भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) रविदिन देशकेँ 2047 धरि एकटा लीडिंग मैन्युफैक्चरिंग आओर इन्वेस्टमेंट हब बनाबय केर अपन लक्ष्यकेँ प्राप्त करयमे मददि लेल तत्काल आ पैघ भूमि सुधारकेँ आवश्यक बतेलक।
सीआईआई कहलक कि भारत सुधारक बहुत क्षेत्रमे तेजीसँ प्रगति कयलक, मुदा भूमि क्षेत्रकेँ एखनो ऐहेन चुनौती केर सामना करय पड़ि रहल अछि, जाहिसँ औद्योगिक विकासमे धीमापन आबि रहल अछि आ निवेशककेँ हतोत्साहित कयल जा रहल अछि।
सीआईआई अपन बयानमे कहलक कि भारतक मजबूत नीतिगत रूपरेखा, औद्योगिक क्षमता, विशाल घरेलू बाजार आ युवा कार्यबल एकरा एकटा आकर्षक निवेशक गंतव्य बनाबैत अछि, खास कय ऐहन समयमे जखनि वैश्विक व्यापार आ निवेशक पैटर्न बदलि रहल अछि।
बयानमे आगू कहल गेल अछि कि एहि अवसरक पूरा फायदा उठाबय लेल भारतकेँ एकटा दूरदर्शी प्रतिस्पर्धा एजेंडाक जरूरत अछि, जाहिमे भूमि सुधार प्रमुख प्राथमिकता होयबाक चाहि।
सीआईआई कहलक जे पहुंचमे सुधार, लागतमे कमी आ व्यवसाय लेल नियमकेँ सरल बनेनाइ सेहो जरूरी अछि।
केंद्र आ राज्यक बीच भूमि नीतिक समन्वय लेल जीएसटी जँकां परिषदक स्थापनाक सुझाव देल गेल अछि, कारण भूमि प्रशासन मुख्यतः राज्यक अधिकार क्षेत्रमे आबैत अछि।
उद्योग निकाय कहलक कि देशमे मौजूदा औद्योगिक भूमि बैंक मुख्य रूपसँ सूचनाक साधन अछि आ एकरा एकटा राष्ट्रीय मंचमे अपग्रेड कयल जयबाक चाहि जे नहि सिर्फ डाटा उपलब्ध करबय बल्कि एकल डिजिटल इंटरफेसक माध्यमसँ जमीन सीधा आवंटन होय।
मौजूदा व्यवस्थाक कमी पर सीआईआई कहलक जे भारतमे संपत्ति पंजीकरणमे नौ प्रक्रिया शामिल अछि आ एहिमे 58 दिन लगैत अछि। संगहि एहि पर संपत्तिक मूल्यक करीब 8 फीसदी खर्च होइत अछि।
दोसर दिसि न्यूजीलैंड एहेन देश ई प्रक्रियाकेँ महज साढ़े तीन दिनमे पूरा कय लैत अछि, जकर लागत बहुत कम अछि।
एहि समस्याक समाधानक लेल सीआईआई प्रत्येक राज्यमे एकटा स्थान पर आवंटन, बदलाव, विवाद समाधान आओर जोनिंगक लेल एकीकृत भूमि प्राधिकरण स्थापित करय केर सिफारिश कयलक अछि।
सीआईआई भूमि उपयोग परिवर्तन प्रक्रियाकेँ डिजिटल बनाबै, राज्यमे स्टाम्प ड्यूटी दरकेँ एक समान 3-5 प्रतिशत धरि तर्कसंगत बनाबै आ विवादकेँ कम करय लेल अनुमानितसँ निर्णायक भूमि स्वामित्वमे बदलय केर सिफारिश सेहो कयलक।
इंडस्ट्री बॉडी केर कहब अछि जे भारतमे सिविल मुकदमाक दू तिहाई हिस्सा जमीन विवादक अछि, जाहिसँ निवेशकक लेल अनिश्चितता पैदा भऽ रहल अछि।
इंडस्ट्री बॉडी राज्यसँ आग्रह कयलक कि ओ भूमि विवादक आंकड़ाकेँ प्रकाशित करय, लचीला जोनिंग नियम अपनाबय जे मिश्रित उपयोग वला विकासकेँ प्रोत्साहित करैत अछि, पर्यावरणीय स्थायित्वकेँ औद्योगिक योजनामे एकीकृत करय आ बेहतर बुनियादी ढाँचाक माध्यमसँ पैघ ग्रामीण भूमि खंडकेँ औद्योगिक गलियारासँ जोड़बाक आग्रह कयलक।
सीआईआई केर अनुसार, एहि सुधारसँ नहि केवल भारतकेँ अधिक प्रतिस्पर्धी बनायत बल्कि ग्रामीण विकासकेँ सेहो बढ़ावा देत, बेसी निवेश आकर्षित करत आओर समावेशी आर्थिक विकासकेँ गति देत।