धर्म-संस्कृति

एहि बेर (१९-०८-२०२४) रक्षाबंधन कखनि करी

अजय नाथ झा शास्त्री
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आब प्रायः सभटा पावनि-तिहारक समय लोकसभ द्वारा संशयात्मक मानल जाय लागल अछि। मुदा तकर कारण संचार तंत्र मात्र अछि। पहिने अपन गामक पंडित जे कहि दैत छलखिन से लोक सीधा मानि लैत छल, कोनो टोका-टाकी नहिं। मुदा आब टीवीक अनेक चैनल पर चौबिसो घंटा अनेक पंडित अपन-अपन राय राखैत रहैत छथि। ताहुसँ अधिक शोसल मिडिया पर प्रायः पंडितक बाढ़ि आयल रहैत अछि आ ताहूसँ अधिक विभिन्न संचार श्रोतसँ ज्ञात कयलाक बाद काॅपी-पेस्टक सूनामी। एहेन स्थितिमे लोक की करय ? संशय, भ्रम उत्पन्न हेतै की नहिं, निश्चित रुपसँ किंकर्तव्यविमूढ़क स्थिति बनल रहैत छैक।

मुदा एकर एकमात्र उपाय वैऽह अछि जे अपन पंडित जे कहैत छथि से मानी, अपन पंडित अर्थात अपन कुल-परिवार वा समाजक पारंपरिक पंडित। दोसर जे अधिक संशयमे नहिं रही मूल एकटा मानक दिन आ मानक समय लगभग काॅमन रहैत छैक तऽ तकरा पकड़ी आ अधिक कान नहिं दियै जे फल्लां पंडित ई कहलखिन तऽ चिल्लां पंडित ई।

एहि बेर दिनांक १९-०८-२०२४ केँ रक्षाबंधन अर्थात राखी पूर्णिमा अछि। पूर्णिमा सोमकेँ दिन भरि बल्कि रात्रिक प्रायः साढ़े बारह बजे तक अछि। मुदा रक्षाबंधनमे भद्रा विचार करय लेल कहल जाइत अछि आ एहि दिन प्रायः-प्रायः भद्राकालक समय पकड़ाइये जाइत अछि। एहू बेर दिनांक १९-०८-२०२४, सोमकेँ दिनक प्रायः ०१:३५ बजे तक भद्राकाल पकड़ाइत अछि तऽ उत्तम इएह रहत जे दिनक ०१:३५ बजे केर बाद सूर्यास्तसँ पहिने तक रक्षाबंधन करी। भद्राकेँ भदबा नहिं बुझी, भद्रा आ भदबा दुनू अलग छैक , कोनो समानता नहिं छैक।

आब किछु गोटेकेँ समयक विवशता रहैत छनि, तऽ कियो उत्तमसँ उत्तम अर्थात सर्वोत्तम मुहूर्त आदिक इच्छा रखैत छथि। तऽ जिनका समयक विवशता छनि जेना सुरक्षाकर्मी, प्रशासनिक कर्मी वा तहिना कियो अन्य, तऽ से सभ सोमकेँ सूर्योदयसँ रात्रि साढ़े बारह बजे धरि कखनो रक्षाबंधन कय सकैत छी, ओहुना एहिबेर भद्रा वास पाताल लोकमे अछि, मान्यता इहो छैक जे मात्र पृथ्वी लोक परक भद्रा वासकेँ पकड़ल जाइत छैक, भद्रा पाताल लोक वा स्वर्ग लोकमे रहैत छैक तऽ तकरा पकड़ल नहिं जाइत छैक, तऽ एहि बेरक सोम दिनक भद्रा वास पाताल लोकमे अछि, तें विशेष परिस्थितिमे एकरा नहिं पकड़ल जाएत।

सर्वोत्तम मुहूर्तक इच्छा राखयवाला दिनक ०१:३५ सँ ०३:३० आ पुनः अपन स्थानक सूर्यास्तक पहिलुक प्रायः डेढ़ घंटाक अवधि ( जेना मिथिलामे प्रायः ०५:०० सँ ०६:३०) पकड़ि सकैत छी।

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