माघ मासमे मनाओल जाय वाला गुप्त नवरात्रिक नवमी तिथि पर कुमारी कन्या पूजन कय सबकेँ भोजन कराओल गेल । ई गुप्त नवरात्रि सोमदिन समाप्त होयत। मतस्यगंधा रक्तकाली चौसठ योगिनी मंदिरक मुख्य पुजारी रविन्द्र कुमार झा कहलनि जे, ओतय एक सालमे चारि नवरात्रि मनाबय केर परिपाटी अछि। जे परम्परा एखनो चलि रहल अछि। ओ कहलनि जे आश्विन मासमे शारदीय नवरात्रि आ चैत नवरात्रिक दौरान मूर्तिक भरपूर निर्माण होइत अछि आ पूजा बहुत उत्साहसँ होइत अछि।जखन कि चैत नवरात्रि कठिन साधना होयबाक कारण व्रत रखबामे जे सक्षम छथि, सैह करैत छथि लेकिन लगभग सब सनातनी लोग शारदीय नवरात्रि मनाबै छथि ।ओ कहला कि आषाढ़ आर माघ महीनामे गुप्त नवरात्रिमे साधक, सिद्ध मुनि, महात्मा ऋषि, तपस्वी सब चारू नवरात्रिक कठिन साधना कय मनाबैत छथि। ओ कहलनि जे चारू नवरात्रिक दौरान मंदिरमे जयंती आ कलशक स्थापना होइत अछि। एकर संग-संग दुर्गा सप्तशतीक पाठ सब दिन नियमित रूपसँ होइत अछि। ओतहि दशमी पर 56 प्रकार कए व्यंजन माँ भगवती केर चढ़ाओल जाइत अछि। जे भक्तक बीच प्रसाद स्वरूपमे बांटल जाइत अछि। ओ कहलनि जे मिथिलाक हृदयस्थली सहरसाक भूमि शक्ति भूमि स्थल अछि। जतय उग्रतारा भगवती, कात्यायनी भगवती, चंडिका भगवती, ज्वालामुखी भगवती कुलदेवीक रूपमे घर-घरमे पूजल जाइत छथि।