उत्तराखंड यूसीसी (समान नागरिक संहिता) लागू करयवला देशक पहिल राज्य बनि गेल अछि। एहेनमे विवाहसँ लऽ कऽ जमीनमे हिस्सा लेब आ लिव-इन रिलेशनशिप तक नियम सेहो बनाओल गेल अछि। एहि कानूनमे लिव-इन रिलेशनशिपमे रहय वाला जोड़ाक बारेमे कहल गेल अछि जे हुनका एहेन स्थितिमे अपन पंजीयन कराबय केर चाही जाहिसँ प्रशासन द्वारा कोनो विषम परिस्थितिमे हुनकर सुरक्षा सुनिश्चित कयल जा सकय।
एकर बहुत विरोध भेल। एहि कानूनक विरोध करय बला लोकसभ पहिने ई विश्वास नहिं कऽ रहल छलाह जे लिव-इन रिलेशनशिप जेहन चीज अछि आ जँ एहेन होइत अछि तखन प्रशासनकेँ सूचना देब आ ओकरा दर्ज करब निजताक अधिकारक उल्लंघन अछि। किएक तँ ककरो सङ्ग ककरो सम्बन्धक जानकारी निजी अछि, एहेन स्थितिमे सरकारी प्रशासनकेँ उपलब्ध करब निजताक अधिकारक उल्लंघन होएत।
आब लिव-इन रिलेशनशिपमे रहयवला एकटा जोड़ा अपन सुरक्षाक अनुरोध करैत उत्तराखंड उच्च न्यायालयक दरवाजा खटखटेलक। ई दम्पति अदालतकेँ कहलनि जे ओ सभ लिव-इन रिलेशनशिपमे रहि रहल छथि। एहन स्थितिमे हुनका परिवारक सदस्यसँ बेर-बेर धमकी भेटि रहल अछि। जखन कि हम दुनू वयस्क छी आ हमरासभकेँ अपन जीवनक विषयमे निर्णय लेबाक पूरा अधिकार अछि।
एहेन स्थितिमे ई निर्णय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालयसँ आयल। दम्पतिकेँ उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिताक धारा ३७८(१)क अन्तर्गत अपन पंजीकरण करबाक चाही। अर्थात एहि सम्बन्धक पंजीयन होयबाक चाही आ सङ्गहि एहि दम्पतिक सुरक्षा सुनिश्चित करबाक आदेश प्रशासनकेँ देल गेल। अदालत एहि आदेशमे कहलक जे अहाँकेँ ४८ घंटाक भीतर रजिस्ट्रार लग अपन लिव-इन रिलेशनशिप दर्ज करबाक चाही आ एकर सङ्गहि प्रशासनकेँ एहि दम्पतिक सुरक्षा सुनिश्चित करबाक चाही।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिताक धारा ३७८(१)क अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिपमे रहनिहारक लेल ई अनिवार्य होयत जे ओ उत्तराखण्डक निवासी होथि वा नहि, धारा ३७८क उपधारा (१)क अधीन लिव-इनक विवरण सम्बन्धित ओहि पंजीयक लग जकर अधिकार क्षेत्रमे ओ जोड़ा रहैत अछि रजिस्टर्ड करा अपन सुरक्षा सुनिश्चित करय केर चाही। एना कयला पर कोनो प्रकारक राइट टू प्राइवेसीक हनन नहिं होइत अछि।