दीर्घ काल सौं सीनेट, सिंडिकेटक बैसारमे संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं जीक रचनाकें सिलेबसमे शामिल करबाक मांग अन्ततोगत्वा पूर्ण भेल। एहि लेल सिंडिकेट सदस्य मेजर गौतम कुमार कुलपति महोदयक प्रति आभार जतौलनि एवं जानकारी दैत कहलनि कि कुलपति सह अध्यक्ष प्रो विमलेंदु शेखर झा विगत दिन सदनमे ई शुभ समाचार देलनि जे बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय केर पाठ्यक्रममे संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं केर रचनाकें शामिल कएल गेल अछि। संगहि आब बिहारक प्रायः सभ विश्वविद्यालयमे संत लक्ष्मीनाथ गोसाईंक रचना शामिल भऽ जाएत।
सिलेबस निर्धारणक प्रांतीय टीमक सदस्यक रूप मे ओ मिथिलाक अद्भुत संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं जीक रचनाकें विश्वविद्यालयक पाठ्यक्रममे शामिल करेबाक लेल लगातार प्रयास करैत रहलाह, जेकर ई शुभ परिणाम थिक।
सदनकेँ कुलपति द्वारा ई सूचित कएलाक बाद सिंडिकेट सदस्य मेजर गौतम कुमार सहित सभ सदस्य लोकनि कुलपति प्रो. विमलेंदु शेखर झाकें हृदय सौं भरपूर धन्यवाद देलनि आ एकरा समस्त मिथिला क्षेत्रक लेल पैघ उपलब्धि एवं संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं केर रचना संसारक उचित सम्मान बतौलनि।
एहि अवसर पर मेजर गौतम कुमार कहलनि जे ई एकटा बड्ड पैघ उपलब्धि थिक। आब बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईंक रचनाकें पूरा बिहारक विश्वविद्यालयमे पढ़ाएल जाएत। ओ एहि दिशामे लगातार कएल गेल प्रयासक क्रममे भेटल अलग-अलग वर्गक सहयोगी लोकनिक प्रति आभार व्यक्त कएलनि।
एहि सन्दर्भमे मैथिल पुनर्जागरण प्रकाशक प्रतिनिधि सौं अपन उदगार साझा करैत प्रख्यात शिक्षाविद एवं संत लक्ष्मीनाथ गोसाईंक जीवन पर शोध आधारित वृत्तचित्र निर्माता डॉ. विनय कर्ण कहलनि जे हमरा एहि सुखद समाचार एवं विश्वविद्यालयक महत्वपूर्ण निर्णय सौं आत्मीय प्रसन्नता भ रहल अछि। डॉ. कर्ण कहलनि जे ‘गोस्वामी लक्ष्मीनाथ परमहंस : मिथिला के अद्भुत संत’ वृत्तचित्रक निर्माणक हमर उद्देश्य आई किछु हद तक पूरा भऽ गेल। मुदा ओ ईहो कहलनि जे जखनि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू जी सी) सँ स्वीकृत भऽ संत लक्ष्मीनाथ परमहंस जीक रचना सभक पढ़ाई अखिल भारतीय स्तर पर सभ विश्वविद्यालयमे आरम्भ भऽ जायत तखनि हमर हिय जुड़ायत।
बुद्धिजीवी सभक मंतव्य छन्हि जे गोसाईं जीक रचना सभकें विश्वविद्यालय पाठ्यक्रममे शामिल भेला सौं एहि क्षेत्रक बौद्धिक पहिचान आओर जगजियार होएत।
गोस्वामी लक्ष्मीनाथ परमहंस ‘बाबाजी’क चरणानुरागी बनगाँव केर वयोवृद्ध भक्त एवं विद्वान पं. हरिश्चंद्र मिश्र कहैत छथि जे संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं एवं हुनक रचना मात्र एहि क्षेत्र विशेषक अथवा मिथिले टाक नहि अपितु समस्त भारत आ सनातन संस्कृतिक अनमोल धरोहर थिक, जाहिसौं सूर, तुलसी, कबीर, मीरा आदि महान संतक साहित्यिक परम्परा समृद्ध होइत अछि। अतएव ई समस्त मिथिलावासी एवं साहित्यानुरागी केर दायित्व थिक जे लक्ष्मीनाथ बाबाजीक अधिकाधिक कृति सभकें इजोतमे आनि लोक कल्याण हेतु संत साहित्यक सदुपयोग करी।