ओना त’ केन्द्रक मोदी सरकारक तमाम निर्णय, लोक लेल एकटा अचंभाक विषय सिद्ध होइत अछि, संगहि विपक्षी पार्टी लेल राजनीति करबाक विषय, मुदा केंद्र सरकार अप्पन निर्णय पर आगू बढ़ैत ओ तमाम परिवर्तन क’ रहल अछि, जाहि लेल भाजपा संकल्पित अछि। बेसीकाल केन्द्र सरकार, हर छोट – पैघ चुनावसँ पूर्व वा उपरांत एहेन कोनो घोषणा, अबस्से करैत अछि, जे देशमें राजनीतिक भूचालक कारण सिद्ध होइत अछि। भाजपा द्वारा घोषित – अघोषित अनेको विषय पर एखन धरि बहुत रास कार्य भेल अछि, आ अनेको कार्य प्रगति पर अछि। भाजपाक चुनावी घोषणापत्रमे घोषित किछु विषय, यथा राम मंदिर निर्माण, जम्मू कश्मीरक समस्या, एनआरसी/सीएए पर केंद्र सरकार द्वारा प्रमुखतासँ पहल कएल गेल। आब पुनः केंद्र सरकार, एक बेर अप्पन प्रमुख चुनावी मुद्दा पर बढ़बाक प्रयासमे अछि। सीएए कानून एखन राजनीतिक बयानबाजीक केन्द्रमे त’ अछि, मुदा उत्तराखंडक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बिल केर राष्ट्रपतिक मंजूरी प्राप्त भ’ गेलै। एहि मंज़ूरीक संग आब समान नागरिक संहिता पर कानून बनि गेल अछि। उत्तराखंड सरकार, सामान नागरिक संहिता लागू करबाक लेल नियम/उपनियम बनएबाक लेल पांच सदस्यीय कमेटीक गठन सेहो कएलक अछि। नियमावली बनलाक उपरांत उत्तराखंड सरकार, एहि कानून केर सम्पूर्ण राज्यमे लागू करत, ई आब तय अछि। आगामी आम चुनाव केर देखैत, राम मंदिर निर्माण आ सीएए कानून लागू भेलाक पश्चात् उत्तराखंडमे समान नागरिक संहिता लागु करब, भाजपाक एकटा पैघ दांव मानल जा रहल अछि। राजनीतिक जानकार लोकनिक अनुसार ई तमाम निर्णय, आगामी आम चुनाव केर देखैत लेल जा रहल अछि आ चुनावमे एकर लाभ निश्चित रूपसँ भाजपा केर भेटतैक, इहो तय अछि। ओना त’ समान नागरिक संहिता पर देशमे, बहुत पहिनहिसँ राजनीतिक घमासान मचल अछि। तमाम प्रमख विपक्षी नेताक, एहि विषय पर विरोध छैन्ह, आ बेर – बेर विपक्षी सदस्य द्वारा एहि विधेयक केर संविधानक विरुद्ध सिद्ध करैत एकरा देशक विविधताक संस्कृति लेल नुकसानदेह कहल जाइत रहल अछि। विपक्षक आरोप छैक कि, एहि कानूनसँ देशक सामाजिक ताना – बाना क्षतिग्रस्त होयत। मुदा उत्तराखंड, तमाम विघ्न बाधा पार करैत यूसीसी कानून लागु कएनिहार देशक पहिल राज्य बनि गेल अछि। संगहि केन्द्रक भाजपा सरकार अप्पन वचनपूर्तिक दिशामे तमाम ओ कार्य क’ रहल अछि जे, आगामी लोकसभा चुनाव लेल लाभदायक सिद्ध भ’ सकय। एहि क्रममे, देशमे सीएए कानून लागु करबाक अधिसूचना सेहो जारी कएल जा चुकल अछि, आब एहि कानून पर सेहो बयानबाजी आ विरोध प्रदर्शन शुरू अछि। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 मे सीएएके, संसदमे प्रस्तुत कएल गेल छल आ दुनू सदनसँ ई पारित सेहो भेल छल। यद्यपि, ओहि अवधिमे अनेको स्थान पर एकर विरोधमे प्रदर्शन भेल, कएक ठाम त’ हिंसक झड़प सेहो भेल, मुदा केंद्र सरकार अप्पन निर्णय पर कायम रहल। अनुमान लगाओल जाइत रहलैक कि, लोकसभा चुनावसँ पूर्व देशमे सीएए कानून केर लागू कएल जा सकैत अछि, आ भेल सेहो तहिना। विगत 11 मार्चकेँ केंद्र सरकार द्वारा सीएए कानून केर ल’ क’ अधिसूचना जारी क’ देल गेल। आब देशसँ विदेश धरि ई एकटा चर्चाक विषय सिद्ध भ’ रहल अछि। नागरिकता संशोधन कानूनक अंतर्गत भारतक पड़ोसी देश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आ बांग्लादेशसँ आयल मुसलमान समुदायकेँ अतिरिक्त हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई, आ बौद्ध धर्मक लोककेँ भारतक नागरिकता देल जाएत। पेंच इएह छैक कि, सीएए कानूनक अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश आ अफगानिस्तानसँ भारत आयल मुसलमानकेँ नागरिकता नहिं देल जाएत, अपितु एहि तीनू देशसँ जे गैर मुस्लिम आयल अछि, ओ भारतक नागरिक बनबाक लेल पात्र मानल जाएत। एक त’ लोकमे सेहो एहि कानूनके ल’ क’ अनेको प्रकारक भ्रान्ति छैक, ऊपरसँ राजनीतिक दल सेहो भ्रम पसारबामे कोनो कसैर बांकी नहि राखि रहल अछि। केंद्र सरकार द्वारा बेर – बेर, साफ शब्दमे कहल गेल अछि कि, सीएए, देशक नागरिकसँ संबंधित नहिं अछि, ई त’ पड़ोसीसँ आयल ओहि अल्पसंख्यक समुदायसँ संबंधित अछि जे धार्मिक आधार पर प्रताड़ित छथि। पड़ोसी देशसँ आयल ओ तमाम लोक प्रसन्न छथि जिनका आब शरणार्थी शब्दसँ छुटकारा एहि कानूनक माध्यमे भेटि जाएत, मुदा भारतीय मुसलमान जिनका, सीएएसँ कोनो तरहक खतरा नहिं छैक, ओहो सभ एकर विरोधमे छथि। सीएए कानूनक असैर भारतमे कोनो धर्मकेँ मानयवला नागरिक पर नहिं होयत, चाहे ओ देशक हिंदू छथि, मुसलमान छथि, वा कोनो आन धर्मावलंबी, हुनका सभकेँ सीएएसँ कोनो माने – मतलब नहिं छैन्ह। त’ प्रश्न ई उठैत अछि कि, जहन ई कानून भारतीय नागरिक पर कोनो तरहेँ असरदार नहिं अछि, त’ एकर विरोध किएक ? सीएए कानूनक अंतर्गत, पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश आ अफगानिस्तानसँ आयल ओहि शरणार्थीकेँ जे 31 दिसंबर 2014 सँ पहिनहि भारत आयल छलाह, हुनका सभकेँ भारतक नागरिकता देल जा सकत। स्पष्ट रूपसँ ई तीनू पडोसी देश इस्लामिक देश अछि, त’ मुसलमान समुदायक संग धार्मिक आधार पर भेदभावक कोनो प्रश्ने नहिं उठैत अछि भरिसक तैं, केंद्र सरकार द्वारा मुस्लमान समुदायकेँ एहि लाभसँ वंचित राखल गेल अछि, मुदा विपक्ष द्वारा एकरा मुसलमानक संग भेदभाव कहल जा रहल अछि। सीएए केर विरोधमे अनेको तर्क देल जा रहल अछि, मुदा मुख्य कारण त’ केंद्र सरकारक मंसा अछि। किएक त’ केंद्र सरकार देशमे एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस), लागु करबाक प्रयासमे अछि, संगहि सामान नागरिक संहिता सेहो लागु करबाक योजना छैक। विपक्षी दल संगहि किछु मुस्लिम संगठनक मानी त’ सीएए, एनआरसी लागू करबाक पहिल चरण अछि। मतलब, सीएए लागु भ’ गेल त’ एनआरसी सेहो अवश्य लागु होयत। तैं केंद्र सरकारक आगुक योजना बुझि सीएए पर तीव्र विरोध करबाक रणनीति विपक्ष द्वारा अपनाओल गेल अछि। पश्चिम बंगालक मुख्यमंत्री, ममता बनर्जी त’ सीएए कानूनकेँ जीवन मरणक प्रश्न बनौने छथि, त’ दिल्लीक सीएम अरविन्द केजरीवालक संग-संग केरल सरकार सेहो एहि कानूनक विरोध प्रमुखतासँ क’ रहल अछि।