संपादकीय

टैक्स पेयर बनब अपराध की ?

सरकारक ध्यानाकर्षण लेल
*

–पापा हमर जिनगी अहाँ चौपट कय देलौंह

–से कोना बौआ ?

–पापा, एहि बजटमे युवा सभक रोजगारक लेल अनेको योजना मोदीजी देलनि अछि

–से तऽ नीक बात ने बौआ

–मुदा हमरा लेल कोनो योजना काजक नहिं अछि

–कारण ?

–अहाँक महापापक कारण

–कोन महापाप ?

–टेक्स भरय केर महापाप ! अहाँकेँ कोन बेगरता अछि टैक्स भरय केर, किछु बचैत तऽ अछि ने, उलटे टेक्सो भरयमे आफदे रहैत अछि, आ एम्हर ताहि कारण हमरो सभकेँ आफद भऽ गेल अछि

–तोरा सभकें ताहिसँ की आफद भेलह, से कहय ने जल्दी

–आफद ई भेल जे सरकारक कहब छैक जे जकर अभिवावक टैक्स भरै छै से महापाप करैत अछि आ ओ बड़का अपराधी अछि, ओकर अपराध एहेन छैक जे ओकर ओहि अपराधक लेल मात्र ओकरे टा सजा नहिं भेटतै, बल्कि ओकर बालिग/नाबालिग सभ संतानोकेँ सजा भेटतै, ओकर संतान सभकेँ कोनो प्रकारक सरकारी योजनामे लाभ नहिं भेटतै।

मुदा बौआ टेक्से भरनाहरक पाइसँ सरकार योजना सभ आनैत अछि, से जँ लोक बन्द कऽ देत तऽ फेर योजना सभक पूर्ति कतयसँ हेतै ?

–इएह बात पापा हमरा अहाँक बड़ अखरैत अछि, एखनो अहाँकेँ दिमागमे बात नहिं घुसि रहल अछि, अपन बाल-बच्चाक अहाँकेँ चिन्ते नहिं, मुदा दुनियाँक अहाँ ठेका उठायब, जँ सरकार कहैत छैक जे टैक्स भरब गुनाह छैक, ताहिसँ अहाँ की अहाँक बाल-बच्चाकेँ पर्यंत सजा भोगय पड़त तऽ किएक करब एहेन अपराध ? पैघसँ पैघ अपराधमे मात्र स्वयं अपराधीएटाकेँ सजा भेटैत छैक, मुदा ई एतेक पैघ अपराध अछि जे अपराधीक अतिरिक्त ओकर बाल-बच्चा पर्यंतकेँ सजा भेटैत छैक, तऽ एहेन घोर अपराध किएक करब ? पुर्व जन्ममे पाप कयलौंह तऽ जेनरल केटेगरी वाला वर्णमे जन्म लेलौंह, आ आब फेर पाप पर पाप करैत छी आ टैक्स भरै छी, अपन पापक चलते हमरा सभकेँ किएक सजा दैत छी ?

–तऽ की करु ?

–सभसँ पहिने टैक्स भरब छोड़ू, सुपूर्द कय दियौ सरकारकेँ ओकर प्रावधान सभ आ निश्चिंत भऽ कऽ बिना टैक्स भरयवाला श्रेणीमे आउ आ उठाउ सरकारक सभ योजनाक लाभ, हमरो सभकेँ तखनि द्वार खुजि जाएत, युवा सभकेँ कौशल प्रशिक्षण, इंटर्नशिप, मासिक भत्ता आदि अनेक योजना मोदीजीक सरकार देलक अछि, बस अहाँक टैक्स भरब सभसँ बड़का बाधा अछि, एक बेर ई बाधा दुर भेल की लाभे लाभ

–ठिक बौआ, अहाँ हमर आँखि खोलि देलौंह, काल्हियेसँ हम एहि टैक्स भरयवाला प्रावधानसँ मूक्तिमे लागि जाइत छी, फेर लाभे-लाभ, आ हे एकटा बात आर हम ठानि रहल छी, पुर्व जन्मक पापसँ जे जेनरल केटेगरीमे जन्म लेलौंह, तकरो निदान छैक, जाति परिवर्तन, धर्म परिवर्तन सभ भऽ रहल छैक, तों मात्र ई कहै जे ककरा सभसँ बेसी लाभ भेटैत छैक, ओहो परिवर्तन कय इहो पापसँ मूक्ते भऽ जाएब।

वास्तवमे ई अधिकतर युवाक दर्द अछि आ ई दुर्दशा सिस्टमक खामीसँ उत्पन्न भेल अछि, सिस्टमक सोच जे एक बेर अहाँ टैक्स पेयर भऽ गेलौंह अहाँ अमीर भऽ गेलौंह आ सभ आर्थिक समस्यासँ मुक्त भऽ गेलौंह आ ताहि लेल अहाँक अतिरिक्त अहाँक बाल-बच्चा सभकेँ सरकार अपन योजनासँ अलग राखत, अदुरदर्शी अछि, एहिमे सरकारक योजना विभाग नवीन बनल टैक्स पेयर वा गत दू-तीन सालक अपन बिजनैसक समस्यासँ जूझि रहल टैक्स पेयर आ ओकर परिवारक चिंता पर ध्यान नहिं देलक अछि। वास्तवमे एहि तरहक टैक्स पेयर आर्थिक तंगीसँ अधिक जूझि रहल होइत अछि आ परिवार एवं बाल-बच्चा अधिक प्रभावित रहैत छैक। एहेनमे सरकारी योजनाक कोनो लाभक आसार जखनि देखैत अछि, मुदा पता चलैत छैक जे ओ लाभ टैक्स पेयरक संतान सभक लेल नहिं छैक, तखनि ओ टूटि जाइत अछि आ एही तरहक बात अपन अभिवावकसँ करैत अछि। अन्यथा ओकरो ई ज्ञात रहैत छैक जे टैक्स देब कतेक आवश्यक अछि आ कर्त्तव्य अछि।

बात ई छैक जे की टैक्स पेयरकेँ सरकारी सहायताक आवश्यकता नहिं होइत छैक, ओकरो आवश्यकता होइत छैक आ आनक अपेक्षा अधिक होइत छैक, विशेषतः अधिकतरकेँ ई होइत छैक, मुदा टैक्स पेयर पर सराकरक सोच आ कठोरता अधिकतर टैक्स पेयरक जीवन बर्बाद कय दैत अछि, हँ एहूमे जे मोटगर धंधा करयवाला अछि, तकरा लेल सभ द्वार खुजल रहैत छैक आ वैऽह सभमे कतेक सरकारकेँ एक्कहि बेर कतेकोक कर्ज लऽ कऽ भागि जाइत अछि। मुदा मध्यम वर्गक टेक्स पेयर आ ताहूमे नवीन बिजनेस स्टार्ट करयवाला टैक्स पेयर पर सरकारकेँ कठोरतासँ अधिक ओकर समस्याक बारेमे सोचय केर चाही आ सहायता करय केर चाही। एक तरफ ओ जीडीपीमे योगदान दऽ रहल अछि, जाहिसँ सरकारक योजनाक कृयान्वयन होइत अछि, तखनि तऽ सरकारकेँ ओकरा अपन प्राथमिकतामे राखय केर चाही, मुदा ओकरे पर पाबंदी आ ओकर टैक्सक टकासँ बिना टैक्स देबयवालाकेँ लाभे-लाभ। ठिक छैक एतय ई नहिं कहब छैक जे सरकार अपन कल्याणकारी योजना रोकि दै, बल्कि ई कहब छैक जे कल्याणकारी योजना जकर सभक कारण चलैत अछि, तकरा पर सेहो ध्यान दै आ तकरो स्थितिक अध्ययन करय लेल विभाग बनाबय।

आब नवीन बिजनेस शुरू कयनिहारक समस्या सभ पर ध्यान दिअ। नवीन बिजनेस शुरू कयनिहार जेना-तेना पूँजी इकट्ठा कय बिजनेस शुरू करैत छथि, बिजनेस शुरू करयमे सरकारक कतेको मानकक पूर्ति करय पड़ैत छनि आ ताहिमे सरकारेक कतेक विभागक ढ़िलाईक कारण विलंब भेलासँ उलटे ओहि व्यापारीकेँ फाइन भरय पड़ैत छैक, खैर ई तऽ भेल एकटा बात। पुनः सरकारक मानक सभ पुरा करयमे धन सेहो कम खर्च नहिं होइत छैक। एम्हर बिजनेसक शुरुआत रहैत छैक, कॉम्पटीशनक समय छैक, एहिमे औसत पूँजीवालाकेँ अनेक तरहक कठिनाईक सामना करय पड़ैत छैक। कहल गेल छैक जे कोनो व्यापारक लेल कमसँ कम तीन टा पूँजीक आवश्यकता होइत छैक। तऽ एहिमे औसत पूँजीवाला सभ शुरुआतमे तऽ अपन सभ सामर्थ्य झोंकि दैत छथि, मुदा साल लागैत-लागैत हुनका सहायताक आवश्यकता पड़य लागैत छनि आ ओ सहायताक द्वारा ताकय लागैत छथि। एम्हर ओ टैक्स पेयर भऽ गेल रहैत छथि, फलतः टैक्स पेयर होबय केर कारण सरकारी कतेको प्रकारक लाभसँ वैऽह नहिं मात्र, बल्कि हुनक परिवार संतान सभ वंचित भऽ जाइत अछि, तऽ दोसर सेहो बोझ।
पुनः ओ छटपटाइत सहायताक आशमे जेना-तेना व्यक्तिगत कर्ज लैत आगू बढ़ैत छथि जे एक साल आर काटि लेब तऽ स्थिति सुधरि जाएत, मुदा पूँजीक आभावमे ओ एहि प्रतियोगी समयमे पिछड़ैत जाइत छथि। बिजनेसक लेल दिमागकेँ स्वस्थ आ चिंतामुक्त सेहो हेबाक चाही, मुदा एहि ठाम ई बिजनेसमैन अर्थेक व्यवस्थामे सभटा समय प्रायः बीता दैत अछि, पुनः बिजनेस पर की ध्यान देत, जमाना अनुसार अपन बिजनेस केर आगू बढ़ाबय लेल नव-नव तरीका की सोचत। खैर जेना-तेना दोसर वर्ष सेहो बीत जाइत छैक।

आब तेसर वर्ष ओकरा लेल एक तरहसँ जुआकेँ समान भऽ जाइत अछि, ओ मानू जुआरी भऽ जाइत अछि, ओकरा पर कर्जक चारु तरफसँ बोझ आबि गेल रहैत छैक, मुदा आब एतेक दुर आबि गेलाक बाद ओ पाछू हँटय नहिं चाहैत अछि, बल्कि पाछू हँटियो नहिं सकैत अछि अपन कर्जक बोझक कारण। पुनः ओ जुआरीक भाँति टकाक व्यवस्था लेल अपन सभकिछु बेचैत, पुनः आओर कोनो शर्त पर टका उठाबैत आगा बढ़ैत अछि, एहेन समयमे ओकर मनःस्थितिक अंदाज लगाओल जा सकैछ आ अशांत मनःस्थितिमे की बिजनेस करतै।

एखनि ओकरा सरकारसँ सभसँ अधिक सहायताक आवश्यकता पड़ैत छैक, मुदा सरकार एहेन सभक सहायताक लेल प्रायः कोनो नियम नहिं बनेने अछि, बल्कि चुँकी ई सभ टैक्स पेयर भऽ गेल रहैत अछि, फलतः एकरा सभक लेल अनेको प्रकारक बंदिश लगाओल जाइत छैक। टैक्स पेयर पर बंदिश लगाबय लेल भरिसक सरकार एकटा अलगसँ विभाग बनेने अछि आ ओहिमे टैक्स पेयरकेँ कोना सताओल जाय, कोना नव-नव बंदिश लगाओल जाय ताहिक योजना बनैत छैक।

एम्हर तेसर वर्ष आबैत-आबैत ई बिजनेसमैनक बैचेनी हदसँ अधिक बढ़ि जाइत छैक। बैंक दर बैंक ओ लोनक लेल भटकय लागैत अछि, यद्यपि दू साल ओ आईटीआर सेहो भरने रहैत अछि, मुदा बैंक आय केर श्रोत ताकय लेल एक-एक दिनक एकाउंट बैलेंस खंगालय लागैत अछि, टाका आबैत छैक तऽ एकाउंटमे टिकय छैक की नहिं, कतेक दिन टिकय छैक, नहिं टिकैत छैक तऽ संभव नहिं। मततोरीकेँ एतय बिजनेस चला रहल छी की सेविंग बैंक, एतय जेना-तेना व्यवस्था करैत लेन-देन कय रहल छी तऽ पैसा कतयसँ टिकत, टकाक आवाजाही जारी छैक से कम की, आ से जँ टिकतैक तऽ तोरासँ लोन लेबय केर कोन आवश्यकता छलैक। तों ई देखै ने जे दू सालसँ धंधा चला रहल छैक, टैक्स भरि रहल छैक, धंधा केर आगू बढ़ाबय लेल लोनक आवश्यकता छैक, से देबाक चाही, पहिल बेर नहिं अधिक एकटा कामचलाऊए एमांउट, मुदा देबाक चाही। मुदा कथी लेल बैंक टससँ मस होएत। अंगदक टांग जँका नहिं तऽ नहिं।

तऽ की एतय एहेन बिजनेसमैनक बारेमे सरकारकेँ सोचय केर नहिं चाही ? एहेन बिजनेसमैनक स्थितिक ऑकलन करय केर नहिं चाही ? की सरकारक ई टैक्स पेयर सरकारी सहायताक हकदार नहिं अछि ? सभसँ अधिक हकदार अछि, होबय केर तऽ ई चाही जे सरकार एकरा सभकेँ प्राथमिकतामे लऽ हर समय सहयोगक लेल तत्पर रहय केर चाही, कारण न्यू कमर पर तऽ पुरा केर पुरा रिस्के छैक, मुदा ई सभ दू टा फेज पार कय गेल रहैत अछि, आब एतय जँ सरकारक सहायता भेटितैक तऽ ई सभ सरकारक सभ तरहसँ सभसँ अधिक सहयोगी बनत, सभसँ अधिक टैक्स पेयर बनत, सभसँ अधिक रोजगार देबयवाला रोजगार सर्जक बनत।

मुदा नहिं, ई चिंतन करयवाला सरकारमे कियो नहिं, बल्कि एहेन टैक्स पेयर पर कोना पाबंदी पर पाबंदी लगा समाप्त कय दियै, तकर अलग योजना मंडल बस भरिसक बनल अछि। जेना ठिके टैक्स देब अपराध भऽ गेलै।
……………अजय नाथ झा शास्त्री

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