संपादकीय

भयक राजनीति

भयक राजनीति
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जहिना कोनो शुभ वा नीक समाचार सुनि लोक खुश भ’ जाइत अछि, तहिना कोनो तरहक शंका, अप्रत्याशित घटना वा अनहोनीके स्थितिमें मनुष्यक धैर्य आ साहस जबाब द’ दैत छैक आ लोक, चाहे कतबहु सामर्थ्यवान किएक नहि रहथि, भयभीत आ सशंकित भ’ जाइत अछि। वर्तमानमे भ’ रहल घटनाक्रम, अथवा भविष्यमे होबयवला कोनो खतरा, मनुष्यके भयभीत करैत अछि। एहि तरहक खतरा, आशंका आ तमाम भयभीत कएनिहार अवधारणा, मनुष्यके कोनो उपाय सोचबाक लेल विवश करैत अछि, आ कएक बेर लोक एहि तरहक स्थितिमे लड़ब आ सामना करब उचित बुझैत अछि त’ कएक बेर लोक स्थितिक गंभीरताके देखैत भागब उचित बुझैत अछि। तात्पर्य ई जे भय आ डर, हर व्यक्ति लेल सामान छैक, मुदा किछु लोक एकरा अस्त्र बना, अप्पन कार्य निकालबाक प्रयास सेहो करैत छथि। समाजमे बेसीकाल एहि तरहक स्थिति, राजनीतिक दल आ राजनेता द्वारा बजाप्ते उत्पन्न कएल जाइत अछि। नेता आ मीडिया बेसीकाल एहि तरहक स्थितिके भजएबाक प्रयास करैत अछि। जनताकेँ भय देखा, राजनेता मत प्राप्त करैत अछि त’ मिडिया लोककेँ भयभीत क’ अप्पन टीआरपी बढ़बैत अछि। देशमे एखन चुनावक माहौल अछि त’ सदिखन लोक आशंकित रहैत अछि कि, कतौह किछु अनहोनी नहि भ’ जाए ? किएक त’ राजनीतिक दल आ मीडिया, अप्पन – अप्पन लाभ लेल अप्पन जनता आ दर्शकक भावनाके भड़काबैत बेसीकाल देखल जाइत अछि। आ एहेन स्थितिमे, डेरायल जनता आ भयभीत दर्शक, अनेको तर्क रहितो कोनो तरहक विवेचनासँ स्वयंकेँ फराक करबाक प्रयास करैत अछि। ओ, एहि सभमे नहि परए चाहैत अछि, किएक त’ ओ डेरायल अछि, आशंकित अछि आ, भय आओर डर लग, तर्कक कोनो जूति नहि चललै आई धरि, इहो सत्य अछि । राजनेता कोना जनताकेँ भयभीत करबाक कार्य करैत अछि एकर उदहारण एखन इंडिया गठबंधन आ एनडीए गठबंधनक नेता द्वारा देल जा रहल वक्तव्यसँ बुझल जा सकैत अछि। पश्चिम बंगालक मुख्यमंत्री ममता बनर्जीक एकटा वक्तव्य सोझा आयल जाहिमे ओ कहैत छथि कि, जौं ‘इंडिया’ गठबंधन सत्तामे आबि जाएत त’ एनआरसी आ सीएएके निरस्त क’ देल जाएत। पश्चिम बंगालक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, भाजपा पर सम्पूर्ण देशके “हिरासत शिविर” बनएबाक आरोप लगबैत सीएए आ एनआरसी खत्म करबाक गप्प कहलनि। एक तरहेँ ओ, एक वर्गकेँ बुझएबाक प्रयास कएलनि कि, जौं देशमे एनआरसी आ सीएए लागु भ’ जाएत त’ ओहि विशेष वर्गक लोक पर संकट आबि जाएत। सोझ भाषामे कहल जाए त’ ममता बनर्जीक संग – संग तमाम नेता जे इंडिया गठबंधनमे शामिल छथि, ओ, केंद्र सरकार पर भेदभावक आरोप लगबैत अप्पन – अप्पन वोटबैंक मजगूत करबाक प्रयास क’ रहल छथि। भयभीत करबाक प्रयास होइते रहैत अछि, आ एहि क्रममे ममता बनर्जीक आरोप अछि कि, जौं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तेसर बेर सत्तामे आपसी करैत छथि त’ देशमे लोकतंत्र नहि बाँचत आ नहिए कोनो चुनाव होयत। एहि तरहक स्थितिमें लोक की क’ सकैत अछि, किएक त’ पहिनहिसँ ओहि विशेष वर्गकेँ एहिना भयभीत करबाक कार्य कएल जाइत रहल छैक आ लोको भयभीत अछि। किएक त’ विगत कएक चुनाव परिणाम पर गौर करी त’ ज्ञात होइत अछि कि, भाजपाके ओहि विशेष वर्गक मत नहि भेटैत छैक। मुसलमान समुदायमे भाजपाके ल’ क’ एकटा अंदेशा एखनहुँ बनल छैक कि, भाजपा मुस्लिम विरोधी अछि। राजनीतिक दल आ राजनेता सदैव, एक वर्गकेँ दोसर वर्गक भय देखा, वोटबैंक पर नियंत्रण रखबाक प्रयास करैत रहल अछि। देशक राजनीतिमे भय एकटा पैघ अस्त्र मानल गेल अछि, जे नागरिकक तमाम तर्कके पाछा धकेलबाक कार्य कएलक अछि आ जनता भयभीत भ’ अप्पन राजनेताक बात पर भरोस करबाक लेल विवश होइत रहल अछि। एखन जेलमे बंद दिल्लीक मुख्यमंत्री केजरीवाल सेहो, एहि विषय पर देशवासीके भयभीत करबाक प्रयास कएलनि, ‘सीएए’ सनक विषय पर हुनकर वक्तव्य त’ लोककेँ आओर बेसी भयभीत करएवला छल। ओ त’ अप्पन वक्तव्यमे कहने छलाह कि, सीएए अएलाक उपरांत देशमे, पाकिस्तानी आ बांग्लादेशी भरि जाएत, जे लोक लेल संकट समान सिद्ध होयत। देशक राजनीतिमे एखन जातिवाद, क्षेत्रवाद संगहि परिवारवाद हावी अछि, त’ नेताक संग – संग जनता सेहो आब, विकासके कतियाबैत जाति आ धर्म आधारित राजनीतिके हवा दैत देखल जा रहल अछि। एहनो नहि छैक कि, मात्र जनते भयभीत अछि, वर्तमानमे जाहि तरहक आक्रामक राजनीति देखल जा रहल अछि, ओहिसँ नेता सेहो बाँचल नहि छथि। भ्रष्ट राजनेता, केंद्रीय जाँच एजेंसीक कार्रवाईके डरसँ दल बदल करैत सेहो देखल जाइत छथि। भाजपा आ केंद्र सरकार पर आरोप लगाओल जाइत छैक कि, भाजपा भयक राजनीति करैत अछि, केंद्रीय जाँच एजेंसीक दुरूपयोग करैत अछि, त’ एहि तर्कके एकदमसँ नकारल नहि जा सकैत छैक। किएक त’ अनेको राजनेता आ राजनीतिक दल जे, सदैव भाजपा आ भाजपाक विचारक विरोध करैत रहल ओ दल आ ओ राजनेता, एखन भजपाक संग अछि। जहिना कांग्रेस आ टीएमसी पर आरोप लगाओल जाइत छैक कि, ओ मुस्लिम वर्गकेँ भाजपाक भय देखबैत अप्पन राजनीति क’ रहल अछि तहिना आरोप, भाजपा पर सेहो लगाओल जाइत छैक कि, भाजपा बहुसंख्यक समुदायके भयभीत क’ अप्पन राजनीति क’ रहल अछि। विपक्ष एनआरसी आ सीएए के विषयमे किछु साफ – साफ नहि कहैत अछि, तहिना सत्ता पक्ष सेहो एहि विषय पर आशंका बढ़एबाक कार्य करैत देखल जाइत अछि। कहबाक तात्पर्य ई जे, राजनेता त’ सदैव अप्पन नागरिककेँ जातिवाद, क्षेत्रवाद आ सम्प्रदायमे बाँटि क’ रखबाक प्रयास करत, मतदाताकेँ भ्रमित क’ मत प्राप्त करबाक प्रयास करत, मुदा जनता जौं सतर्क भ’ जाए त’ एहि तरहक राजनीति पर लगाम लगाओल जा सकत, ई तय अछि।

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