दू वर्षक सतत ससमय नियमित प्रकाशनयात्राक बाट पर चलैत आजुक एहि अंकक संग तेसर सालक यात्रा आरंभ भऽ रहल अछि। स्थिरताक एहि तेसर चरणमे हमरा लोकनि एहि गौरवकेँ ठोस रुप दय सतत गौरवान्वित होइत रही आ निरंतरता अखंड रहय तकर विश्वासक संग प्रयास करी। तऽ आउ अप्पन भाषिक अस्मिता केर एहि अक्षर आन्दोलनमे सहभागी होइत एहि चारिम खाम्हक मजगूती पर ध्यान दी।
सभगोटेकेँ धन्यवाद, आभार, अभिनंदन आ एहि तेसर स्थापना दिवसक आत्मीय अनंत मंगलकामना शुभकामना।
सौराठ गाममे प्रकांड विद्वान भेलैथ महामहोपाध्याय पंडित राजनाथ मिश्र उर्फ रज्जे मिश्र। हिनक पुत्र सुभद्र मिश्र आ पुत्रवधू मानेश्वरी मिश्राइनक पांचटा कन्या संतान क्रमशः भूलरि देवी, मनचूरन देवी, सुशीला देवी, छेमा देवी आ कौशल्या देवी भेलीह। दोसर संतान मनचूरन देवी आ जमाय महेन्द्र नाथ झाकेँ सुभद्र मिश्र आ मानेश्वरी मिश्राइन अपन सभक आ परिवार, जमीन-जायदाद आदिक देखभाल एवं संरक्षणक उद्देश्यसँ सौराठेमे रखलैथ। मनचूरन देवीक तीन टा संतान क्रमशः स्वर्गीय धैर्य नाथ झा, श्री शोभ नाथ झा एवं श्री प्रेम नाथ झा भेलैथ आ एहिमे ज्येष्ठ संतान स्वर्गीय धैर्य नाथ झा’क ज्येष्ठ पुत्र मिथिला विभूति ज्यो. पं. अजय नाथ झा शास्त्री छथि।