भारतक गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सिंधु जल संधिकेँ “कहियो बहाल नहिं कयल जायत” आ पाकिस्तानक तरफसँ बहि रहल जलकेँ राजस्थानक तरफ मोड़बाक घोषणा पर पाकिस्तानक तीक्षण प्रतिक्रिया भेटल अछि। ई मुद्दा एक बेर फेर भारत-पाक संबंधमे तनावक लहरि पैदा कय देने अछि।
अमित शाह हालहिमे एकटा विशेष इंटरव्यूमे स्पष्ट शब्दमे कहलनि : “सिंधु जल संधिकेँ कहियो बहाल नहिं कयल जायत। जे पानि पाकिस्तान दिसि बहैत रहल, ओकरा आब नहर बना कय राजस्थानक गंगानगर धरि लाओल जायत।”
ओ ईहो कहलनि जे आगामी तीन बरखमे ई योजना ज़मीन पर देखाई देत आ भारत अपन अधिकारक प्रयोग कय सिंधु नदिक पानिक अधिकतम उपयोग करत।
भारतक एहि बयान पर पाकिस्तानक सरकार कड़ा विरोध जतौलक अछि। पाकिस्तानक विदेश मंत्रालय शुक्रक राति एकटा आधिकारिक बयान जारी कय कहलक : ई बयान अंतरराष्ट्रीय समझौताक महत्वकेँ बिलकुल नजरअंदाज करय वाला अछि। सिंधु जल संधि कोनो राजनीतिक व्यवस्था नहि, बल्कि एकटा वैध अंतरराष्ट्रीय संधि अछि जाहिमे कोनो एकतरफा कारवाईक प्रावधान नहि अछि।पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय भारत पर अंतरराष्ट्रीय कानूनक उल्लंघनक आरोप लगबैत कहलक, “भारतक ई एकतरफा आ अवैध घोषणा सिंधु जल संधिक प्रावधान आ अंतरराष्ट्रीय दायित्वक उल्लंघन अछि। भारतकेँ अपन ई गैर-कानूनी स्थिति तुरंत वापस लेबाक चाही आ एहि संधिक पूर्ण आ बाधारहित कार्यान्वयन सुनिश्चित करब सुनिश्चित करबाक चाही।”
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) 1960 मे भारत आ पाकिस्तानक बीच भेल छल, जाहि केर मध्यस्थता विश्व बैंक द्वारा कएल गेल छल। एहि समझौताक तहत भारतकेँ पूर्वी नदी (रावी, ब्यास आ सतलुज) केँ उपयोग करबाक अधिकार भेटल, जखनकि पाकिस्तानकेँ पश्चिमी नदी (सिंधु, झेलम आ चिनाब) केर प्रमुख उपयोगकर्ता मानल गेल। हालांकि, भारतकेँ सेहो किछु हद तक पश्चिमी नदी सभक ‘गैर-उपभोग’ उपयोग करबाक छूट देल गेल – जेना सिंचाई, पनबिजली परियोजना आ घरेलू उपयोग।
बदलल स्थिति, नव रणनीति, पुलवामा हमला (2019) केर बादसँ भारतमे सिंधु जल संधिक लेल सख्त रुख अपनेवाक मांग तेज भेल। भारतक तर्क अछि जे पाकिस्तान द्वारा बेर-बेर आतंकवादी घटनाक समर्थन देबाक बावजूद पानि जेहेन जीवनरेखा पर समान अधिकार अनुचित अछि। अमित शाहक बयानकेँ एहि रणनीति केर आगू बढ़ल डेग मानल जा रहल अछि।
विशेषज्ञक मानब अछि जे सिंधु जल संधिकेँ रद्द करब आसान नहि अछि, मुदा भारत एकर तकनीकी प्रावधानक अधिकतम उपयोग शुरू कऽ देलक अछि। पिछला किछु वर्षमे भारत किशनगंगा आ रटले जकाँ पनबिजली परियोजनाकेँ तेज़ीसँ आगू बढ़ेलक अछि।
कूटनीतिक प्रभाव आ भविष्यक दिशा भारत द्वारा संधि केँ “कखनो बहाल नै करब” जकाँ कठोर शब्दक उपयोग एकटा सख्त कूटनीतिक संकेत छैक। ई बयान एहेन समय पर आयल अछि जखनि भारत-पाकक संबंध पहिनेसँ ठंडा पड़ल अछि आ कश्मीरसँ लऽ कऽ सीमा पार आतंकवाद धरि बहुत रास मुद्दा पर दुनू देशक बीच संवाद लगभग शून्य अछि। विश्लेषकक कहब अछि जे ई बयान भारतक बदलैत भू-राजनीतिक सोचकेँ सेहो दर्शाबैत अछि – जाहिमे आब पानि, पर्यावरण आ संसाधनकेँ सुरक्षा नीतिक हिस्सा बनाओल जा रहल अछि।
यद्यपि पाकिस्तानक ई कहब कि भारतक हरकत ‘अवैध आ एकतरफा’ अछि, ई देखाबैत अछि कि ई मुद्दा आबयवला महिनामे अंतरराष्ट्रीय मंच पर सेहो उठि सकैत अछि।