सुप्रीम कोर्टमे वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 केँ संवैधानिक वैधताक चुनौती देबयवला याचिका पर काल्हि दोसर दिन सेहो सुनवाई भेल। आब एहि अहम मामिला पर आई (गुरुवार, 22 मई 2025) फेरसँ सुनवाई होएत।
काल्हि केर सुनवाईमे केंद्र सरकारक दिसिसँ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अपन पक्ष रखलनि। ओ कहलनि जे ‘वक्फ इस्लामक जरूरी हिस्सा नहि अछि आ ई केवल दानक एकटा तरीका अछि, जेना कि अन्य धर्म सभमे होइत अछि। ओ ईहो कहलनि जे याचिकाकर्ता पूरा मुस्लिम समुदायक प्रतिनिधित्व नहि करैत छथि आ सरकार वक्फ कानूनमे बदलावक लेल 97 लाखसँ बेसी लोकसँ राय लेलक अछि।
बीतल मंगलदिन (20 मई 2025) याचिकाकर्ता सभक दिसिसँ कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी आ राजीव धवन कानूनकेँ मुसलमानक धार्मिक स्वतंत्रताक उल्लंघन कहलनि आ एहि पर अंतरिम रोक लगेबाक मांग कयलनि। आब सभक नजरि आई होबयवला सुनवाई पर टिकल अछि जे सुप्रीम कोर्ट एहि संवेदनशील मामिला पर की रुख अपनाबैत अछि।
सुनवाई केर दौरान सरकारक तरफसँ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कहलनि कि वक्फ एकटा इस्लामी धारणा जरूर अछि। मुदा जाधरि ई साबित नहि होएत कि ई इस्लामक अनिवार्य हिस्सा अछि, ताधरि बाकी दलील सभ टिक नहि सकैत अछि। ओ कहलनि कि वक्फ सभ धर्ममे होइत अछि। ईसाइमे सेहो एकर व्यवस्था अछि, हिंदू सभमे ‘वक्फ’ केर परंपरा अछि आ सिख सभमे सेहो ई चलैत अछि।
सॉलिसिटर जनरल मेहता कहलनि कि वक्फ असलमे इस्लाममे दानक एकटा व्यवस्था अछि, एहीसँ बढ़ि आओर किछु नहि।
जनतब जे सुप्रीम कोर्टमे वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 केर संवैधानिक वैधताक खिलाफ याचिका पर काल्हि दोसर दिनक सुनवाई पूरा भेल। आब एहि महत्वपूर्ण मामिला पर आई (गुरूवार, 22 मई 2025) सुनवाई जारी होयत।