किसान आन्दोलनक बृहस्पति कऽ तेसर दिन छल। जालंधरमे संयुक्त किसान मोर्चाक नेतृत्वमे पंजाबमे चारि घंटाक ‘रेल रोको’ आन्दोलनक कारण राजपुरा, पटियालाक प्रदर्शनकारी किसान रेल पटरीपर बैसल छलथि आ ट्रेन रोकि रहल छलथि।
केन्द्र सरकारक तीनटा पैघ मंत्री जे किसान संगठनसभसँ निरन्तर वार्ता करबाक अपील कऽ रहल छथि, हुनका सभसँ बातचीत करबाक लेल एक बेर फेर चंडीगढ़ जयताह। तीनटा मंत्री – पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा आ नित्यानंद राय किसान संगठनक संग वार्ता करताह।
मंत्री सभक सङ्ग भेँट पर पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समितिक महासचिव सरवन सिंह पंढेर कहलनि, “हम सभ पूर्णतः सकारात्मक मूडमे बैसारमे भाग लेब आ हमरा विश्वास अछि जे एहि बैसारसँ सकारात्मक समाधान निकलत।”
पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समितिक महासचिव सरवन सिंह पंढेर कहलनि, ” हमरा मंत्री सभक संग बैसार होबयवाला अछि आ हम चाहैत छी जे प्रधानमंत्री मोदी हुनकासँ बात करथि जाहिसँ हम अपन माँगक समाधान तक पहुँच सकी वा हमरा दिल्लीमे शांतिपूर्ण ढंगसँ विरोध प्रदर्शन करबाक अनुमति देल जाय।
कांग्रेस पार्टी १६ फरवरीकेँ किसान संगठनक भारत बन्दक घोषणाक समर्थन कयलक अछि। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश कहलनि, “हम किसान संगठन द्वारा घोषित भारत बंद केर समर्थन कऽ रहल छी। राहुल गांधी आइ सासाराममे भारत जोड़ो न्याय यात्रामे किसानसँ भेंट करताह। ३ टा मंत्रीक नियुक्ति एकटा धोखा अछि। किसान सभ पर ड्रोनसँ आंसू गैसक गोला छोड़ल जा रहल अछि। सड़कसभ पर कील लगा देल गेल अछि। किसानक विरुद्ध जाहि तरहक भाषाक प्रयोग कयल जा रहल अछि ओ निन्दनीय अछि। किसान देश आ समाजक रीढ़ अछि। ई सरकार दानदाता सभक सम्मान करैत अछि, अन्नदाताक नहिं।”
पंजाब, हरियाणा आ पश्चिमी उत्तर प्रदेशक किसानसभ द्वारा राष्ट्रीय राजधानीक घेराबन्दीक लगभग दू सालक बाद,
दिल्लीक सीमा मंगलदिन एकटा नव ‘युद्धक मैदान’मे बदलि गेल, जतय किसान विरोध २.० ‘शहरकेँ फेरसँ रोकि देलक’।
किसान लोकनि ‘चलो दिल्ली’ मार्च शुरू कयलनि, यद्यपि एहि बेर किसानक ताकत आ संख्याक संग माँग सेहो कम अछि, मुदा ई २०२०-२१क किसान विरोधसँ पूर्णतः भिन्न अछि। एहि बेर प्रदर्शनकारी किसानक मुख्य मांग ६० साल आ ओहिसँ बेसी आयुक किसानक लेल १०,००० रुपैयाक पेंशनक सङ्ग-सङ्ग सभ खरीफ आ रबी फसलक लेल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)क कानूनी गारंटी अछि।
खरीफ आ रबी फसलक लेल एम.एस.पी.क अर्थ ई होयत जे सरकार एकटा निश्चित मूल्य निर्धारित करत, जाहिसँ किसानसभकेँ हुनक फसलक मात्रा आ गुणवत्ताक परवाह कयने बिना एकटा निश्चित आय भेटय। किसानसभकेँ सरकारी प्रणालीक लाभ प्राप्त करबाक अथवा ‘कानूनी ढाल’ पाबय केर पूरा अधिकार छैक, मुदा प्रत्येक फसलक लेल एमएसपी न केवल राजनीतिक रूपसँ बल्कि आर्थिक रूपसँ सेहो संभव, टिकाऊ आ उचित नहिं अछि।
भले सरकार किसानक माँग स्वीकार कऽ लेत, जेना कि दू साल पहिने भेल छल, तखनो पूर्ण एमएसपी पर कानून बनेबाक लेल संसदक सत्र आवश्यक होयत। एहन स्थितिमे किसान २.०क ई विरोध एकटा राजनीतिक प्रदर्शन आ प्रायोजित विरोध जकाँ बुझाइत अछि जे कथित रूपसँ किसानक अधिकार आ न्यायक लेल वास्तविक लड़ाईक बदला विपक्षी राजनीतिक दलक समर्थनसँ प्रेरित अछि।