उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट’क एकटा हालिया आदेश पर चिंता जाहिर करैत कहलनि कि भारतमे एहेन लोकतंत्रक कल्पना नहि कएल गेल छल जाहिमे मे न्यायाधीश कानून बनौताह आ कार्यकारी जिम्मेदारी निभौताह आ ‘सुपर संसद’ केर रूपमे सर्वोच्च न्यायालय काज करत।
उपराष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय केर ओहि आदेशक उल्लेख कएलन्हि, जाहिमे राष्ट्रपतिकेँ तीन मासक भीतर विधेयक पर फैसला लेबाक समयसीमा निर्धारित कएल गेल अछि। उपराष्ट्रपति कहलनि जे एहेन पहिल बेर भऽ रहल अछि, जखनि राष्ट्रपतिकेँ निश्चित समयमे फैसला लेबाक लेल कहल जा रहल अछि।
राज्यसभाक प्रशिक्षु सभक एकटा कार्यक्रमकेँ संबोधित करैत उपराष्ट्रपति कहलनि जे ‘एकटा हालिया फैसलामे राष्ट्रपतिकेँ आदेश देल गेल अछि। हम कतय जा रहल छी ? देशमे की भ’ रहल अछि ? हमरा एकरा लेल अत्यंत संवेदनशील होयबाक जरूरत अछि। हम एहेन दिनक कल्पना नहि कयने छलौं, जतय राष्ट्रपतिकेँ निश्चित समयमे फैसला लेबाक लेल कहल जायत आ जँ ओ फैसला नहि लैत अछि त’ कानून बनि जायत। उपराष्ट्रपति कहलनि जे आब जज विधायी बात पर फैसला करैत छथि।
धनखड़ परिस्थिति पर चिन्ता व्यक्त करैत कहलनि जे ‘अपन जीवनमे हम एहेन दिनक कल्पना नहि कएलहुँ।’ ओ कहलनि जे ‘राष्ट्रपति देशक सबसँ सर्वोच्च पद अछि। राष्ट्रपति संविधानक सुरक्षाक शपथ लैत अछि। जखनकि सांसद, मंत्री, उपराष्ट्रपति आ जज सभकेँ संविधानक पालन करब आवश्यक अछि। हमरा एहेन स्थिति नहि चाही, जतय राष्ट्रपतिकेँ निर्देश देल जाए। अहाँकेँ मात्र संविधानक अनुच्छेद 145 (3) केर तहत संविधानक व्याख्या करबाक अधिकार अछि आ ओहो पाँच वा तकरासँ अधिक जज सभक संविधान पीठ द्वारा कएल जा सकैत अछि।’
धनखड़ सवाल उठेलनि कि जखनि आपातकाल केर दौरान सर्वोच्च न्यायालय 9 टा उच्च न्यायालयक निर्णयकेँ पलटि देलक, त ‘बेसिक स्ट्रक्चर’ सिद्धांत केर रक्षा कियैक नहि कयल गेल। ओ कहलनि, “आब जज कानून बनाओत, कार्यपालिका केर भूमिका निभाओत, संसदसँ ऊपर होएत आ हुनका लेल कोनो जवाबदेही तय नहि होएत। हर सांसद आ उम्मीदवारकेँ अपन संपत्ति घोषित करय पड़ैत अछि, मुदा जज पर ई लागू नहि होइत अछि।” धनखड़ एहि बात पर सेहो अफसोस व्यक्त कयलनि जे जनता ई सवाल नहि उठाबैत अछि आ हुनका गुमराह करय वाला कथा परोसल जाइत अछि।
धनखड़ ‘बेसिक स्ट्रक्चर’ सिद्धांत पर पूर्व न्यायाधीश सभ पर निशाना साधलनि। ओ एकटा पूर्व जज द्वारा लिखल पुस्तकक विमोचन समारोहक जिक्र कएलनि, जाहिमे एही सिद्धांत केर प्रशंसा कएल गेल छल। ओ कहला, “केशवानंद भारती केसमे 13 जजक एकटा पीठ छल आ फैसला 7 अनुपात 6 सँ भेल छल। एहिकेँ आब हमरा सभक रक्षा केर आधार बताओल जा रहल अछि, मुदा ओहि केर दु साल बाद 1975 मे आपातकाल लगाओल गेल। लाखों लोग जेलमे डालल गेल आ सुप्रीम कोर्ट कहलक कि आपातकालक दौरान मौलिक अधिकार लागू नहि होयत। तखनि एहि सिद्धांत केर की भेल ?”