शिक्षा

यूजीसी आ विश्वविद्यालयक निर्णय केर विद्यापति सेवा संस्थान कयलक स्वागत

दरभंगा समदिया
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नव शिक्षा नीति केर तहत यूजीसी द्वारा भारतीय भाषा संवर्धन समितिक गठन कयल जायब एवं एकर मैथिली संभागक नोडल विश्वविद्यालय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयकेँ आ नोडल पदाधिकारी कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरीकेँ बनाओल जयबाक विद्यापति सेवा संस्थान स्वागत कयलक अछि। यूजीसी केर एहि निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करैत संस्थानक महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू कहलनि जे मिथिलाक लाल प्रो संजय कुमार चौधरी केर कुशल नेतृत्वमे भारतीय भाषा केर संवर्धन लेल गठित समिति उद्देश्य पूर्ण सफलता हासिल करबामे कामयाब होयत आ 11म सँ लऽ कऽ पीजी, मेडिकल आ इंजीनियरिंग केर पढ़ाई मैथिली भाषामे सेहो जल्दी सुलभ भऽ सकत।

डाॅ बैजू कहलनि जे कुलपति द्वारा एहि समितिक नोडल पदाधिकारी नामित भेलाक तत्काल बाद जाहि प्रकारसँ विश्वविद्यालय मुख्यालय आ एकर अधीनस्थ विभिन्न स्नातकोत्तर विभाग ओ महाविद्यालयक नाम मिथिलाक्षरमे सेहो लिखल जयबाक निर्देश जारी कयलनि अछि, एहिसँ हुनक दूरदर्शिता स्वाभाविक रूपसँ परिलक्षित भेल अछि। डाॅ बैजू आगा कहलनि जे शिक्षण संस्थानक नाम मिथिलाक्षरमे लिखल जयबासँ मिथिलाक छात्र वर्गमे गौरव बोध होयब स्वाभाविक अछि। एहिसँ मातृभूमि मिथिला, मातृभाषा मैथिली आ मातृलिपि मिथिलाक्षरक प्रति आम लोकमे व्याप्त उदासीनता सेहो स्वत: दूर होयत।

मैथिली अकादमीक पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा कहलनि जे विश्वविद्यालय स्तर पर विभिन्न स्नातकोत्तर विभाग आ महाविद्यालयक नाम मिथिलाक्षरमे लिखल जयबाक अधिसूचना निर्गत भेलासँ मैथिली भाषाक विकासकेँ बल भेटत। ओ संस्थानका नाम मिथिलाक्षर केर जानकार लोकनिक देखरेखमे लिखाओल जयबाक सुझाव देलनि। विश्वविद्यालयक एहि पहल केर स्वागत करैत प्रो जीव कांत मिश्र कहलनि जे मिथिला क्षेत्रमे एहि डेगसँ नव उमंग आ उत्साहक सूत्रपात होयत।

मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा कहलनि जे मिथिला केर धरोहरि लिपि मिथिलाक्षर आब मिथिला वासी आ प्रवासी मैथिल केर घर-घरमे अपन स्थान बना चुकल अछि। विलुक्ति केर कगार पर ठाढ़ मिथिलाक्षर लिपि केर साक्षरता लेल मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान केर संस्थापक पं अजय नाथ झा शास्त्री केर नेतृत्वमे सोशल मीडियाक विभिन्न प्लेटफार्म पर सजय बला पाठशाला केर माध्यमसँ देश-विदेशक करीब 10 लाख सँ बेसी लोक मिथिलाक्षर साक्षर बनि गेल छथि। आब विश्वविद्यालय केर एहि डेगसँ मिथिलाक आम आ खास लोकमे अपन मातृलिपिकेँ लऽ जागरूकता बढ़बाक संगहि मिथिलाक्षर लिपिकें बेसीसँ बेसी प्रयोग करबाक प्रति आकर्षण बढ़त।

विश्वविद्यालयक एहि डेगक विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, प्रो विजयकांत झा, दुर्गानंद झा, डॉ गणेशकांत झा, पंकज कुमार ठाकुर, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स, मणि भूषण राजू आदि अनेक जन स्वागत कयलनि।

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