहल अछि। महाराष्ट्रक प्रमुख क्षेत्रीय दल शिवसेना आ राकपा खंड – खंड भेल अछि, शिरोमणि अकाली दल, बसपा, सपाक संग – संग बिहारक तमाम क्षेत्रीय दल स्वयंके सिद्ध करबाक प्रयासमे अछि। आम आदमी पार्टी एखन शराब घोटालासँ त्रस्त अछि, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवालक संग – संग पार्टीक अनेको पैघ नेता सभ जेलमे छथि। मुदा कांग्रेस पार्टी एहि सभसँ दूर रहबाक प्रयास करैत प्रतीत भ’ रहल अछि। राजनीतिक विवशता कही वा समयक चक्र, जे आम आदमी पार्टी, कांग्रेस पार्टीक पतन लेल सभसँ बेसी जिम्मेदार अछि, ओहि पार्टीके बचएबाक लेल कांग्रेस पार्टी, हर तरहक समझौता करबाक लेल तैयार अछि। एक भाग कांग्रेस एखन, आन – आन क्षेत्रीय दलक खेबैया बनल अछि त’ भाजपा अपना पक्षमे माहौल बनएबाक प्रयास क’ रहल अछि। एहि सभ लेल, भारतीय जनता पार्टी, चुनावमे अप्पन सर्वोत्तम टीम उतारि रहल अछि। भाजपा अप्पन एहि तरहक कार्यसँ, कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनएबाक प्रयास सेहो क’ रहल अछि। ई लोकसभा चुनाव, तमाम राजनीतिक दल संगहि कांग्रेस आ भाजपा लेल अति महत्वपूर्ण मानल जा रहल अछि, आ एहि लेल हर दल अपना स्तरसँ प्रयास सेहो क’ रहल अछि। मुदा कांग्रेस पार्टीक स्थिति, आन दलसँ भिन्न अछि, लगातार नेता, पार्टी छोरि रहल छथि आ शीर्ष नेतृत्व, पार्टीमे अनुशासन कायम रखबामे विफल सिद्ध भ’ रहल छथि। भाजपा लग भले अनेको संकट होय मुदा कॉंग्रेस पार्टीक प्रमुख समस्या, पार्टीक भीतर छैक, आ एहि सभ पर अंकुश, मात्र पार्टीक शीर्ष नेतृत्व द्वारा लगाओल जा सकैत अछि।

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