शिक्षा

राजभवनमे भेल महामहिम राज्यपाल द्वारा “कीर्तिलता”क लोकार्पण

पटना
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मैथिलीक आदि पुरूख विद्यापतिक विश्वप्रसिद्ध बहुचर्चित तीन ग्रन्थ कीर्तिलता, कीर्तिपताका आ कीर्तिगाथाक नवीनतम रूपमे संस्कृत आ मैथिलीक प्रसिद्ध विद्वान , कामेश्वर सिंह दरभङ्गा संस्कृत विश्वविद्यालयक पूर्व कुलपति दीपग्राम वासी शशिनाथ झा द्वारा नवीनतम व्याख्याक सङ सम्पादित कऽ दू अलग-अलग पोथीमे क्रमश: “कीर्तिलता” एवं “कीर्तिपताका आ कीर्तिगाथा” नामसँ सङ्कलित कयल गेल अछि ।

२६ अक्टूबरकेँ राजभवन पटनाक सभागारमे एहि दुनू पोथीक लोकार्पण बिहारक राज्यपाल महामहिम श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकरक करकमलसँ भेल।

एहि लोकार्पणक आयोजन राजभवन दिसिसँ आयोजित कयल गेल छल जाहिमे मुख्य वक्ता रहथि विद्यापति साहित्यक प्रसिद्ध विद्वान प्रोफेसर इन्द्रकान्त झा आ कार्यक्रमक सञ्चालन कयलनि पण्डित भवनाथ झा।

लोकार्पण करैत महाहमिम श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर एहि पोथीक प्रति अपन उदगार व्यक्त करैत कहलनि जे पछिला पाँच वर्खसँ शशिनाथजी एहि तीनू ग्रन्थक विभिन्न पाण्डुलिपिक खोज आ विभिन्न विद्वानक अभिमत आ व्याख्याकेँ गहन अध्ययन करैत रहलाह अछि आ अपन कुलपतिक जिम्मेदारीक बाबजूद एहि गम्भीर कार्यमे लागल रहलथि । महामहिम विद्यापतिक एहि प्रसिद्ध रचनाक अद्यतन आ नवीन व्याख्याकेँ देशक युवावर्गक लेल बहुत उपयोगी आ एकटा मार्गदर्शन कहलनि। आगाँ अपन उद्बोधनमे भारतक प्राचीन ग्रन्थसभक पूर्वमे भ्रामक आ गलत-सलत व्याख्या आ ताहि अनुसारेँ अपूर्ण आ फुसि इतिहासक रचना भेल जे आइ देशक युवाकेँ भ्रममे रखने अछि, तेँ शशिनाथ झा सन विद्वानक एहेन प्रयास जे अपन उच्च कोटिक साहित्यक सही व्याख्या आ अर्थ लोकक सामने आनथि आ युवाक मार्गदर्शन कयलनि अछि अभिवादन आ सम्मानक पात्र छथि।

मुख्य वक्ता इन्द्रकान्त झा तीनू ग्रन्थक प्रति पछिला पचहत्तरि वर्खसँ लगातार होइत शोध आ व्याख्याक विवरण दैत शशिनाथ झाक एहि विशिष्ट प्रयासक लेल लोककेँ जनतब देलनि।सञ्चालक पण्डित भवनाथ झा तीनू ग्रन्थक मूल पाण्डुलिपिक स्रोतस्थल नेपाल, कलकत्ता, दरभङ्गा आदिक विवरण दैत एकर प्रमाणिकता आ नव व्याख्याक प्रति विवरण प्रस्तुत कयलनि।

सम्पादक शशिनाथ झा द्वारा एहि तीनू ग्रन्थक भाषाकेँ मैथिली भाषाक ग्रन्थ होयबाक तथ्य प्रस्तुत कयल गेल। ओ कहलनि जे तीनू ग्रन्थक भाषा एखनो लोकक बीच बाजय जाय बला बोलीसन अछि ।अस्तु एकरा अवहट्ट कहब उचित नहि। ई अपभ्रंश पूर्वी मिथिलाक भाषा थिक। तहिया मैथिली नामसँ लोक नहि जनैत रहथि अपितु अठारहम शताब्दीतक मिथिलाक अपभ्रंश कहल जाइत रहय। विद्वान लोकनि एहि ग्रन्थकेँ अवहट्टक श्रेणीमे राखि देलनि, मुदा आब जखनि मैथिली एकटा मान्यता प्राप्त विश्वस्तरीय भाषा अछि तऽ एहि तीनू ग्रन्थकेँ मैथिलीक ग्रन्थ कहब उचित होयत।

जनतब दी जे एहि दुनू पोथीक पाठकेँ मूल रूपक सङ हिन्दी आ मैथिलीक वर्तमान पाठमे अनुवाद सेहो देल गेल अछि जाहिसँ मैथिलीक वर्तमान पाठक विशेषकऽ छात्रक लेल अति सुलभ आ उपयोगी होयत।

लोकार्पण समारोह राजभवनमे रहबाक कारणे पटना आ दरभङ्गासँ मात्र चालिस आमन्त्रित श्रोताक उपस्थिति छल, जाहिमे दरभङ्गासँ काशीनाथ झा, हीरेन्द्र कुमार झा आ पटनासँ रमानन्द झा रमण, नीशा मदन झा ,अरविन्द अक्कू रहथि।

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