वित्त-अर्थ

प्रधानमंत्री मोदी बजटक बैठक करैत बेरोजगारी, महंगाई आ असमानता पर सेहो ध्यान देथु : मल्लिकार्जुन खड़गे

नई दिल्ली
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे शुक्रदिन कहलनि जे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीकेँ आगामी बजटक लेल बैसार करैत बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि आ असमानता सन मुद्दाक समाधान करबाक चाही। ओ इहो आरोप लगओलनि जे मोदी सरकार अपन नीतिसँ करोड़ो लोकक जीवन उजाड़ि देलक अछि।

खड़गे एक्स पर पोस्ट कयलनि, “नरेन्द्र मोदी जी, अहाँक सरकार देशक जनताकेँ बेरोजगारी, मंहगाई आ असमानताक खाधिमे धकेल कऽ करोड़ो लोकक जीवन उजाड़ि देलक। जखन अहाँ आगामी बजटक लेल कैमराक छायामे बैसार कऽ रहल होइ तखन देशक एहि बुनियादी आर्थिक मुद्दा पर सेहो विचार करब। अहाँक विफलताक सूची बहुत नमहर अछि।”

ओ दावा कयलनि ९.२ प्रतिशत बेरोजगारी दरक संग युवाक भविष्य शून्य पर देखल जा रहल अछि। २०-२४ वर्षक आयुक लोकक लेल बेरोजगारीक दर बढ़ि कऽ ४० प्रतिशत भऽ गेल अछि, जे युवासभमे रोजगारक बजारमे गम्भीर संकटकेँ उजागर करैत अछि। ओ कहलनि जे किसानक आमदनी दुगुना करबाक आ लागत + ५० प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य देबाक वादा झूठ साबित भेल।

कांग्रेस अध्यक्षक अनुसार, हालहिमे खरीफक १४ फसलक एमएसपी पर मोदी सरकार फेरसँ साबित कऽ देलक जे ओकरा स्वामीनाथन रिपोर्टक एमएसपी अनुशंसाक उपयोग मात्र चुनावी झुनझुनाक रूपमे छल।

खड़गे आरोप लगबैत कहलनि “जाहि सात सार्वजनिक उपक्रममे अधिकांश सरकारी हिस्सेदारी बेचल गेल अछि, ओकर परिणामस्वरूप ३.८४ लाख सरकारी नौकरीक नोकसान भेल अछि! ई अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग आ आर्थिक रूपसँ कमजोर वर्गक लेल आरक्षित नौकरीकेँ सेहो छीन लेलक अछि। २०१६ सँ अहाँ २० शीर्ष सार्वजनिक उपक्रममे हिस्सेदारी बेचि चुकल छी, जाहिमे सँ १•२५ लाख लोकक सरकारी नौकरी चलि गेल अछि।”

कांग्रेस अध्यक्ष आरोप लगओलनि, ‘मुद्रास्फीति अपन चरम पर अछि। आटा-दालि-चाउर, दूध-चीनी, आलू-टमाटर-प्याज, भोजन-पेयक सभ आवश्यक वस्तुक दाम आसमान छू रहल अछि। एकर परिणाम ई भेल जे घरक घरेलू बचत ५० सालमे सबसँ निचला स्तर पर अछि। आर्थिक असमानता १०० सालमे सबसँ बेसी अछि। किछु आन आर्थिक सूचकांकक हवाला दैत ओ कहलनि, “मोदी जी, १० साल भऽ गेल अछि। अहाँ अपन जनसम्पर्क प्रणालीक उपयोग सरकारकेँ जनताक मूल मुद्दासँ दूर रखबाक लेल कयलहुँ, मुदा जून २०२४क बाद आब ई नहिं होयत, जनता आब हिसाब माँगि रहल अछि।” खड़गे इहो कहलनि, “देशक अर्थव्यवस्थाक संग मनमाना गड़बड़ी आब बंद हेबाक चाही।”

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