समारोह

अडानीक स्मार्टमीटरक लोकमे आतंक, भारी पड़ि सकैछ ई सरकारकेँ

ग्राहकक संतुष्टिक करय पड़त उपाय
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ग्राहकक संतुष्टि विक्रेताक ध्येय हेबाक चाही, मुदा ई तखनि होइत छैक जखनि ग्राहक लग विकल्प होइत छैक। मुदा जखनि ग्राहक लग विवशता होइत छैक तखनि विक्रेता मनमानी करैत अछि, चालाकी करैत अछि वा ई कही जे धूर्तइ करैत अछि। खास कऽ स्मार्टनेस केर नाम पर तऽ आइ-काल्हि बहुत रास ग्राहकक संग घोटाला भऽ रहल अछि। मुफ्त केर लत लगा जिओ तेहेन ने स्मार्टफोनक लत लगेलक जे आइ मनमानी कऽ रहल अछि, रिचार्जक दाम सभसँ अधिक कयलक आ ताहूमे मनमानी ई जे किछुए समयमे डेढ़ जीबी, दू जीबी डाटा खतम भऽ जाइत छैक। एहिमे सभसँ पैघ बात जे ग्राहक लग कोनो चारा नहिं छैक, ग्राहककेँ ई संतुष्टि नहिं करा पाबैत अछि जे देखू एना ने एना अहाँक डाटा खतम भेल। अर्थात सभ किछु विक्रेते केर नियंत्रणमे छैक, ओ जे कहय आ जे करय।

खैर ई तऽ स्मार्टफोनक बात अछि, जकरा ग्राहक जेना-तेना स्वीकारि रहल अछि। मुदा आब अडानीक स्मार्टमीटर जे की सरकार तरफसँ अनिवार्य कऽ देल गेल छैक, से लोकमे मानू आतंक उत्पन्न कऽ रहल अछि। कारण एहूमे ग्राहकक हाथमे किछु नहिं रहतै, रीचार्ज कराओत आ रीचार्जे केर जीबी जँका जखनि चाहत शून्य केर घंटी बजा देत। मतलब ग्राहककेँ संतुष्ट करय लेल कोनो मानक नहिँ छैक, सभटा नियंत्रण विक्रेते लग छैक, ग्राहक मूक बनल रहत आ विक्रेता जेना चाहत मनमौजी करत।

तऽ स्मार्टफोनक रीचार्ज भले ही ग्राहक पचा रहल अछि, मुदा ई बिजलीक मनमानी जनता कखनौंह नहिं बर्दाश्त करत आ तकर लक्षण सभ आबय लागल अछि, कतेको आवाज उठय लागल अछि। तऽ केंद्र सरकारकेँ शुरुआतेमे चेत जेबाक चाही, जनतामे ई धारणा अत्यधिक आम करय लागल छैक जे सरकार एहि प्राइवेट कंपनी सभसँ चंदा लैत अछि आ बदलामे ओकरा जनताकेँ रक्त चूसय केर सुविधा ओ लाइसेंस दैत छैक।

तऽ ई अडानीक बिजली बिलमे स्मार्टनेस सरकार केर भारी पड़ि सकैत अछि, बढ़िया रहत जे चेति जाइथ कमसँ कम ई बिजली बिलक मामिलामे। कारण ई जनताक सरोकारक एकटा प्रमुख अंग अछि, ई जनता बर्दाश्त नहिं करत आ जनताक मिजाज जखनि घुमैत छैक तखनि, सरकार बदलैत देरी नहिं लगैत छैक, तें सरकारकेँ चेतय केर आवश्यकता अछि।

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