कोनो मांगलिक काज जेना बच्चाक मूंडन, उपनयन, विवाह आदिक मुहूर्तक गणना सौरमाससँ कयल जाइत छैक, यानी सूर्यक गणना अर्थात संक्रांतिक हिसाबें। मिथिलामे लोक संक्रांतिये केर हिसाबे मास पकड़ैत रहल अछि। संक्रान्तिक एतबा महत्व अछि जे जाहि चांद्रमासमे संक्रान्ति नहिं पड़ैत छैक से मलमास कहल जाइत छैक।
तऽ ई सौर मासक आरंभ मेष संक्रान्ति अर्थात वैशाख माससँ होइत छैक। मेषसँ मीन संक्रांति तक क्रमशः वैशाखसँ चैत धरिक मास कहल जाइत छैक आ ई बारह मासक एक सौर वर्ष कहाइत अछि। मिथिलाक नववर्ष एहि मेष संक्रान्ति अर्थात वैशाख माससँ शुरू होइत अछि आ ई पावनि सतुआइन कहाइत अछि। दोसर दिन अर्थात मासादि कऽ बसिया पावनि जूड़शीतल होइत अछि। साधारणतः ई दुनू दिन लोक नववर्षक रुपमे मनबैत अछि। जूडिशीतल नववर्षाभिनंदनक रुपमे मनाओल जाइत अछि। सौरवर्षक गिनती शकाब्दक रुपमे होइत छैक, अर्थात काल्हि (१४-०४-२०२५) सँ शकाब्द १९४७ शुरु भेल।
नेपालमे तऽ महिना पूर्ण रुपसँ बल्कि आधिकारिक रुपसँ सेहो संक्रान्तियेक हिसाबसँ प्रचलित अछि। संक्रान्ति ०१ गते कहाइत छैक आ क्रमशः मासान्त धरि ३० गते होइत छैक, कोनो-कोनो बेर ३१ गते धरिक मास होइत अछि। नेपालमे तारीख आ महिना सौर अर्थात संक्रांतिये हिसाबें गीनल जाइत छैक, सालक गणनामे चांद्रमासक विक्रम संवत लिखाईत अछि, जेना काल्हुक दिनांक नेपाली कैलेंडरमे ०१-०१-२०८२ छलैक, आजुक दिनांक ०२-०१-२०८२ अछि। कहय केर अर्थ जे नेपाल अपन पूर्ण रुपसँ मिथिलाक संस्कृति पकड़ने अछि।
तऽ काल्हि (१४-०४-२०२५) सोमकेँ सतुआइन छल। लोक नववर्षक स्वागत पूर्ण आस्थाक संग पारंपरिक पावनिक रुपमे करैत अछि। खेतसँ नव काटल अन्न जौ, चना आदि, तहिना आमक टिकुला आदिक उपयोग कयल जाइत अछि।
ऋतु अनुसार लोक कल्याणकारी पावनिक विधान छैक। प्रचंड गर्मीक उपायक निहितार्थ दानादि आ क्रियाक विधान छैक। जलसँ भरल सरवासँ ढ़ँकल घैलक दान लोक करैत छथि। तुलसी चौरामे तुलसी गाछक उपर गलन्तिका अर्थात डाबाक पेनमे छेद कऽ ओहिमे ताहि अनुसार डोर दऽ देल जाइत छैक आ घैलमे जल भरि देल जाइत छैक, धीरे-धीरे डाबासँ ठोपे-ठोपे जल खसैत रहैत अछि आ गर्मीमे एक तऽ तुलसीक गाछकेँ जल भेटैत रहैत छैक आ दोसर कहल गेल छैक जे प्रायः ताहि माध्यमे पीतर सभकेँ जल भेटैत रहैत छनि। जल समाप्त भेला पर ओहिमे जल भरैत रहल जाइत अछि। तऽ एहि तरहे लोक, प्रकृति आ पितर सभक लेल गर्मीक ऋतुमे उपाय कयल गेल अछि, इएह सनातनक विशेषता अछि। एतबे नहिं आसपासक सभ गाछ-वृक्षमे लोक जल दैत अछि आ परम पुण्यक भागी बनैत अछि कारण लोकक उपकार, लोकक कल्याणे पूण्य छैक। प्रकृतिक रक्षासँ लोकक रक्षा, तें प्रकृतिक ध्यान आ संदेशक संग क्रिया करय केर प्रवृत्तिक मार्गदर्शन एहि पावनिक उद्देश्य छैक। लोक सत्तू ग्रहण एवं सत्तूक दान करैत अछि। एहि ऋतुमे सत्तू विशेष आरोग्यप्रद आ शीतलता प्रदान करयवाला होइत अछि।
संक्षिप्तमे जेना सतुआक गुण आ गर्मीमे एकर सेवनक लाभ पर एक दृष्टि दैत चली -:
सतुआक गुण आजुक भाषामे जे बताओल गेल अछि ताहि केर देखू आ तखनि ऑकलन करु सनातनक वैज्ञानिकता आ सटीकता। गर्मीमे सत्तू एतेक उपयोगी छैक जे एकरा गर्मीक लेल सुपरफूड कहल जा रहल अछि। सत्तूआक सेवनसँ पेट ठंढ़ा रहैत अछि आ गर्मीमे लू लगबाक खतरा कम रहैत अछि। एहिमे एतेक एनर्जी बताओल जा रहल अछि जे भोरमे एक गिलास खाली पेटमे सत्तू पीबि लिअ, भरि दिन खेपल जा सकैछ। सत्तूआमे अधिक मात्रामे फाइबर रहैत अछि जाहि कारण बहुत देर तक भूख नहिं लगैत छैक।
सत्तुआ केर पौष्टिक एवं उपयोगी खाद्य पदार्थ बताओल गेल अछि। एहिमे प्रोटीन, फाइबर आ खनीज जेहेन शरीरक लेल अत्यंत उपयोगी पोषक तत्व पाओल जाइत अछि जे आंतक लेल आरोग्यप्रद होइत अछि आ पचबयमे सहायक होइत अछि।
सत्तूमे आयरन, कैल्शियम एवं मैग्नीशियम खनीज पाओल जाइत अछि जे वजन कम करयमे मददगार होइत अछि।
सत्तूमे एंटीऑक्सीडेंट आ ऊर्जाप्रद प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट पाओल जाइत अछि। सत्तूकेँ घोरि कऽ पीबासँ शरीर केर ठंढ़ा रखैत गर्मीमे ताजगी प्रदान करैत अछि। ई मधुमेहक रोगीक लेल सेहो बहुत लाभप्रद अछि आ मोटापा सेहो कम करैत अछि।
विशेषतः घोरल सत्तुआ पीयब गर्मीमे बहुत लाभप्रद होइत अछि, शरीरमे जलक कमी पूरा कऽ तरोताजा रखैत अछि। कब्जसँ छुटकाराक लेल सेहो सत्तूक सेवन अत्यंत लाभप्रद अछि। निष्कर्ष ई जे गर्मीमे सत्तुआ संजीवनीप्रद होइत अछि, ताहि लेल गर्मीक शुरुआतमे पावनिक रुपमे सतुआइनक प्रथा जागरूकताक संग जनेबाक लेल सनातनमे ढ़ालि देल गेल अछि।
तऽ ई सतुआइन पावनिक महत्ता, उपयोगिता आ वैज्ञानिकता पर एकटा संक्षिप्त दृष्टि देल गेल, आब तहिना दोसर दिन जूड़िशीतलक बसिया पावनिमे सेहो अत्यंत वैज्ञानिकता अछि। भोरे-भोर घरक बुजुर्ग रातुक राखल पवित्र जलसँ समस्त परिवारकेँ जुड़ाबैत छथि। सतुआइने दिनक बनल बड़ी-भात आदि जुड़शीतल दिन लोक ग्रहण करैत अछि, तें ई बसिया पावनि कहाइत अछि आ इ सभ क्रिया गर्मीसँ बाँचय लेल अन्दर-बाहर शीतलता प्रदान करयवाला होइत अछि। एतबे नहिं विशेष रुपसँ थाल-कादोसँ लोक खेलाइत अछि, पुरूष लोकनि आखाड़ाक खेलक बहाने खुब माटि देहमे लगबैत छथि, कसरत-कुश्ती सभटा व्यायामक रुप अछि आ कहल जाइत अछि जे आबयवाला पूरा गर्मीसँ बँचय केर ई सभ तैयारी होइत अछि, शरीर मजबूत होइत अछि अर्थात गर्मी एवं गर्मीक रोगसँ बाँचय लेल पावनिक रुपमे नववर्षक शुरुआतक विधान आरोग्यप्रदक रुपमे कयल गेल अछि। तऽ एहि तरहसँ पावनिक रुपमे लोकक कल्याणक मार्गकेँ पारंपरिक रितिसँ हिस्सक लगा देल गेल छैक।
मुदा आब लोक भसिया रहल छथि, आधुनिक विज्ञानक ज्ञाताक रुपमे एकरा सभकेँ गंवारपन बुझय लागल छथि आ बुझनूक एतबे जे घुरि-फिरि कऽ विज्ञानो एही पर आबैत अछि आ Soil Treatment करबैत अछि, आब कहू जे के गँवार ?
एखनो बुझय केर चेष्टा करै जाउ जे सनातन शास्वत अछि, सत्य अछि, कल्याणप्रद अछि आ नाम आ ढ़ंग किछु देखाबय केर प्रयास करु घुरि-फिरि कऽ करब वैऽह जे सनातन राह देखेने अछि।
जय सनातन। शुभ सतुआइन। शुभ जुड़िशीतल।शुभ नववर्ष।
…अजय नाथ झा शास्त्री