संपादकीय

मुद्दाक आभाव नहि, अपितु मुद्दाक अंबार अछि विपक्षक समस्या

मुद्दाक आभाव नहि, अपितु मुद्दाक अंबार अछि विपक्षक समस्या
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विपक्ष लग सत्ता पक्षक विरुद्ध मुद्दा त’ बहुत रास छलैक, मुदा भाजपा विपक्षके कखनहुँ एक मुद्दा पर टिकहे नहि दैत छैक। आ ईएह खेला, विगत आठ – दस वर्षसँ शुरू अछि। मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार आ लचर शिक्षा संगहि स्वास्थ्य व्यवस्था, चुनाव लेल एहने सन ज्वलंत समस्या कारगर मानल जाइत रहलैक। एकटा स्वच्छ लोकतंत्र लेल मजगूत विपक्ष सेहो आवश्यक छैक, विपक्षक इएह कर्तव्य बनैत छैक कि, आम जनमानससँ जुड़ल समस्या सरकार धरि पहुंचाबय। सदनके माध्यमसँ जनहितक तमाम मुद्दासँ सरकारके अवगत कराबय। आवश्यकता पड़ला पर सरकारक गलत नीतिके विरोध करए, आ सरकारके पाछा हटबाक लेल बाध्य करए। वर्तमान परिप्रेक्ष्यमे कोनो एक दल एहि स्थितिमे नहि अछि कि, ओ सदनमे अप्पन बात मजबुतीसँ राखि सकए, कहबाक तात्पर्य ई जे, कमजोर विपक्षके चलते सरकार (सत्ता पक्ष) मनमाना ढंगसँ कार्य करबाक लेल स्वतंत्र अछि। एहनो नहि छैक कि, विपक्ष अप्पन कर्तव्यसँ पाछा हटि गेल, समय समय पर विपक्ष द्वारा सरकारक निर्णयके विरोध सेहो कएल जाइत रहल अछि। मंहगाई, बेरोजगारी आ कालाधन सनक विषय पर जमि क’ विरोध प्रदर्शन भेल, आ कएक ठाम त’ एहि तरहक प्रदर्शनमे कांग्रेस नेता राहुल गाँधी संगहि सोनिया गाँधी सेहो अप्पन सहभागिता प्रस्तुत कएलनि। मुदा मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेसक संग समस्या इएह छैक कि, ओ अपना बलबूते आंदोलन नहिए सन करैत अछि, हँ कोनो आन संगठन वा दलक आंदोलनमे हकार पुरैत रहल अछि। चाहे ओ, जेएनयू विवाद होय, वा किसान आंदोलन, कुश्ती संघक विवाद होय वा मणिपूरक जातीय संघर्ष, कांग्रेस पार्टी हर ठाम भांज पुरबाक कार्य करैत रहल। एहि सभ लेल मात्र कांग्रेस पार्टीके दोषी नहि मानल जा सकैत अछि, एकर एकटा प्रमुख कारण केन्द्रक मोदी सरकार सेहो अछि। किएक त’ देशमे आब राजनीति पूर्ण रूपेण बदैल गेल अछि, आब राजनीति अत्यधिक आक्रामक ढंगसँ कएल जाइत अछि। राजनीतिमे आब नैतिकता कतौह पाछा छुटि गेल अछि, दल – बदलक परंपरा त’ पुरान अछि, आब पाला बदल आ सरकार बदल कार्यक्रम जोड़ पर अछि। लोकतान्त्रिक तरिकासँ चुनल गेल सरकार खसाओल जाइत अछि, संख्याबल नहि रहितो, सरकार बनाओल जाइत अछि। विपक्ष द्वारा त’ एहि तरहक आरोप आब सामान्य गप्प अछि, आरोपक क्रममे त’ केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसीक दुरुपयोगक आरोप सेहो लगाओल जाइत अछि। मिला – जुला क’ कहल जाए त’ विपक्ष लग मुद्दाक आभाव नहि छैक मुदा, मुद्दाक जे अंबार अछि, मूल समस्या वएह सिद्ध भ’ जाइत छैक। किएक त’ जखनहि विपक्षी पार्टी कोनो विषय पर विरोध प्रदर्शन तीव्र करैत अछि तखनहि एकटा नव आ पैघ कांड भ’ जाइत छैक। एहि क्रममे विपक्षी पार्टीमे असमंजसक स्थिति स्वतः उत्पन्न भ’ जाइत छैक कि, सरकारक विरोध कोन विषय पर कएल जाए ? मतलब कौआ उर्र आ मैना उर्र वाला खेला चलि रहल अछि आ विपक्षी पार्टी सेहो पूर्ण तन्मयताक संग एहि खेलमे सहभागी होइत अछि। एखन भाजपाक संग मुकाबला करब, कोनो एक दलक सामर्थ्यसँ बहार छैक, फलतः विपक्षी नेता आ तमाम विपक्षी राजनीतिक दल, स्थितिक गंभीरता बुझि एकटा गठबंधन बनौलनि, “इंडिया गठबंधन” मुदा एकर शुरुआत कएनिहार अधिकांश विपक्षी नेता, एहि गठबंधनसँ दूर छथि। महाराष्ट्रमे शिवसेना आ राकपा दू खंडमें बंटा गेल, बिहारमे महागठबंधन त्यागि सीएम नितीश कुमार भाजपाक संग छथि। पश्चिम बंगालमे ममता बनर्जी अपना आगू दोसरकेँ मोजरे नहि करैत छथि। आम आदमी पार्टीक अरविन्द केजरीवाल कतौह संग छथि त’ कतौह फराक। एम्हर भाजपा एहि बेर 400 पारक नारा बुलंद कएने अछि आ एहि लेल कोनो तरहक जोखिमसँ बँचबाक प्रयासमे अछि। दक्षिणमे तमिलनाडु छोरि आन ठाम इंडिया गठबंधन, कतौह देखा नहि रहल अछि। एम्हर भाजपा अप्पन परिवार बढ़ौने जा रहल अछि, बिहार आ महाराष्ट्र छोरि लगभग हर ठामक स्थिति स्पष्ट छैक। मुदा इंडिया गठबंधन एखनहुँ रणनीति बना रहल अछि। गठबंधनक तमाम नेता अपना भरि पूरा प्रयासमे छथि कि, भाजपा आ केंद्र सरकारके घेरल जाए, मुदा कोन मुद्दा पर घेरल जाए, इएह नहि फरिछा रहल अछि। किएक त’ हेडलाइंस आ ब्रेकिंग न्यूजक जमानामे हर क्षण मुद्दा बदलैत अछि, हर ब्रेकिंग न्यूज, किछुए क्षण उपरांत पुरान भ’ जाइत अछि आ कोनो नव ब्रेकिंग न्यूज लोकक मष्तिष्कमे अप्पन स्थान बना लैत अछि। लोक त’ लोक, विपक्षी नेता सभक सेहो इएह समस्या छैक। भरिसक तैं कोनो एक मुद्दाके निष्कर्ष धरि नहि पहुंचा पाबि रहल छथि। विपक्षी नेता कोनो समस्या पर सरकारके घेरबाक प्रयास करते छथि कि, एकटा नव आ पैघ समस्या उत्पन्न भ’ जाइत छैक। फलतः विपक्षी नेता ओहि समस्या परसँ ध्यान हटा ओहि नव आ पैघ समस्या पर प्रयास करैत छथि। मुदा पुनः एक बेर ओहिसँ पैघ समस्या पुनः सोझा आबि जाइत अछि आ ई खेल, एहिना निरंतर चलैत रहैत छैक। मंहगाई, बेरोजगारी, कालाधन, कुश्तीसंघ विवाद, मणिपुरक जातीय हिंसा चुनाव आयुक्तक त्यागपत्र आ नियुक्तिके बाद आब विपक्ष लग एकटा महत्वपूर्ण मुद्दा, चुनावी बांडक रूपमे उपलब्ध छैक, विपक्ष आक्रामक सेहो अछि, सरकार पर नित् नव – नव आरोप लगाओल जा रहल अछि। हर क्षण आक्रामक रहएवला सरकार सेहो रक्षात्मक ढंगसँ बात राखि रहल अछि। किएक मामिला आब सर्वोच्च न्यायालयके अधीन अछि, आ शीर्ष न्यायालय एहि विषय पर सरकार संगहि चुनावी बांड लेल अधिकृत बैंक, भारतीय स्टेट बैंककेँ फटकारि चुकल अछि। भारतीय स्टेट बैंक सेहो अपना भरि कोनो प्रयास बांकी नहि रखने अछि, मुदा सर्वोच्च न्यायालय अप्पन स्थिति स्पष्ट क’ चुकल अछि। आब नबका आदेशके अनुसार स्टेट बैंक चुनावी बांडक तमाम जानकारी, भारत निर्वाचन आयोगके सुपुर्द करबा लेल विवश अछि। कहबाक तात्पर्य ई जे, चुनावी बांड एकटा एहेन मुद्दा अछि, जे विपक्षी दल लेल सहायक सिद्ध भ’ सकैत अछि, मुदा एहि विषय पर विपक्ष कतेक हद धरि आगू बढ़ैत अछि, ई विपक्ष पर नहि अपितु केंद्र सरकार पर निर्भर करैत छैक। किएक त’ एहिसँ पैघ मुद्दा कखनहुँ सोझा आबि सकैत अछि, आ तमाम विपक्ष, उछल कूद करैत चुनावी बांडके त्यागि ओहि नव विषय पर उठापटक शुरू करत, ईहो तय अछि।

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