संपादकीय

सांस्कृतिक संरक्षणक लेल एहि डेगक आवश्यकता

अजय नाथ झा शास्त्री
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संचार तंत्रक अत्यधिक सुविधाक कारण लगभग सबटा पावनि-तिहार मनाबय केर तिथि-समयमे अधिकतर लोककेँ संशय केर निर्माण भेल रहैत अछि। तें कहल गेल अछि ‘अति किछुकेँ नहिं नीक’ , ई संचार तंत्र ग्लोबली लोककेंँ मिझरा देलक अछि आ ठाम-ठामक भांति-भांतिक विद्वानक अपन-अपन मान्यताक मत सार्वजनिक रुपसँ सभक लेल समान रुपसँ प्रतिपादित करब, खास कऽ २४ घंटा चलबयवाला अनगिनत चैनल पर जिनका जे फुरेलनि अपन मत थोपि देलनि, कारण कोनो अंकुश तऽ छैक ने आ ने कोनो मानक तय छैक जे वास्तविक डिग्रीधारीए चैनल पर आबथि, यद्यपि कतेको वास्तविक डिग्रीधारी विद्वान सभ आबैत छथि, मुदा कहबे कयलौंह जे अनगिनत चौबिसो घंटाक चैनल सभ आखिर कतयसँ सभ वास्तविके डिग्रीधारी विद्वान सभकेँ उपलब्ध करा पाओत, तऽ तखनि बस ‘अन्हरा गाममे कन्हा राजा’ सेहो चलैत छैक, आ ई सभ थोपि दैत छथि अपन-अपन भिन्न-भिन्न मत। पुनः शोसल मिडिया पर से पसरि जाइत अछि आ तेसर कापी-पेस्ट एक्सपर्ट सभ, जे तकरा पढ़ि पुनः अपने दिसिसँ तेहने मत सभ पोस्ट करैत अछि, एकर संख्या तऽ आर कतेक गुणा अछि, फलतः एहि सभ मिझरौआक कारण होइत ई छैक जे सभटा पावनि-तिहार दू दिनाक संशय बना दैत छैक।

भारत विशाल देश अछि, एतय भिन्न-भिन्न मत-संप्रदायक लोक छथि, जिनकर सभक अपन-अपन क्षेत्रीय परंपरा अछि। ऋषि-मुनि सभ द्वारा प्रतिपादित शास्त्र-पुराणमे सेहो कतेको ऋषि-मुनिमे मतभिन्नता रहल अछि, तऽ ताहि अनुसार भिन्न-भिन्न क्षेत्रक लोक अपन-अपन क्षेत्रीय मान्यता अपनेने छथि आ ताहि अनुसार पावनि-तिहार मनबैत छथि। अपन क्षेत्रीय पंचांग, क्षेत्रीय पंडित, क्षेत्रीय मान्यताक अनुपालन करैत छथि। पहिने जखनि एतेक संचार तंत्रक प्रभाव नहिं छल तऽ आन-आन क्षेत्रक बारेमे किछु पते नहिं चलैत छल, सभ अपन-अपन क्षेत्रीय पंचांग, पंडित, ज्योतिष द्वारा प्रतिपादित तिथि-समय द्वारा एकमतसँ पावनि-तिहार मनबैत छलथि, कोनो प्रकारक संशये नहिं उत्पन्न होइत छलैक, मुदा कहबे कयलौंह जे आब ई संचार तंत्र बहुत रास संशयक निर्माण कय देलक अछि।

आ इहो संशय अधिकतर उत्तरे भारतमे आ ताहूमे यूपी-बिहारक लोकमे अधिक होइत अछि, कारण एहि दुनू राज्यक अधिकतर लोक पलायन कयने अछि आ फलतः विभिन्न संस्कृतिक अधीनता स्वीकारने जा रहल अछि, अपन सभ्यता-संस्कृतिसँ दुर होइत जा रहल अछि। जखनि कि एखनो यूपी-बिहारक आलावा प्रायः बाकी क्षेत्रक लोक अपन-अपन क्षेत्रीय परंपरा, पंचांग आदि अनुसार एकमतसँ चलैत अछि आ प्रायः कोनो संशयात्मक प्रश्नक निर्माण तक नहिं करैत अछि अपन-अपन क्षेत्रीय पंचांग द्वारा प्रतिपादित पावनि-तिहारक तिथि-समय आदि पर। कोनो शंका नहिं, कोनो संशय नहिं, मुदा हमरा लोकनि थोड़ेक परिस्थिति वश आ थोड़ेक अधिक बुधियारी देखाबय केर कारण भसिया रहल छी, अपन क्षेत्रीय परंपरा केर उपेक्षा कयने जा रहल छी आ आयातित परंपरा सभ अपनेने जा रहल छी, आने क्षेत्रक मान्यता स्वीकार करय लेल बहस करैत रहैत छी आ अपनहिं उपहास अपनेसँ करैत रहैत छी।

आब प्रश्न उठैत अछि जे एकर उपाय की ?

तऽ एकर प्रथम उपाय ई अछि जे सभसँ पहिने अपन क्षेत्रीय पंचांग, अर्थात मिथिला क्षेत्रक पंचांग पर पुर्ववत् विश्वास करब, आन क्षेत्रक कोनो बात पर ध्यान नहिं देब, आन क्षेत्रमे फल्लां पावनि दोसर दिन होइत छैक, तऽ ठिक छैक होउ, हमरा अपन क्षेत्रीय पंचांग, क्षेत्रीय मान्यता अनुसार चलय केर अछि। बाकीसँ कोनो मतलब नहिं एहि प्रकरणमे। अपन क्षेत्र, अपन परंपरा, अपन पंचांग, अपन ज्योतिष-पंडित, अपन रिति-रिवाज।

बदलल परिदृश्यमे पुनः पुर्ववत् चलन लेल किछु प्रयास सभ करय पड़त। सांस्कृतिक पुनर्जागरणक लेल सेहो प्रयत्न करय पड़त। अपन बिसरैत पावनि-तिहार सभकेँ पुनः अपनाबय लेल जन-जागरण करय पड़तै आ व्यवहारक प्रथा चलबय पड़त। तऽ एहि सभक लेल ‘मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश फोरम’ एकटा सांस्कृतिक पुनर्जागरणक किछु प्रयासक आरम्भ कयलक अछि।

सभसँ पहिने मिथिला क्षेत्र अर्थात भारतक तीसो जिला आ नेपालक मिथिला क्षेत्रमे प्रत्येक सार्वजनिक धार्मिक स्थल जेना दुर्गा स्थान, शिवालय आदि-आदि विभिन्न मंदिरमे एकटा कऽ सूचना बोर्ड वा जानकारी बोर्ड लगाउ। अन्य धर्ममे भरिसक ई समस्या नहिं छैक, एकमत प्रतिपादित होइत छैक आ सभ मानल जाइत छैक, आ ई सूचना जानकारीक प्रथा चलिए रहल अछि, तें एखनि एतय सनातन धर्मक मुख्य रूपसँ बात कय रहल छी, कारण समस्या एतहि अछि।

आब ई फोरम अपन मिथिला क्षेत्रीय पंचांग, मिथिला क्षेत्रीय मान्यता, मिथिला क्षेत्रीय परंपराक द्वारा प्रतिपादित पावनि-तिहार, व्रत-पूजनक मासिक जानकारी उपलब्ध कराओत आ तकरा ओहि सभ सार्वजनिक धार्मिक स्थलक लागल बोर्डमे लिखल जाए आ एहि तरहसँ बिना कोनो संशय केर अपन क्षेत्रीय मान्यता एवं परंपरा अनुसार पावनि-तिहार, व्रत-पूजन करी।

एहि लेल गाम-गामक सार्वजनिक स्थल मंदिर ओ धार्मिक स्थानक समितिक प्रमुख अधिकारी अध्यक्ष/सचिव, सांगठनिक प्रमुखसँ निवेदन जे अपन-अपन what’s app नंबर 7480018873 पर भेजी, ताकि एकटा समूह बना कऽ महिना भरिक अर्थात पावनि-तिहार, व्रत-पूजनक मासिक जानकारी एकत्र सभकेँ प्राप्त कराओल जाएत आ तकरा सभ अपन-अपन सार्वजनिक धार्मिक स्थलक बोर्डमे अंकित कय देबै। तऽ एहि लेल सभसँ पहिने शिघ्र बोर्ड लगाबी।

हमर गाम अर्थात मधुबनी जिलाक रहिका प्रखंडक सौराठ गाममे ई काज आरम्भ भऽ चुकल अछि, आब अहाँ सभ पहल करु, “मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश फोरम’केँ अपन What’s app नंबर शिघ्र भेजू।

आब एतय पुनः प्रश्न उठत जे ई काज सभ स्वयं कऽ सकैत छी, तऽ तखनि किएक नहिं स्वतः होइत रहल आ सबकिछु पारंपरिक बाँचल रहल अन्ये क्षेत्रक अपन-अपन कट्टरता जँका। यद्यपि कतेको ठाम करितो होएब। मुदा एकटा सांगठनिक माध्यमसँ करय केर अतिरिक्त लाभ होइत छैक। सभसँ पहिने जे तखनि ई निरंतर एकटा टास्कक रूपमे सभ ठामक बोर्ड पर लिखाओत, एक बेर एक महिनाक जानकारी what’s app केर माध्यमसँ भेजि देल जाएत आ सुलभतापूर्वक तकरा सभकियो सभठामक बोर्ड पर लिखि देबै। दोसर जे सांगठनिक प्रयाससँ आर बहुत रास जरुरी पारंपरिक क्षेत्रीय जानकारी सभ उपलब्ध कराओल जाएत, जकर अनुपालन एकसंग सम्पूर्ण मिथिलामे होबय लागत। सांगठनिक जानकारी उपलब्ध कराबय केर सभसँ अधिक लाभ इएह छैक जे एक बेर सभ ठाम एक रंग व्यवहार होबए लागत, आब ई कतेक कल्याणकारक होएत तकर कल्पना सुधीजन कय सकैत छी, अधिक बताबय केर आवश्यकता नहिं आ नहिं एखनि अधिक बताबयमे सक्षम छी, अभ्यासक बाद स्वतः एकर लाभ सभ बुझय लागब, जे ई कोना कतेक प्रकारसँ कल्याणकारी अछि।

तऽ सभठामक सार्वजनिक धार्मिक स्थलक अधिकारी पहिने अपन-अपन स्थलमे बोर्ड लगाउ आ संगहि संग उपरोक्त देल गेल नंबर पर अपन स्थानक संक्षिप्त परिचय आ what’s app नंबर भेजी, ताकि एकसंग जानकारी उपलब्ध कराओर जा सकय।

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