हरिद्वार समदिया
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महाकुंभ एकटा विशाल आयोजन अछि, खास कऽ प्राप्त आँकड़ाक अनुसार तेसर अमृत स्नान अर्थात वसंत पंचमी धरि प्रायः ३५ करोड़ श्रद्धालु स्नान कय लेलनि अछि। आब एतेक पैघ आयोजन लेल व्यवस्था सेहो असाधारण हेबाक चाही आ योगीक सरकार बहुत हद तक ताहिमे सफल भेल अछि। तखनि तऽ मौनी अमावस्याक भगदड़ आ ताहिमे कतेको गोटेक मृत्यु निश्चित रूपसँ एकटा भयानक त्रासदी भेल आ एहि लेल व्यवस्था पर सेहो लोक प्रश्न उठेबे करत, तहिना प्रश्न उठाबय वाला स्वयं आओर जे अव्यवस्थाक अनुभव कयलक तकरो चर्चा करबे करत, यद्यपि समीक्षा तुलनात्मक होयबाक चाही, एकदिसाह नहिं। नीक-बेजाय दुनू पर चर्चा होएबाक चाही। मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश (राष्ट्रीय मैथिली दैनिक) लगातार कुंभक कवरेजक नीक-बेजाय दुनू पहलू बताबैत आबि रहल अछि आ जतयसँ जे समाचार प्राप्त होइत छैक से यथावत् प्रकाशित करय केर चेष्टा करैत अछि।
एहि परिप्रेक्ष्यमे जनतब जे महाकुंभमे हरिद्वारक ‘मातृसदन’ जकर परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद छथि, तिनकर शिविर सेहो मुक्ति मार्ग सेक्टर १८ मे २१ जनवरीसँ ०३ फरवरी धरि छल। मुदा आब हरिद्वारसँ ‘मातृ सदन’ प्रेस विज्ञप्ति जारी कऽ मैपुप्र समदियाकेँ खास कऽ कुंभमे भेल अव्यवस्था दिसि अपन ध्यान आकृष्ट कयलक अछि आ अपन रोष सेहो प्रकट कयलक अछि। मैपुप्र समदियाकेँ ‘मातृसदन’ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति एतय यथावत् राखल जा रहल अछि :-
प्रयागराजमे आयोजित महाकुंभ मेला २०२५ एखनि चर्चाक मुख्य केन्द्रमे अछि। मातृ सदन, हरिद्वार सेहो कुम्भ मेलामे सहभागी भेल तथा मुक्ति मार्ग सेक्टर १८ मे शिविरक स्थापना कयलक। मातृ सदन केर परमाध्यक्ष स्वामी शिवानन्दक उपस्थिति २१ जनवरीसँ ०३ फरवरी धरि छल। गुरूदेवजीक सानिध्यमे मातृ सदन केर संत, ब्रह्मचारीगण समेत अन्य श्रद्धालुजन मौनी अमावस्या एवम् वसंत पंचमीक अमृत स्नान कयलनि।
मुदा एहि बातके स्वीकार करबामे रंचमात्रहुँ दुविधा किंवा हर्ज नहि जे महाकुम्भमे अभूतपूर्व अव्यवस्था परिलक्षित होएत छल। एहेन अव्यवस्था पूर्व केर कुम्भमे नहि देखल गेल। स्वच्छता, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवम् धूल प्रदूषण सदृश मुलभूत समस्याक अतिरिक्त प्रशासनक निष्क्रियता एतेक विशाल जनसमूहके नियंत्रित करबामे पूर्णत: अक्षम साबित भेल।
२९ जनवरीक भयानक हादसा केर परिणामस्वरूप भेल जनहानिकें, प्रशासन पूर्णरूपेण नुकेबाक प्रयास कयलक। जीवन समाप्त केनिहार श्रद्धालुक स्पष्ट संख्या उपलब्ध नहि करायब तथा लीपापोती करब प्रशासनक मुख्य उद्देश्य छल। एतबहिं नहि, तथाकथित अखाड़ा परिषद एवम् ओकर स्वयंभू अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी जे सरकारक मुखपत्र तथा आज्ञाकारी उपकरण केर रूपमे काज कऽ रहल छथि, घटित त्रासदीमे दिवंगत दर्जनों श्रद्धालुक मृत्युके तुच्छ एवम् नगण्य कहि, सरकारक पाखण्डपूर्ण ‘दिव्य-भव्य कुम्भ’ अभियानकें चमकेबामे जुटल छथि। हद तऽ तखन कऽ देलनि जखन शंकराचार्य महाभागक विरूद्ध तर्कहीन वक्तव्य देबाक मुहीममे जुटि गेलाह। प्रश्न अछि जे महंत रविन्द्र पुरी के होएत छथि शंकराचार्यक विरूद्ध बयान देनिहार ? पूर्व द्वयपीठाधीश्वर, ब्रह्मलीन शंकराचार्यक इच्छा तथा वसीयत पर प्रश्न उठेबाक अधिकार हिनका के देलकनि ? एतेक श्रद्धालुक मृत्यु हिनका नजरिमे नहि देखा रहल छन्हि मुदा सरकार पर एहेन गंभीर प्रश्न उपस्थित कयला पर एतेक खराब लगलनि जे शंकराचार्य पर शंका व्यक्त करय लगलाह। हिनक एहेन प्रवृति एहि बातके प्रमाणित करैत अछि जे ई कोन श्रेणी किंवा कोटिक संत छथि। आध्यात्म तऽ दूर, हिनका व्यवहारिक विषयक कतेक ज्ञान छन्हि ?
वास्तविकता ई अछि जे वर्तमान कुम्भ आम श्रद्धालुक लेल नहि बल्कि वीआईपीक स्नान, प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्रीक छायाचित्र द्वारा प्रचार करबा धरि सीमित रहि गेल अछि। मेला क्षेत्रमे असंख्य संख्यामे होडिंग केर माध्यमें अनवरत् राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय मीडियामे नाम चमकेबाक, प्रचार करबाक तथा समस्त तंत्रके एहि दिशामे केन्द्रित करबाक सुनियोजित षडयंत्र केर अतिरिक्त आओर किछु नहि अछि। बेसीसँ बेसी श्रद्धालु कोन प्रकारें महाकुम्भमे स्नान करथि, एहि महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान नहि देल गेल। स्नान घाटक लगीचक भूमि सत्ताधारी दलसँ संबंधित संस्थाकें आबंटित कयल गेल। आम श्रद्धालुक लेल कोनो प्रकारक व्यवस्था नहि कयल गेल।
प्रशासनक एहेन कूटनीति एवम् पाखण्डक विरूद्ध एकमात्र संत मुखरतापूर्वक आवाज उठेलनि, एहेन संतक विरूद्ध सरकारपरस्त परिषद शब्द बाण द्वारा आक्रमण करबाक कुत्सित प्रयास करैत छथि। मातृ सदन एहेन गंभीर व महत्वपूर्ण मुद्दा पर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द महाराजक बयानक समर्थन करैत हिनका संग चट्टान सदृश ठाढ़ अछि।
प्रश्न अछि – अखाड़ा परिषद की थिक ? वर्तमान समयमे एहि संस्थाक योगदान की अछि सिवाय अखाड़ाक सम्पत्ति बेचब तथा नष्ट करब ? अखाड़ा परिषद स्पष्ट करय जे पूर्व अध्यक्षकें कोन परिस्थितिमे आत्महत्या करबाक लेल बाध्य होमय पड़ल छल ? की कारण अछि जे परिषद कोनो एककेँ अध्यक्ष मानबाक लेल तैयार नहि अछि। अनेकों व्यक्ति स्वयंकेँ अपन-अपन गुटक अध्यक्ष घोषित कयने छथि ? कथित अखाड़ा परिषदक पदाधिकारीगणसँ पूछल जेबाक चाही जे परिषद द्वारा संन्यासक कोन प्रकारक मूल धर्मके पालन कयल जा रहल अछि ?
मातृ सदन स्पष्ट कहि रहल अछि जे अखाड़ा परिषद, अपन मूल उद्देश्य एवम् सार्थकताकें पूर्णरूपेण समाप्त कऽ चुकल अछि। अस्तु, एहेन संस्थाके तत्काल समाप्त कऽ देल जेबाक चाही। अखाड़ा परिषदक भूमिका एकमात्र रबड़ स्टाम्प बनि चुकल अछि। एकर अतिरिक्त धर्मक प्रतिष्ठाक प्रति कोनो प्रकारक कार्य जनमानसक मध्य नहि अछि। अखाड़ा परिषदक पदाधिकारी मात्र संस्थाक सम्पत्तिकें बन्दरबाँट करबाक ब्योतमे लागल अछि।
मातृ सदन सुझाव दैत अछि जे अखाड़ा परिषदक स्थान पर एक नव प्रमाणिक एवम् सुसंगठित प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करय, जाहिमे समस्त तथाकथित अखाड़ाकें एकीकृत करैत दू मुख्य गुटक निर्माण कयल जाय। पहिल गुट संन्यासीक लेल एवम् दोसर बैरागीक लेल। संन्यासीक नेतृत्व शंकराचार्यक अधीन होय तथा बैरागीक नेतृत्व रामानंदाचार्य आदिक अधीन होय। विभिन्न अखाड़ाक अनियंत्रित विभाजन आओर अनुशासनहीनताक कारणें भारतवर्षमे संन्यास तथा सिद्धांतक बड्ड बेशी पतन भेल अछि जकरा तत्काल समाप्त करब अत्यावश्यक अछि।
सरकार द्वारा कयल गेल गलती किंवा कयल जा रहल गलतीकेँ ढ़कबाक माध्यम संतके नहि बनाओल जेबाक चाही। धर्म, सत्य तथा धर्मक रक्षा करब संतक कर्तव्य छन्हि। सत्ताक चाटूकारिता केनिहार संतक श्रेणीमे नहि अबैत छथि। मातृ सदन पूर्ण निष्ठाक संग सत्यक पक्षमे तथा धर्म रक्षार्थ ठाढ़ अछि तथा शंकराचार्य महाभागक वक्तव्यके पूर्णत: समर्थन करैत अछि।