पर्यावरण

पर्यावरणीय नागरिकता निभाबय लेल दुनियाकेँ वैश्विक नागरिकता दिसि बढ़बाक जरूरत : प्रोफेसर मनोज कुमार

इनवायरमेन्टल सिटिजनशिप फेस्टिवल २०२४ सफलतापूर्वक (दिन-रात्रि) आयोजित
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दरभंगा
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वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी (डब्ल्यूएनडी) दरभंगाक पुरा गाम (धोई घाट) मे दुनियाक पहिल पर्यावरण नागरिकता महोत्सव २०२४क सफलतापूर्वक आयोजन कयलक। मनकू जी (सत्येन्द्र नारायण सिंह)क निवास परिसरमे आयोजित एहि महोत्सव द्वारा ग्रामीण लोकक बीच पैघ स्तरपर पर्यावरणक प्रति जागरूकता पसारल गेल। उत्सवक अध्यक्षता जीवेश्वर सिंह आ श्रवण कुमारक संचालनमे कार्यक्रमक शुरूआत सत्येन्द्र नारायण सिंह (उर्फ मनकू जी)क स्वागत भाषणसँ भेल। डब्ल्यूएनडीक अध्यक्ष आ लेखक डॉ. जावेद अब्दुल्ला आगू विषय प्रवेश कराबैत कहलनि जे समाजमे सफलताक भौतिकवादी मापदंड प्रकृति आ पर्यावरणक विनाशक कारण अछि। प्रकृतिमे रहनिहार प्रत्येक प्राणी प्रकृति-मित्र अछि, मुदा मानव सभ्यता एखन धरि प्रकृति-शत्रु साबित भेल अछि।
अपीलमे डॉ. अब्दुल्ला कहलनि, “हे लोक सभ ! प्रकृतिक मित्र बनू, दुश्मन नहिं। ऑनलाइन बौद्धिक चर्चामे श्रोतासभकेँ सम्बोधित करैत प्लाज्मा साइंटिस्ट, पूर्व आईआईटी दिल्ली प्रो. विपिन कुमार त्रिपाठी कहलनि जे पर्यावरणक लेल खतरा समुद्रमे जायवला ओहि जहाज वा नाव जकाँ अछि जाहिमे कतेको लोक बैसल छथि, आ किछु लोक ओहि जहाजमे छेद कऽ दैथि। ई छेद ओहि लोकक कारण होइत अछि जे बेसी कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करैत अछि। देश आ दुनियाक धनी लोक द्वारा एतेक रास कार्बन डाइऑक्साइडक उत्पादन होइत अछि। तेँ हमरा विलासिता आ उपभोक्तावादक दुनिया बनेबाक जरूरत नहिं अछि। हम एकटा एहन दुनिया चाहैत छी जे प्रकृति आ पर्यावरणक स्वास्थ्य खराब नहिं करय।

एमएलएसएम कॉलेजक पूर्व प्राचार्य प्रो. विद्यानाथ झा कहलनि जे प्रकृतिक धरोहर रहल हमर नदी-पोखरि सभक की भऽ गेल अछि से अहाँ देखि सकैत छी। पर्यावरणक प्रति लोकक जागरूकता बढ़ेबाक लेल समाजकेँ मिलि कऽ सोचबाक चाही। डॉ. जवैद अब्दुल्ला कतेको सालसँ एहि पर लोकसभकेँ जुटाबय लेल काज कऽ रहल छथि। काशी हिन्दू विश्वविद्यालयमे मालवीय सेंटर फाॅर पीस रिसर्च केर मनोज कुमार मिश्र १९०९ मे प्रकाशित हिन्द स्वराजक हवाला दैत कहलनि जे महात्मा गाँधी आधुनिक जीवनशैलीक पूर्ण विरुद्ध छलाह। ओ प्रकृतिक शोषण पर आधारित एहन जीवनशैलीकेँ मानवताक लेल खतरा बतौलनि। आइ हम ओ खतरा देखैत छी। महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धाक सामाजिक कार्यक अध्यक्षक पूर्व निदेशक मनोज कुमार कहलनि जे सांस्कृतिक वातावरण मानव निर्मित वातावरण अछि, भारतीय संविधानक अनुच्छेद २१ जीवनक अधिकारक बात करैत अछि। प्रकृतिसँ जुड़लेसँ हम एहि अधिकार केर सुरक्षित कए सकैत छी। एकटा आओर स्थिति ई अछि जे कोनो देश वा राष्ट्र एकटा राजनीतिक सीमा होइत अछि, मुदा प्रकृति अपन सीमा बनबैत अछि। तेँ जखन हम पर्यावरणीय नागरिकताक बात करैत छी तखन वैश्विक नागरिकताक बात सेहो भऽ सकैत अछि। हमर मानब अछि जे पर्यावरणीय नागरिकताक अनुरूप जीबय लेल दुनियाकेँ वैश्विक नागरिकता दिस बढ़बाक आवश्यकता अछि। एहि ऐतिहासिक उत्सवमे अच्छे लाल सहित पुरा आ लगपासक अन्य गामक लोक भीषण गरमी, पोखरि आ नदीपर गम्भीर चिन्ता व्यक्त कयलनि। अच्छे लाल बतौलनि जे दरभंगा कमलामे कहियो नाव चलैत छल, आइ ओ एक बूंदक लेल तरसि रहल छथि। डॉ. अमर कुमार कहलनि जे पर्यावरणक एहि पावनिकेँ समय-समय पर लगातार मनयबाक आवश्यकता अछि। महोत्सवमे अपर्णा सिन्हा द्वारा निर्देशित ६५म राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘इरदा’ (२०१७) नसीरुद्दीन शाह, अरशद वारसी, दिव्या दत्ता अभिनीत प्रदर्शित कयल गेल। संगहि डब्ल्यूएनडी केर अध्यक्ष रा. प्रा. विद्यालय (पुरा) केर छोट-छोट बच्चा सभकेँ गर्मीसँ बचबाक कतेको उपाय कहलनि। एहि अवसर पर विद्यालयक एचएम संतोष कुमार ठाकुर, शिक्षक निर्मल कुमार यादव, अब्दुल कादिर, विभा रानी, ग्रामीण रामविलास यादव, बबलू जी (मिल्कीचक), ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयक छात्र प्रथम राज आ लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटीक इंटर्नशिप कऽ रहल आदित्य राज, अमन कुमार, पीयूष रंजन, हितेश नारायण झा आ अन्य उपस्थित छलाह। अतिका महजबीं सहित कतेको लोक एहि उत्सवक बधाई देलनि।

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