प्राचीनतम भाषामे प्रायः तमिल आ मैथिलीकेँ समकक्ष मानल जाइत अछि। ई भाषा सभ भारतक धरोहरि अछि आ प्रधानमंत्री मोदीक धरोहरि सभक प्रति विशेष रुचि छनि। ताहि लेल जखनि तमिलनाडु गेलैथ तऽ ई जोर दऽ कऽ कहलखिन जे ‘तमिलनाडु सरकार ओतय केर स्थानीय भाषा अर्थात मातृभाषा तमिलक माध्यमसँ मेडिकलक पाठ्यक्रम चलाबय ताकि गरीबक बच्चा सेहो डाॅक्टर बनय।
तऽ ई बात मिथिलाक गरीब-गुरबाकेँ सेहो सोचबाक चाही जे अपन मातृभाषाक माध्यमसँ अर्थात मैथिलीक माध्यमसँ पढ़ाई होएत तऽ सभकिछु आसान होएत। सिधा विषय सिखब आ ताहिमे सुगमता होएत, रुचिसँ सिखब कारण जाहि भाषाक वातावरणमे लोक रमल रहैत अछि से भाषा सभसँ आसान होइत छैक, ताहि लेल कमसँ कम शुरुआतक प्राथमिक वर्गमे बच्चा सभक लेल अपन मातृभाषेक माध्यमसँ पढ़ाई अनिवार्य छैक, ताकि कोमल मोन-मस्तिष्क पर कोनो अतिरिक्त दबाव नहिं पड़य, बच्चा रुचिपूर्वक जे सिखबाक छैक बस मात्र ताहि दिसि ओकर ध्यान रहय, अन्य भाषाक अतिरिक्त बोझ ओकरा पर नहिं आबय। तें प्राथमिक अर्थात पांचम वर्ग तक अर्थात परिपक्वताक राह दिसि बढ़य केर शुरुआतसँ पहिने तक बच्चामे शिक्षाक आधार मजबूत कयल जाइत छैक।
यद्यपि आगुओक पढ़ाई जँ अपन मातृभाषेक माध्यमसँ हेतैक तऽ ठिके डाॅक्टर-इंजिनियर आदि बनय लेल अंग्रेजीक बोझ आ बाहर जायकेँ झोंकमे खर्चाक बोझ सभसँ मूक्ति भेटत, फलतः गरीब-गुरबाक बच्चा सेहो उच्च शिक्षा प्राप्त कऽ उच्चाधिकारी आ निक स्किलक ज्ञाता होएत, तें शिक्षाक सभसँ निक साधन अपन मातृभाषे होइत छैक आ तें मोदीजी तमिलनाडुमे तमिलक माध्यमसँ मेडिकलक पाठ्यक्रम चलाबय पर जोर देलनि अछि ताकि गरीबक बच्चा सेहो डाॅक्टर बनय।
मुदा ई बात मिथिलाक गरीब-गुरबाक समझमे नहिं आबि रहल अछि। मैथिलीक चर्चा करब तऽ पट दऽ बाजि उठैत छथि जे मैथिली पढ़ला-बजला-लिखलासँ की हेतै ? आ ताहिकाल ताहि व्यक्तिकेँ अहाँ ठिकसँ समझाइयो नहिं सकैत छी, कारण अहाँ जे समझेबै ताहि समझ केर ग्रहण करय केर क्षमते नहिं हुनकामे रहैत छनि, अहीँ अपना-आपकेँ बेवश अनुभव करब।
माने एतय भाषा तकमे जाति-पातिक रंग घोरल अछि, जे रंग घोरयमे बहुत हद तक दुनू दिसि गलती अछि, मुदा बुधियार लोकसभ अपन काज एहीसँ सुतारि रहल अछि जे भने ओ सभ मैथिलीसँ दुर अछि। ई कहय केर तात्पर्य ई जे जँ अहाँ मैथिली केर कोनो एक-दू समुदायक मानि मैथिलीसँ दुर होइत जाएब तऽ स्वयँ अपन नोकसान कऽ रहल छी ने ?
अहाँकेँ प्रतिउत्तरे तऽ प्रतिउत्तरे तखनि तऽ आर मैथिली केर धरय केर चाही। बल्कि मैथिली माध्यमसँ पढ़ाईक लेल अहाँसभकेँ आगू भऽ आवाज उठाबय केर चाही, ताकि अहाँ सभक अर्थात गरीब-गुरबाक बच्चा सेहो सुगमतासँ डाॅक्टर-इंजिनियर बनय। मैथिली आ मैथिली माध्यमसँ पढ़ाई सभसँ अधिक गरीबे-गुरबाक लेल हितप्रद अछि, आ ई बात प्रधानमंत्री मोदीजीक एहि वक्तव्यसँ समझि सकैत छी जे तमिलनाडुमे कहलनि। मातृभाषा तमिलक माध्यमसँ पढ़ाई पर जोर देलनि आ कहलनि जे तमिलक माध्यमसँ मेडिकलक पाठ्यक्रम होएत तऽ गरीबक बच्चा सेहो डाॅक्टर बनत। ठिक तहिना मिथिलोमे मैथिलीक माध्यमसँ पढ़ौनी होएत तऽ सभसँ अधिक गरीबेक बच्चाक लेल हितप्रद हेतै।