भारत नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर अमेरिकी टिप्पणीक जवाब देलक अछि। भारतीय विदेश मंत्रालय कहलक जे सीएए भारतक आन्तरिक मामिला अछि। सीएए कार्यान्वयन पर अमेरिकाक बयान गलत आ अनुचित अछि। लोककें नागरिकता देल जाएत, नहिं कि नागरिकता छीनल जायत। भारतक इतिहासक सीमित ज्ञान राखयवाला उपदेश देबाक प्रयास नहिं करी।
अमेरिका भारतमे सीएए कार्यान्वयनपर आपत्ति उठौलक आ कहलक जे ओ एकर बारीकीसँ निगरानी कऽ रहल अछि। भारत आब एहि बारेमे अमेरिकाकेँ जवाब देलक अछि। विदेश मंत्रालय कहलक जे सीएए राज्यविहीनताक मुद्दाकेँ सम्बोधित करैत अछि, मानव गरिमा प्रदान करैत अछि आ मानवाधिकारक समर्थन करैत अछि। “नागरिकता संशोधन अधिनियम अपन समावेशी परम्परा आ मानवाधिकारक प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धताक अनुरूप भारतक आन्तरिक मामिला अछि। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम नागरिकता देबाक लेल अछि, ई नागरिकता छीनबाक लेल नहिं अछि।
सीएएक कार्यान्वयन पर अमेरिकी विदेश विभागक बयानकेँ विदेश मंत्रालय द्वारा “गलत, अनुचित आ बेतुका” बताओल गेल अछि। एहिमे कहल गेल अछि, “चूँकि भारतक संविधान सभ नागरिककेँ धार्मिक स्वतन्त्रताक गारंटी दैत अछि, तेँ अल्पसंख्यकसभक सङ्ग व्यवहारपर चिन्ताक कोनो आधार नहिं अछि।”
विदेश विभागक प्रवक्ता मैथ्यू मिलर अपन दैनिक संवाददाता सम्मेलनमे संवाददातासभकेँ कहलनि, “हम ११ मार्चसँ नागरिकता (संशोधन) अधिनियमक अधिसूचनासँ चिन्तित छी। ओ आगू कहलनि “हम एहि अधिनियमकेँ कोना लागू कयल गेल अछि ताहि पर बारीकीसँ नजरि राखि रहल छी। धार्मिक स्वतंत्रताक सम्मान आ सभ समुदायक लेल कानूनक अंतर्गत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत अछि।”