भारत-कनाडा संबंध आ खालिस्तानी मुद्दा पर विदेश मंत्री जयशंकर कहलनि, “मुख्य मुद्दा ई अछि जे कनाडाक राजनीतिमे खालिस्तानी शक्तिकेँ बहुत स्थान देल गेल अछि। आ हुनका सभकेँ एहन गतिविधिमे संलग्न होयबाक अनुमति देल गेल अछि जे सम्बन्धकेँ हानि पहुँचा रहल अछि। हमरा लगैत अछि जे ई नहिं तऽ भारतक हितमे अछि आ ने कनाडाक हितमे।
‘भारत’ शब्द पर बहस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर कहलनि, “एखन बहुत सक्रिय बहस चलि रहल अछि। कतेको तरीकासँ लोक ओहि बहसक उपयोग अपन संकीर्ण उद्देश्यक लेल करैत छथि। ‘भारत’ शब्दक मात्र सांस्कृतिक, सभ्यतागत अर्थ नहिं अछि। बल्कि ई आत्मविश्वास अछि, पहचान अछि आ अहाँ अपनाकेँ कोना बुझैत छी आ दुनियाक सामने कोन परिस्थिति राखि रहल छी, ईहो अछि। ई कोनो संकीर्ण राजनीतिक बहस वा ऐतिहासिक सांस्कृतिक बहस नहि अछि। ई एकटा मानसिकता अछि। जँ हम अगिला २५ सालमे ‘अमृत काल’क लेल सचमुच गम्भीरतासँ तैयारी कऽ रहल छी
‘की हम (भारत) ‘विश्वामित्र’ बनि गेल छी वा हम दुनिया पर अपन विचार थोपि रहल छी’, एहि प्रश्नक उत्तरमे विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर कहलनि, “हमरा नहिं लगैत अछि जे हम अपन विचार केकरो पर थोपि रहल छी। हमसभ बेसी प्रासंगिकताक संग देखल जाइत छी। हमरासभकेँ अनेक परिणामकेँ प्रभावित करबाक क्षमताक रूपमे देखल जाइत अछि। बहुत रास नेता भारत आबए चाहैत छथि। विदेश मंत्रीक रूपमे हमर एकटा पैघ चुनौती ई बुझौनाइ अछि जे प्रधानमंत्री हर साल दुनियाक प्रत्येक देशक दौरा किएक नहिं कऽ सकैत छथि। सभ देश चाहैत अछि जे ओ हुनक देशक दौरा करथि।
चीनक सङ्ग सम्बन्धक विषयमे विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर कहलनि, “शुरूसँ नेहरू आ सरदार पटेलक बीच चीनकेँ कोना प्रतिक्रिया देल जाय एहि पर तीक्ष्ण मतभेद रहल अछि। मोदी सरकार चीनसँ निपटबामे सरदार पटेल द्वारा शुरू कयल गेल यथार्थवादक रेखा पर काज कऽ रहल अछि। हमसभ एहन सम्बन्ध बनेबाक प्रयास कयलहुँ अछि जे आपसी सम्बन्ध पर आधारित हो। जाधरि ओहि पारस्परिकताकेँ मान्यता नहि देल जायत, एहि सम्बन्धक लेल आगू बढ़ब कठिन होयत।