पेरिस ओलम्पिकमे भारतक यात्रा ५ कांस्य आ १ रजत पदकक सङ्ग समाप्त भेल। खेलक एहि महाकुंभमे एक बेर फेर अमेरिका आ चीनक वर्चस्व देखल गेल। बीजिंग ओलम्पिकक बाद ई लगातार चारिम बेर छल, जखनि अमेरिका पदक तालिकामे नंबर १ स्थान प्राप्त कयलक, फलतः सभ देशकेँ पाछू छोड़ि देलक।
भारतकेँ एहि बेर अपन खातामे एको स्वर्ण नहिं भेटल। कतेको अवसर छल जखन भारत स्वर्णक बहुत करीब छल मुदा भाग्यक अभावमे खेलाड़ी सभ छूटि गेलाह।
चाहे ओ भारतीय हॉकी टीमक सेमीफाइनल होय, नीरज चोपड़ाक अंतिम मैच होय वा विनेश फोगाटक संग जे भेल। ई सभ दिन गवाह अछि जे भारतीय खेलाड़ीसभक तैयारी प्रबल छल मुदा कतहु कनेक कमी रहि गेल।
स्वर्ण नहिं जीतबाक परिणाम ई भेल जे १९९२क बाद पहिल बेर भारत समग्र पदक तालिकामे पाकिस्तानसँ पाछाँ रहल। पाकिस्तान स्वर्ण पदक तालिकामे ६२म स्थान पर रहल, जखन कि भारत छओ पदकक बादो ७१म स्थान पर रहल। आब आशा अछि जे लॉस एंजिल्स २०२८ मे भारत स्वर्ण पदक संख्यामे वृद्धि करैत मेडल टैलीमे नीक पोजीशन हासिल करय।
टोक्यो ओलम्पिकमे भारत सातटा पदक जितलक। ई ओलम्पिक इतिहासमे भारतक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन छल। भारतक नजरि एहि आंकड़ामे आओर सुधार करबा पर छल, मुदा भारतीय खेलाड़ीसभक लेल पदक तालिकामे दू अंकमे पहुँचबाक सपना पूरा नहिं भऽ सकल।
भारतक दोहरा अंक पर फोकस मात्र पदक तालिके पर नहिं छल बल्कि एतय एकटा मजबूत प्रदर्शनक अर्थ ई सेहो छल जे भारत २०३६ ओलम्पिकक मेजबानी करबाक अपन सपनाकेँ पूरा करबाक प्रयास करत। मुदा भारतीय दलक कठिन परिश्रमक बादो भारतक लेल टोकियोक तुलनामे पेरिस ओलम्पिक सफल नहिं भऽ सकल।