श्रद्धांजलि

आ ठिके नहिं रहलीह आब मिथिलाक धिया स्वर कोकिला शारदा सिन्हा

मधुबनी
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छठिक समय अबिते महिनो पहिने बल्कि दुर्गा पूजाक बादेसँ घर-घर गुंजय लगैत अछि स्वर कोकिला मिथिलाक धिया शारदा सिन्हाक छठिक गीत। ताहि शारदा सिन्हाक अंतिम विदाई छठिएक नहाय-खाय दिन भेल। काल्हि मंगलकेँ आखिरकार नहिं रहलीह शारदा सिन्हा।

दिल्लीक एम्समे भर्ती भेलाक बादेसँ चारु तरफ एहि छठिक समय शारदाक शोर छल, प्रधानमंत्रीसँ लऽ कऽ अनेको हुनक प्रसंशक हुनका लेल बैचेन छलथि, प्रधानमंत्री तऽ लगातार चिकित्सक सभक सीधा संपर्कमे छलथि, चारु तरफ बस शारदे-शारदाक शोर छल। यद्यपि शारदाक शोर छठिक समय रहिते अछि आ सदा रहत, मुदा एहि बेर शारदाक लेल प्रार्थनाक शोर छल, मुदा प्रारब्ध प्रबल छल।

एहि मिथिलाक धियाक नैहर सुपौल जिलाक हुलास, सासुर बेगुसराय जिलाक सिहमा अछि आ समस्तीपुर रहलनि कार्यस्थली।

जन्म : ०१ अक्टूबर १९५२, मृत्यु : ०५ नवम्बर २०२४, शिक्षा : बीएड, यूपीसँ म्यूजिकमे एमए।
पिता : सुखदेव ठाकुर (शिक्षा विभागमे वरिष्ठ अधिकारी)
पति : स्व. ब्रजकिशोर सिन्हा
संतान : अंशुमान सिन्हा आ वंदना।
समस्तीपुर वीमेन काॅलेजमे प्रोफेसरक रुपमे सेवा देलनि।
१९७८ मे पहिल बेर प्रायः ‘उग हो सूरज देव’ गीत रेकार्ड कयलनि। १९८९ मे ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजनिया..’ गीतसँ बाॅलीवुडमे एंट्री लेलनि। छठि, मूंडन, उपनयन, विवाह, विदाई आदि लोक गीत गाबि जनमानस पर छाओल रहलीह आ सदा छाओल रहतीह मिथिलाक धिया शारदा सिन्हा। ‘मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश (राष्ट्रीय मैथिली दैनिक)’ अर्पित करैत अछि भावभीनी श्रद्धांजलि।

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