विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारतक स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर देलनि। ओ कहलनि जे भारत राष्ट्रीय हित आ वैश्विक कल्याणकेँ प्राथमिकता देत। जयशंकर सांस्कृतिक धरोहरक महत्व पर प्रकाश देलनि। ओ उल्लेख कयलनि जे भारत अपन परम्पराकेँ अंगीकार करैत आगू बढ़त। दुनियाकेँ भारतक विरासतसँ सीखबाक जरूरत अछि।
एस. जयशंकर भारतक स्वतंत्र विदेश नीति आ सांस्कृतिक विरासतक महत्वपर जोर देलनि। जयशंकर कहलनि, “भारत अपन राष्ट्रीय हित आ वैश्विक कल्याणकेँ प्राथमिकता देत, आ ककरो दबावक सामने नहि झुकत। भारत अपन पहिचानक पुनः खोज कऽ रहल अछि, युवा पीढ़ीकेँ सांस्कृतिक विरासतक मूल्य बुझबाक चाही।”
शनि दिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारतक स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर देलनि। ओ सांस्कृतिक धरोहरक महत्वक विषयमे सेहो कहलनि। जयशंकर कहलनि जे भारत अपन निर्णयमे राष्ट्रीय हित आ वैश्विक कल्याणकेँ प्राथमिकता देत। हुनका २७म एस.आई.ई.एस. श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती राष्ट्रीय एमिनेंस अवार्ड भेटल। ई आयोजन नई दिल्लीमे भेल छल। जयशंकर कहलनि जे स्वतन्त्रताकेँ तटस्थताक सङ्ग कहियो भ्रमित नहि करबाक चाही। ओ आगू उल्लेख कयलनि जे हम अपन राष्ट्रीय हित आ वैश्विक कल्याणक लेल जे किछु सही करब से करब। हमरा पर केकरो दबाव नहि पड़त। भारत कखनो केकरो अपन विकल्प पर वीटो करबाक अनुमति नहि देत।
जयशंकर कहलनि जे भारतकेँ आगू बढ़ैत अपन परम्पराकेँ अपनाबय केर चाही। हुनकर मानब छनि जे भारतक बढ़ैत वैश्विक उपस्थितिक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ैत अछि। दुनिया भारतक विरासतसँ सीख सकैत अछि। ओ वैश्वीकृत दुनियामे परम्परा आ प्रौद्योगिकीकेँ सन्तुलित करबाक महत्वपर जोर देलनि।
विदेश मंत्री एस. जयशंकरक मानब छनि जे भारतकेँ वैश्विक प्रभाव प्राप्त करबाक लेल अपन सांस्कृतिक शक्तिक उपयोग करबाक चाही। ओ युवा पीढ़ीकेँ अपन विरासतक मूल्य बुझबाक लेल प्रोत्साहित कयलनि। ओ गरीबी आ भेदभावकेँ कम करबामे भारतक प्रगतिक उल्लेख कयलनि। एकर अतिरिक्त, ओ विकासशील देशसभक वैश्विक कल्याणक लेल प्रतिबद्ध एकटा स्वतंत्र शक्तिक रूपमे भारतक भूमिकाक चर्चा कयलनि।
भारत अपन पहिचानकेँ फेरसँ खोजि रहल अछि। एस. जयशंकर देशक भीतर मौजूद चुनौती आ विविध विचारकेँ सेहो स्वीकार कयलनि। ओ कहलनि जे बहुत दिनसँ हमरासभकेँ प्रगति आ आधुनिकताकेँ अपन धरोहर आ परम्पराक अस्वीकृतिक रूपमे देखबाक शिक्षा देल गेल अछि। ओ उल्लेख कयलनि जे जेना-जेना लोकतंत्र गहींर होइत जा रहल अछि, भारत अपन पहिचानक पुनः खोज कऽ रहल अछि। ओ एहि बदलाव दिसि इशारा कयलनि।
जयशंकरक मानब छनि जे भारत अपन सांस्कृतिक विरासतसँ दुनियाकेँ बहुत किछु सिखा सकैत अछि। ओ चाहैत छथि जे युवा पीढ़ी अपन परम्पराकेँ बुझय आ सम्मान करय। ओ इहो कहलनि जे भारत सदैव अपन राष्ट्रीय हितकेँ ध्यानमे राखत। मुदा, संगहि ई दुनियाक बेहतरी लेल सेहो काज करत।